मंगलवार, 16 सितंबर 2014

अल्पविकसित व छोटे स्तनों के लिये आयुर्वेदिक योग......!

अल्पविकसित व छोटे स्तनों के लिये आयुर्वेदिक
योग......!
कई युवतियों के लिये छोटे स्तनों का आकार उनके लिये
अत्यंत मायने रखता है। जब कोई युवती सौन्दर्य/माडलिंग
आदि जैसे व्यवसाय आदि से जुड़ना
चाहती है तो उसके लिये शारीरिक सौन्दर्य का बड़ा अंश
उसके सुडौल एवं विकसित स्तनों पर ही आधारित रहता है।
स्तनों का आकार यदि देह के अनुपात में है तो सचमुच
उसकी सुन्दरता में चांद लग जाते हैं। कई बार जिन
युवतियों के जल्दी-जल्दी बच्चे होते रहते हैं उनके स्तन
भी ढीले होकर ढलक जाते हैं जो कि उनके सौंदर्य
को प्रभावित करते हैं।
निम्न योग इस समस्या से बहुत हद तक मुक्ति दिलाने में
सफल रहे हैं-
१. स्तन का आकार बढ़ाने के मोदक: -
असगंध नागौरी ५०० ग्राम + सोंठ २५० ग्राम + पीपर १२५
ग्राम लेकर बारीक पीस लें। अब शुद्ध शहद २ किलो+ गाय
का घी ५०० ग्राम + भैंस का दूध ५ किलो और
मिश्री ५०० ग्राम लेकर कढ़ाही में धीमी आंच पर पकाएं।
जब खोवा जैसा बनने लगे तो ऊपर से कहे गये
तीनों चूर्णों का मिश्रण मिला दें और हल्के हाथ से
चलाते हुए भून लें। जब सुगंध आने लगे तो उसमें लौंग १० ग्राम
+ तज १० ग्राम + काली मिर्च १० ग्राम +
छोटी इलायची १० ग्राम का बारीक चूर्ण मिलाएं और
लगभग बीस-बीस ग्राम वजन के लड्डू हाथ से बांध लें। चार
से छह माह तक इनमें से एक-एक लड्डू सुबह-शाम दूध से खाने
से ढीले हो चुके स्तन विकसित हो जाते हैं और साथ
ही शरीर के प्रदर, अशक्ति, कमरदर्द आदि रोग भी नष्ट
हो जाते है।
२. स्तन का आकार बढ़ाने वाला तेल: -
जैतून का तेल १०० मिली + कड़वे बादाम का तेल १००
मिली + काशीशादि तेल १०० मिली लेकर
स्तनों की हल्के हाथों से गोलाई में मालिश करें। इस तेल
के प्रभाव के आने में दो से तीन माह लग जाते हैं लेकिन
बहुत दिनों तक स्थायी रहने वाला प्रभाव मिलता है।
अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर
,
अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता……..!!
इस बेवफ़ा ज़िन्दगी से शायद मुझे इतनी मोहब्बत ना होती
अगर इस ज़िंदगी में दोस्त कोई तुम जैसा नहीं मिलता

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