बुधवार, 17 सितंबर 2014

अल्सर [ Ulcer - पीलिया -दो खतरनाक रोग

अल्सर [ Ulcer ]शरीरम  व्याधि मन्दिरम 

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आजकल की व्यस्त जीवनशैली में खान-पान में गड़बड़ी होना स्वाभाविक -सी बात है | लेकिन इस कारण से अल्सर जैसे रोग पाँव पसारते जा रहे हैं | इसमें पेट में जख़्म बन जाते हैं जिसे अल्सर कहते हैं | चाय , कॉफी ,शराब , अधिक खट्टे ,मसालेदार तथा गर्म वस्तुओं के सेवन से अल्सर होने की सम्भावना अधिक होती है | अल्सर रोग में अक्सर पेट में जलन होती है , खट्टी डकारें आती हैं , सर चकराता है , उलटी होती , दस्त के साथ खून आता है , शरीर में कमजोरी तथा मन बैचैन रहता है |
विभिन्न औषधियोँ द्वारा अल्सर का उपचार ----
१- चार मुनक्के तथा दो छोटी हरड़ पीसकर सुबह खाने से पेट की जलन तथा उल्टी समाप्त होती है |
२- पान के हरे पत्तों का १/२ [आधा ] चम्मच रस प्रतिदिन पीने से पेट के घाव व दर्द में लाभ होता है |
३- एक चम्मच आँवले के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से अल्सर ठीक होता है |

४- अल्सर के रोगी को अनार के रस तथा आँवला मुरब्बा सेवन से लाभ होता है |
                     इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है,
                    इश्क मेरी रुहतो दोस्ती मेरा ईमान है,
                  इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी,
                    पर दोस्ती परमेरा इश्क भी कुर्बान है

                         पीलिया -
रक्त में लाल कणों की निश्चित आयु होती है | यदि किसी कारण इनकी आयु कम हो जाए और ये जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लगें तो पीलिया होने लगता है | यदि जिगर का कार्य भी पूरी तरह न हो तो पीलिया हो जाता है | हमारे रक्त में बिलीरुबिन नामक पीले रंग का पदार्थ होता है | यह पदार्थ लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है इसलिए शरीर में पीलापन आने लगता है | त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है | रोग बढ़ने पर सारा शरीर हल्दी की तरह पीला दिखाई देता है | इस रोग में जिगर, पित्ताशय , तिल्ली और आमाशय आदि खराब होने की संभावना रहती है | अत्यंत तीक्ष्ण पदार्थों का सेवन, अधिक खटाई , गर्म तथा चटपटे और पित्त को बढ़ने वाले पदार्थों का अधिक सेवन,शराब अधिक पीने आदि कारणों से वात , पित्त और कफ कुपित होकर पीलिया को जन्म देते हैं| कुछ प्रयोग निम्न प्रकार हैं -----
1- ५० ग्राम मूली के पत्ते का रस निचोड़कर १० ग्राम मिश्री मिला लें, और बासी मुहँ पियें |
2- पीलिया के रोगी को जौं ,गेंहू तथा चने की रोटी ,खिचड़ी ,हरी सब्ज़ियाँ,मूंग की दाल तथा नमक मिला हुआ मट्ठा आदि देना चाहिए |
3- तरल पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए |
4- रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए तथा मैदे से बनी वस्तुएं ,खटाई ,उड़द ,सेम ,सरसों युक्त गरिष्ठ भोजन नहीं देना चाहिए |
5- कच्चे पपीते का खूब सेवन करें | पका हुआ पपीता भी पीलिया में बहुत लाभदायक होता है |
6- उबली हुई बिना मसाले व मिर्च की सब्ज़ी का सेवन करें |
7- मकोय के ४ चम्मच रस को हल्का गुनगुना करके सात दिन तक सेवन करें ,लाभ होगा |
8- पीलिया के रोगी को पूर्णतः विश्राम करना चाहिए तथा नमक का सेवन भी कम करना चाहिए |
9- अनार के रस के सेवन से रुक हुआ मल निकल जाता है और पीलिया में फायदा होता है |
10- आंवला रस पीने से भी पीलिया दूर होता है |

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