बुधवार, 17 सितंबर 2014

वास्तुशास्त्र और भोजन

हमारी जीवनशैली और वास्तुशास्त्र के बीच गहरा संबंध है। वर्त्तमान जटिल जीवनशैली में हम वास्तुशास्त्र के नियमों को अनदेखा कर अनुचित तरीके से घर का निर्माण कर लेते हैं अथवा पूर्वनियोजित फ्लेट यां अपार्टमेन्ट खरीद लेते हैं तथा कई बार घर में वास्तु दोष हमारी ही असावधानी एवं अज्ञानता के कारण भी उत्पन्न हो जाता है। क्या यह हमने जानने की कोशिश की है की उपलब्धि अर्जित करने के उपरांत भी हम अपने जीवन से दुखी और खिन्न क्यों रहते हैं। हमारे इर्दगिर्द फैले हुए वास्तुदोषों की वजह से हमारे जीवन में ऋणात्मक उर्जा का संचय होता है। वास्तु दोष मूलतः हमारे रहन सहन की प्रणाली से उत्पन्न होता है। यह हमारी जीवनशैली के साथ साथ अमूल्य देह को भी नष्ट करता है।

वास्तुशास्त्र और भोजन: हमारा जीवनचक्र मूलतः पंचतत्व पर आधारित है। जल अग्नि वायु भूमि और आकाश ही संपूर्ण ब्राहमांड का मूल है। हमारा भोजन भी इन्हीं पंचतत्व द्वारा निर्मित है। जीवन हेतु वायु तथा जल उपरांत सर्वाधिक महत्वपूर्ण भोजन ही माना जाता है। वास्तु तथा ज्योतिष शास्त्र में भोजन से संबंधित कई महत्वपूर्ण कथन बताए गए हैं। वास्तुशास्त्र में ऐसा वर्णित है की भोजन किस प्रकार के बर्तनों में करना चाहिए तथा किस प्रकार के बर्तन भोजन करने हेतु अशुभ और शुभ माने गए हैं। किस प्रकार के बर्तन वास्तुशास्त्र में निषिद्ध माने गए हैं। इस विशेष लेख के माध्यम से हम आपको भोजन करने के तरीके तथा भोजन करने हेतु इस्तेमाल होने वाले पात्रों से संबंधित कुछ विशिष्ट बाते बताने जा रहे हैं।

वास्तुशास्त्र और टूटे-फूटे बर्तन: वास्तु वास्तविकता में जीवन को दिशा देने का विज्ञान है। मूलतः यह विज्ञान दिशाओं का ज्ञान देता है तथा जीवन को शैली प्रदान करता है। वास्तुशास्त्र में भोजन हेतु प्रयोग में लिए जाने वाले बर्तनों के बारे में कहा गया है की एकदम साफ बर्तनों में ही भोजन करना चाहिए। गंदे अथवा धूल-मिटटी चढ़े हुए बर्तन इस्तेमाल में नहीं लाने चाहिए। घर में कदापि टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए। यदि किसी पात्र में कोई खरोंच आदि जैसा निशान भी आ जाए तो भी उसे भोजन करने हेतु इस्तेमल में नही लाना चाहिए।

जीवनशैली और खंडित बर्तन: घर में इस्तेमाल होने वाले बर्तन हमारे जीवन स्तर को इंगित करते हैं। इसी कारण इन दिनों सुंदर डिजाइन वाले बर्तनों का चलन बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इसी चलन के कारण कई घरों में पुराने या टूटे-फूटे बर्तनों को संभालकर स्टोर रूम में रख दिया जाता है, जो कि वास्तु की दृष्टि से अशुभ है तथा इसे वास्तु विज्ञान में एक दोष की भांति देखा जाता है। टूटे-फूटे बर्तन दरिद्रता की ओर संकेत करते हैं तथा इन्हें घर में जगह देने से घर में दरिद्रता बढ़ती है और कई तरह की आर्थिक हानि भी हो सकती है।

टूटे-फूटे बर्तनों का ज्योतिषी तर्क: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राहू ग्रह अशुभता का परम सूचक माना जाता है। टूटे-फूटे तथा खंडित चीनी मिट्टी के बर्तन राहू का प्रतीक हैं। ज्योतिषशास्त्र की लाल किताब में हमेशा से ही इस बात पर जोर दिया जाता है कि घरों में टूटे-फूटे बर्तन नहीं रखने चाहिए, न ही कभी ऐसे बर्तनों में भोजन करना चाहिए। जो व्यक्ति टूटे-फूटे बर्तनों में खाना खाता है उससे धन की देवी लक्ष्मी रूठ जाती हैं और उसके घर में अलक्ष्मी अर्थात दरिद्रता का निवास होता है। ऐसा होने पर कई प्रकार के नुकसान का सामना करना पड़ता है।

सरल समाधान: घर से सभी टूटे-फूटे, खंडित, दरार पड़े हुए तथा बेकार बर्तनों को हटा देना चाहिए। इससे वास्तु दोष का परिहार हो जाता है तथा घर में लक्ष्मी पुनः वास करती हैं। खंडित बर्तन में खाना खाने से हमारी जीवनशैली नकारात्मक बनती है। जैसे बर्तनों में हम भोजन करते हैं हमारा स्वभाव और स्वास्थ्य भी वैसा ही बन जाता है। इसी वजह से अच्छे और साफ बर्तनों में भोजन करें। इससे आपके विचार भी शुद्ध होंगे और सकारात्मक ऊर्जा का शुभ प्रभाव आप पर पड़ेगा और खुलेगा आपकी किस्मत का ताला।

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