रविवार, 29 मार्च 2015

राम को जन्म ----

रावण की इस गलती के कारण भगवान राम को जन्म लेना पड़ा
भगवान विष्णु ने समय-समय पर अवतार लेकर दुनिया से पाप और पापियों का अंत किया है। इस बात को कृष्णावतार में स्वयं श्री कृष्ण ने कहा है। पाप का अंत करने के लिए ही भगवान को राम रूप में अवतार लेना पड़ा था।
रामावतार भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। यह अवतार भगवान विष्णु को रावण का वध करके संसार में धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ था।
भगवान विष्णु को यह अवतार रावण की एक गलती के कारण लेना पड़ा था। रामावतार लेकर भगवान ने रावण को उस गलती का दंड दिया था।भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था। राजा इच्क्षवाकु सूर्य के वंशज माने जाते हैं इसलिए इन्हें सूर्यवंशी भी कहा जाता है।
इनके वंश में एक प्रतापी राजा हुए जिनका नाम था अनरण्य। रावण ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था। लेकिन राजा अनरण्य के राज्य पर रावण का अधिकार नहीं हो पाया था।
रावण ने राजा अनरण्य के राज्य पर अधिकार करने के लिए आक्रमण किया। अनरण्य और रावण के बीच भीषण युद्घ हुआ। ब्रह्मा जी के वरदान के कारण अनरण्य रावण के हाथों पराजित हुए। रावण राजा अनरण्य का अपमान करने लगा।
अपने अपमान से क्रोधित होकर राजा अनरण्य ने रावण को अभिशाप दिया कि तूने महात्मा इक्ष्वाकु के वंशजों का अपमान किया है इसलिए मेरा शाप है कि इच्वाकु वंश के राजा दशरथ के पुत्र राम के हाथों तुम्हारा वध होगा।

ईश्वरीय विधान के अनुसार भगवान विष्णु ने राम रुप में अवतार लेकर इस अभिशाप को फलीभूत किया और रावण राम के हाथों मारा गया।



राम जिनका नाम है,
अयोध्या जिनका धाम है,
ऐसे रघुनंदन को,
हमारा प्रणाम है,

रविवार, 22 मार्च 2015

स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य क्या है ?

इसलिये बीमारी का मुख्य कारण है Low Voltage और Lack of Flow of Spiritual Energy । Spiritual Energy का Flow कम होने के कारण शरीर के अन्दर जो सात चक्र हैं उनमें भी Energy कम हो जाता है, चक्रों की गति Slow हो जाती है । जब चक्रों की गति Slow हो जाती है तो उससे सम्बंधित Organs में बीमारियाँ शुरू हो जाती हैं ।मैंने जों गलतिया कीं कि उसके Result में मुझे ये बीमारियाँ दीं 
जैसे आपका Heart चक्र है, Heart चक्र का Speed - Slow हो गया, Energy कम हो गई । तो Heart चक्र से सम्बंधित जो आपके Organs जैसे Heart एवं Lungs हैं । उनमें Cholesterol, Blood Pressure तथा Asthma जैसी बीमारियाँ पैदा होने लगती है । इससे Heart Attack भी हो जाता है । इस तरह बीमारी का मुख्य कारण परमात्मा ने बताया Lack of Flow of Spiritual Energy ।
। ऐसी बीमारियों से मेरे मन में सवाल उठते थे कि मै उनका वर्णन अपने शब्दों में नहीं कर पा रहा हूँ । मुझे जो मानसिक पीड़ा और साथ साथ तन की पीड़ा हुयी, दोनो ऐसे थे कि यमदूत के रूप में सामने खड़े थे ।
Hospital में रातें बहुत लम्बी कटती थीं । ऐसा लगता था कि रात में खूब चीखूँ, खूब चिल्लाऊँ, लेकिन रात में सन्नाटा होता था, मैं किसको बुलाऊँ । रात भर करवटें बदलता रहता था । पता नहीं चलता था कि सुबह रहूँगा भी कि नहीं रहूँगा । कभी कभी ऐसा लगता कि मौत बिल्कुल पास खड़ी है । मै घबरा जाता, किससे बात करुँ ? क्या करुँ ? यह सब सोच कर मैं उठ कर बैठ जाता था । चारों तरफ़ अंधेरा लगता था । यह सब केबल मेरे साथ ही नहीं होता था, मैं यह सब और लोगों के साथ भी होते हुए देखता था । उनको देख कर मन ही मन मैं रोता था । यह सब किसी को दिखाता नहीं था । मेरे लिए रात काटनी बहुत मुश्किल हो जाती थी । हर रात यही सोचता था कि ये रात कब बीतेगी ? और इस रात की सुबह कब होगी?
एक दिन रात में बहुत बेचैनी हुई । मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था । मुझे ऐसा लगा कि शरीर बिल्कुल टूट रहा है तथा मौत अब हुई की तब हुई । मैने भी परमात्मा से यही बोला कि अब जल्दी मुझे ले जाओ अब मै मौत का और इन्तजार नहीं कर सकता । Please-Please-Please यह कह कर पता नहीं मै कब बेहोश हो गया ? जब मै बेहोश हो गया तो बेहोशी की हालत में एक अचानक तेज प्रकाश मेरी आँखों पर आया । वह असाधारण था, Normal नहीं था, उसमें तेज था तथा उसमें एक कशिश भी थी । ऐसा लगा जैसे वह मुझे खींच रहा है । मै उठता जा रहा हूँ-उठता जा रहा हूँ - मुझे ऐसा फील हुआ । मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि यह कोई मतिभ्रम था या हैडोनिजम (Hedonism) था या स्वप्न था ।
यह सब कुछ मेरी समझ में नहीं आ रहा था । यह क्या हो रहा था ? हाँ ! मुझे अपने कानों में एक आवाज सुनाई दी कि आपको कुछ नहीं होगा । आपका Life बहुत Important है । यह शब्द सुनने में तो मुझे अच्छा लग रहा था, पर अचानक, मै जब उठा तो इस पर विचार करने लगा कि यह तो स्वप्न था और स्वप्न हमेशा उल्टा होता है । मै ऐसा समझता था कि यह सोच करके कि स्वप्न उल्टा होगा यानि इसका मतलब अब मेरी मौत निश्चित है ।
वह प्रकाश मेरे ऊपर पुन: धीरे धीरे आया, उस समय मुझे बहुत अच्छा लगा । मैं अपनी इन खुली आँखों से उस प्रकाश को देख पाया, लेकिन आँखों पर प्रकाश इतनी तेजी से आ रहा था कि आँखें चौंधिया रहीं थीं, मै उस प्रकाश को नही देख पा रहा था । वह एक दिव्य प्रकाश था । उसी समय फिर वही आवाज सुनाई दी कि आपको कुछ नहीं होगा । आपका Life बहुत Important है ।
जब इन खुली आँखों से उस दिव्य प्रकाश को देखा और कानों से उस दिव्य प्रकाश की आवाज सुनी तो मन को ऐसा लगा कि एक साथी मिल गया । मेरी वह आस पूरी हो गई । मै जो Complaint ईश्वर से बार-बार करता था शायद परमात्मा ने मुझे उसका जवाब दिया, उसका यह एक Silent जवाब था । उस दिव्य साक्षात्कार के बाद मेरा परमात्मा पर विश्वास पुन: लौट आया । ऐसा लगा कि मेरी सोच परमात्मा के लिये इतनी गलत क्यों थी ? इस अपनी सोच पर ही मुझे ग्लानी होने लगी, आँखों में आँसू आने लगे कि मैने प्रभु को ही गलत समझ लिया । परमात्मा के लिए मैने यह सब बोला फ़िर भी उन्होंने मुझे अपना रूप दिखाया, ऐसा सोच करके ही मेरे आँखों में आँसू आ गये ।
3. स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य क्या है ?
स्वास्थ्य और सुखी जीवन के रहस्य की गुत्थी मेरे द्वारा परमात्मा से पूछे गये मेरे तीसरे प्रश्न में अन्तरनिहित है । मैने परमात्मा से तीसरा प्रश्न पूछा कि Health और Happiness का Secret क्या है ?
उपरोक्त दो प्रश्नों के बाद मैने परमात्मा से तीसरा सवाल पूछा कि Health और Happiness का Secret क्या है ? आज सबके पास Wealth है, पर Health और Happiness नहीं है । जो गरीब हैं, उनके पास भी Health और Happiness नहीं है । कोई ना कोई बीमारी उनको जरूर है । तो Health और Happiness कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
परमात्मा ने इस सबाल के जबाव में मुझे स्वर्ग का दृश्य (Scene) दिखाया । स्वर्ग के दृश्य (Scene) में Specially दिखाया कि वहाँ देवता कैसे रास करते थे ? अभी भी कैसे रास कर रहे हैं ? उनके शरीर के ऊपर अनेक प्रकार के रत्नों के द्वारा अलग अलग रंगो की किरणें आतीं । नाद और ध्वनि इतनी अच्छी व इतनी सुरीली, कि उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता । इस प्रकार परमात्मा ने बताया कि रास, रंग और नाद के द्वारा देवता Neurobic Dance करतें । इसलिये वे सदा ही Healthy और Happy रहते ।
आज की Dates में Neurobic Dance की जगह Aerobic Dance होता है । Aerobic Dance में हम Music On कर देते हैं और Music के ऊपर हम कूदते हैं । इस प्रकार किया डांस Aerobic Dance कहलाता है । जबकि परमात्मा ने हमें Neurobic Dance करना बताया । जो Secret of Health and Happiness का मूल था और है । इस प्रकार Neurobic Dance ही स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य कहा जाता है ।
रास का वैज्ञानिक कारण क्या था ? जैसे ही हम रास करते थे, दो चीजें Main होती थीं । इनमें एक हाँथों की मुद्रायें और दूसरा पैंरों का Co-ordination, यानि कैसे पैर को Tap करना है ? इन दोनों के Syncronisation से इतना अच्छा Dancing होता कि पूरे शरीर के Neuro System में 100% Energy का Flow होता । इससे सम्पूर्ण शरीर के अन्दर 100% Energy फ़ैलती रहती । इस तरह पूर्ण उर्जा का भन्डार शरीर के अन्दर मौजूद रहता ।. Empowering Physco Neurobics - शिवलिंग मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अब अपने दोनों हथेलियों को आपस में मिलाते हुए दोनों हाथों की ऊँगलियों को संयुक्त कर लें । अपने दाएं अंगूठे को बाएं अंगूठे के ऊपर ले जाते हुए बायां अंगूठा सीधा खड़ा करें । यह शिवलिंग मुद्रा है ।
ईश्वर द्वारा प्राप्त शिवलिंग मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग लाल है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे लाल रंग का ध्यान करें । साथ ही अपने शरीर की हड्डियों और माँस पेसिंयों को मजबूत होने का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में शिवलिंग मुद्रा के लाभ :
1. शिवलिंग मुद्रा शरीर को उर्जा प्रदान करती है, साथ ही Low Blood Pressure, ठंड लगने की शिकायत दूर करती है, खाँसी की समस्या को दूर कर अन्दर से गर्माहट प्रदान करती है । “Shivling mudra imparts energy to the body, cures low blood pressure, helps eliminate chills, removes cough & makes the body warm from inside”
14. Empowering Physco Neurobics - महावीर मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अब अपने अंगूठे को चारों ऊँगलियों के बीच दवा कर दोनों हाथों की मुठ्ठी बना लें । ईश्वर द्वारा प्राप्त महावीर मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग लाल है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें । मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे लाल रंग का ध्यान करें । अपने शरीर की हड्डियों और माँस पेसियों को मजबूत होने का अनुभव करें।
Physco Neurobics में महावीर मुद्रा के लाभ :
1. महावीर मुद्रा एक सहज दर्द नाशक मुद्रा है । यह शरीर को सभी तनावों से आजाद कर पीड़ा से मुक्ति प्रदान करती है । “The mahavir mudra is a natural pain killer. It relieves pain by releasing the body of all kinds of stress and tension”
2. यह मुद्रा तत्काल ही Blood Pressure में वृद्धि करती है । इसलिये यह सलाह दी जाती है कि इस मुद्रा के बाद कम से कम 5 मिनट तक वायु मुद्रा का अभ्यास किया जाये । “It also raises blood pressure immediately. Therefore it is advisable to do peaceful neurobics with vayu mudra after this for at least 5 minutes”
महावीर मुद्रा का अधिक्तम लाभ उठाने के लिये मुँह में हवा भर कर भी किया जा सकता है ।
 Purifying Physco Neurobics - अपान मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है । अपनी बीच की ऊँगली, तीसरी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें बाकी की दो ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त अपान मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नारंगी है । लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे नारंगी रंग का ध्यान करें । मन और शरीर में पवित्रता का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में अपान मुद्रा के लाभ :
1. अपान मुद्रा Kidney की समस्याओं को दूर कर हमारे शरीर को Detoxify करती है । “Apan mudra cures kidney problems & helps in detoxifying the body. It also cures all urinary disorders”
11. Peaceful Physco Neurobics - व्यान मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाँथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है । अपनी पहली ऊँगली, बीच की ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें बाकी की दो ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त व्यान मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग आसमानी है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे आसमानी रंग का ध्यान करें । मन और शरीर को शान्त होता अनुभव करें ।
Physco Neurobics में व्यान मुद्रा के लाभ :
1. इस मुद्रा से High Blood Pressure का नियन्त्रण होता है और शरीर में आये तनाव दूर होते हैं । “This exercise controls high blood pressure, remove stress and relaxes the whole body”
12. Loveful Physco Neurobics - अपान वायु मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है, अपनी बीच की ऊँगली, तीसरी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें । अब अपनी पहली ऊँगली को मोड़ते हुए अँगूठे की जड़ से लगायें, बाकी बची छोटी ऊँगली सीधी और सरल अवस्था में हों ।
ईश्वर द्वारा प्राप्त अपान वायु मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग हरा है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे स्नेह भाग से भरे हरे रंग का ध्यान करें । अपने ह्रदय और आत्मा को सभी दोषों से मुक्त तथा निर्मलता से पूर्ण अनुभव करें । आपस में स्नेह और लगाव को ध्यान में रखते हुए अपने दुष्कर्मों के लिये परमात्मा से क्षमा की याचना करें ।
Physco Neurobics में अपान वायु मुद्रा के लाभ :
1. अपान वायु मुद्रा एक जीवन रक्षक मुद्रा है । यह Angina Pain को नियन्त्रत कर Heart Attack की सम्भावना को कम करती है । “This is a life saving mudra as it controls angina pain & prevents the possibility of heart attack”
2. इस मुद्रा द्वारा शरीर में हानिकारक Cholestrol की मात्रा को नियन्त्रित किया जा सकता है । यह Acidty कम करती है और Blood Pressure को सामान्य करने में सहयोग करती है । “This mudra also helps control cholestrol level in the body, reduce acidity & normalises blood pressure”
. इस नाद के लिए भले ही आजकल कोई Instrument उपलब्ध नहीं है । लेकिन ब्रह्म नाद से बढ़ कर कोई नाद नहीं है । ब्रह्म नाद से श्वांसो का Regulation होता है । इससे श्वांस की गति कम हो जाती है और आयु बढ़ जाती है । क्योंकि मनुष्य की आयु उसकी श्वांसों पर निर्भर करती है । जितनी श्वांस कम होगी, उतनी आयु लम्बी होगी ।
आज की तारीख में कहा जाता है कि कछुआ 1 मिनट में 5 बार श्वांस लेता है और वह 150 से 200 साल तक जिन्दा रहता है । कुत्ता 1 मिनट में 20 से ज्यादा बार श्वांस लेता है तथा वह 12 साल जिन्दा रहता है । भगवान ने आपको आयु Oxygen के रुप में लेने को दी है । एक नियत श्वांस की गिनती दी है, उस गिनती को हम जल्दी से खत्म कर दें, तो आयु जल्दी खत्म हो जाएगी । अब हमारा जो स्वास्थ है वो हमारे हाथ में है, वह भगवान के हाथ में नही है, चाहे तो हम 30 साल जियें, 20 साल जियें या 100 साल जियें ।
चौथा प्रश्न पूँछा कि ध्वनि, रंग और हस्त मुद्राओं द्वारा विभिन्न 14 साइको न्यूरोविक व्यायाम का आरोग्यकारी प्रभाव क्या है ?
उपरोक्त प्रश्नों एवं उनके उत्तरों से ज्ञात हुआ कि परमात्मा ने हमें रास, रंग और नाद, तीनों को अपनी जिन्दिगी में मिश्रण (Blend) एवं उनको महसूस करने के लिये कहा । इसमें परमात्मा से आने बाले भिन्न भिन्न रंगों का Role 80% होगा, जिसे हर एक मनुष्य को अपने मन के द्वारा ही लेना पड़ेगा । इसलिये यह विज्ञान “Physco Neurobic Science” कहलाई क्योंकि यह पूर्णतः मन का विज्ञान है । Physco Neurobic दूसरी तमाम Healing Science से बेहतर ही नहीं सबसे अच्छा है, यह Ultimate है । यह Ultimate Science of Healing of the World, क्योंकि इसको सिखाने वाला स्वयं परमात्मा है । दुनिया में बाकी अन्य जितनी Therapies है, उनका आविष्कार मनुष्यों ने किया है । लेकिन इस Therapy का आविष्कार हमने नहीं किया है, बल्कि स्वयं परमात्मा ने हमें इसके बारें में बताया है और मैं इसका अपने आप में Testimonial हूँ ।
जब हमारा Cancer, Hepatitis (जिगर का प्रदाह या सूजन) तथा Cirrhosis of Liver (यकृत का सूत्रण रोग) ठीक हो सकता है, तो छोटी मोटी बीमारियाँ तो झट से ठीक हो जाएंगी । इस तरह हमने तीनों Technology के आधार को - रास से मुद्रा, रंग में परमात्मा से आने वाले रंग तथा नाद में ब्रह्म नाद को Link करके बहुत सारे Physco Neurobic - Exercises बनायीं और इसका Application बहुत सारे Patient के ऊपर किया । उनसे हमें इसका अच्छा Result मिला ।
उपरोक्त Results एक विज्ञान बन गया । इस विज्ञान के जन्म दाता के रुप में परमात्मा ने मुझे एक माध्यम बनाया । इस तरह इस नयी Science के ऊपर हमने Thesis लिखी और Feel भी किया । जिसके कारण आज मैं Chandra Shekhar से Dr. B.K. Chandra Shekhar बन गया ।
अब रास में मुद्रा, रंग में परमात्मा से आने वाले विभिन्न रंगों की किरणों को ले करके तथा ब्रह्म नाद करके अलग-अलग Phsyco Neurobic - Exercises को बनाया गया है । जिसके द्वारा हम कई सारी बीमारियों को Practically ठीक कर सकते हैं । शर्त यही है कि यह आपको Regular करना पड़ेगा । 21 दिन में इसके बहुत ही अच्छे Results मिलने लगेंगे । इस प्रक्रिया के 40 दिन में Result More Than75% हो जायेंगे । इसको अगर आप अपने जीवन में धारण कर लें तो बीमारियाँ सदा के लिये आपसे दूर भाग जायेंगी। 
अब आइये आपको भिन्न भिन्न मुद्रा, रंग और नाद के Combination से अलग अलग ठीक होने वाली बीमारियों के बारे में बताते हैं । परमात्मा ने मुझे जो उपरोक्त तीनों सवालों के जवाब दिये वह मैं अब आपसे Share करने जा रहा हूँ ।
Physco Neurobic - Exercise कहीं भी, कभी भी की जा सकती है । इसको कोई भी कर सकता है । ये ATM की तरह है । यानि Any Time Meditation. इसको करने से मन शान्त हो जाता है । इसको Regular करने से मन वश में हो जाता है । Physco Neurobic Exercise को राज योग में दिये ध्यान के साथ मिलाकर करना चाहिये । इससे बहुत ज्यादा फ़ायदा होता है । मन बिल्कुल Control हो जाता है । मुख्यतः हम मन को ही Control करना चाहते हैं । मन को Positive बनाना चाहते हैं । यह सब Physco Neurobic Exercise के द्वारा ही Possible है ।
Physco Neurobic आसानी से की जाने वाली 14 मुद्राओं का संग्रह है । इसमें गहरी श्वांस वाले व्यायाम, ब्रह्म नाद एवं ईश्वर की आध्यात्मिक उर्जा द्वारा उत्पन्न रंग बिरंगे सौन्दर्य शामिल हैं । Phsyco Neurobic को करने की अवधि कम से कम 10 मिनट है । Physco Neurobic का नियमित अभ्यास आपके जीवन को निरोग, स्वस्थ और सुखी रखने की क्ष्रमता रखता है । आप एक ऐसे समय का चुनाव करें, जब आपके मन और शरीर दोनों ही स्थिर हों । यह Any Time Meditation यानी किसी भी समय किया जा सकने वाला Meditation है ।
अब हम अपने शरीर और मन को Physco Neurobic से आसानी से की जाने वाली मुद्राओं को करने के लिये तैयार करते हैं । मुद्राओं के साथ Physco Neurobic को किसी भी समय, किसी भी जगह, और किसी भी अवस्था में जैसे कि चलते हुए, बैठ कर, खड़े होकर या लेट कर भी किया जा सकता है । परन्तु Pysco Neurobic में की जाने वाली आकाश और शून्य मुद्राओं का केवल बैठ कर ही अभ्यास करना उचित है । इसको आरंभ करने के लिये आराम दायक अवस्था में बैठ जायें । किसी समतल सतह पर पैरों को मोड़ कर सुखासन या पालती मार कर बैठना आदर्श होगा । इसमें रीड़ की हड्डी सीधी हो, दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, शरीर और मन तनाव से मुक्त होने चाहिये । मन में गहरी साँस लें तथा सुख का अनुभव करते हुए मुद्राओं का अभ्यास शुरू करें । अगर किसी कारणवश आप पृथ्वी पर सुखासन पर ना बैठ पायें तो कुर्सी पर भी बैठा जा सकता है । इसमें आप अपने शरीर की रीड़ की हड्डी सीधी रखें ।
1. Blissful Neurobic – ज्ञान मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें, दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाँथ की पहली ऊँगली और अँगूठे के सीरों को आपस में मिलाये, बाकी की तीन ऊँगलियॉ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त ज्ञान मुद्रा की आध्यात्मिक उर्जा का रंग बैंगनी होता है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें, बैंगनी रंग का ध्यान करते हुए अपने जीभ को मुख के तालू से लगायें और साँस बहार छोड़ें । एकाग्रचित होकर ईश्वर से प्राप्त बैंगनी रंग पर अपने मन के केंद्रित करते हुए परम आनंद का अनुभव करें । कम से कम 10 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करें, आँखों की स्थिति खुली या बन्द हो सकती है ।
इस दिव्य साक्षात्कार के बाद ध्यान बहुत ही अच्छा लगने लगा । जब भी मै Meditation में बैठता, मुझे दिव्य साक्षात्कार होते । मुझे इस बदलाव (Trans) का अनुभव होता और ये सिलसिला ध्यान में चलता रहता । अनेक प्रकार के दृश्य (Scenes) दिखाई देते, प्रभु से अनेक बातें होने लगीं, मै प्रभु से प्रश्न पूछ्ता और उसका मुझे उनसे उत्तर मिलता । ध्यान सहज हो गया और मुझे अजीब - गरीब अनुभव होने लगे ।
Hospital का समय कैसे बीतने लगा ? मुझे पता ही नहीं चला । मेरा मन सकारात्मक हो गया, प्रभु के ध्यान से मेरा मन दिव्य हो गया । परमात्मा के दिव्य साक्षात्कार होने के बाद मेरा जीवन बिल्कुल बदल गया । ध्यान सहज लगने लगा । ध्यान में साछात्कार का सिलसिला शुरू हुआ । बहुत सारे चित्र ध्यान में दिखाई देते तथा वे चित्र मेरे सामने कुछ न कुछ अर्थ लेकर आते थे । उन चित्रों के रहस्य के ऊपर मै चिंतन भी करने लगा और मुझे ऐसा लगा कि मेरे ज्ञान का तीसरा नेत्र ही खुल गया । भगवान के दर्शन हुए और ज्ञान की गंगा बहने लगी । मन ही मन ऐसा लगता कि खुशी का खजाना मिल गया । शान्ती से मै सबसे बातें करने लगा, लोग मुझे साँत्वना देते, मै मुस्कुराता और उनसे बातें करता तथा उनको साँत्वना देता कि मेरी रक्षा तो स्वयं परमात्मा कर रहा है “जाको राखे साँइयां, मार सके ना कोई, बाल ना बांका कर सके, जो जग बैरी होये” ।
स्वयं परमात्मा ने मुझे अपने गोद मे समा लिया और वह हमारी रक्षा कर रहा है । मै मन ही मन यह गीत गाता कि जब ईश्वर मेरे साथ है तो डरने की क्या बात है ? जिसका साथी है भगवान उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफान ? ऐसे ऐसे Slogans मेरे मन में आते रहते तथा मै मन ही मन प्रभु को दिल से धन्यवाद देता और कभी रोने भी लगता कि मैने कितनी ठेस पहुँचायी है प्रभु ! आपको । मुझे ऐसा लगता था । लेकिन परमात्मा के प्रति वह मेरे प्रेम के आँसू थे । मुझे ऐसा लगता था कि परमात्मा मुझे कितना प्यार कर रहा है - कितना प्यार कर रहा है ।
आज भी जब वो दृश्य (Scenes) मेरी याद में आते हैं तो मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं । मै सोचता था कि वाह रे मेरे भाग्य । ध्यान में जब मैं प्रभु से Question पूँछता तो उसका जवाब भी वह ऐसे देते जैसे एक सच्चा बाप अपने बच्चे को पढ़ा रहा है । एक सच्चा Teacher अपने शिष्य को अच्छे से सिखा रहा है । ऐसे बाप एवं ऐसे Teacher का उस समय मुझे अनुभव हुआ ।
परमात्मा में मुझे बाप भी दिखाई दिया, Teacher भी दिखाई दिया । उसमें सद् - गुरू भी दिखाई दिया तथा इसके साथ ही वह मुझे बैद्यनाथ के रूप में भी दिखाई दिया । परमात्मा सबसे बड़ा डाक्टर है, सुप्रीम डाक्टर है, बैद्यनाथ है और बैद्यनाथ बन करके वो मुझे ध्यान में Healing Current देता । Healing Current का अनुभव मै शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता ।
उस Healing Current से मुझे ऐसा लगता कि मै बिल्कुल रिलेक्स हो गया, मेरा मन बिल्कुल शान्त हो गया और दर्द का तो नामो निशान ही मिट गया । जो दवाईयाँ पहले बिल्कुल काम नहीं करती थीं, वह अब काम करने लगीं । दवाईयाँ अपना काम करतीं, शरीर में लगतीं और मन अपना काम करता, वह प्रभु में लग जाता । Hospital का समय कैसे गुजरा, कैसे साल गुजर गये पता ही नहीं चला । लेकिन हाँ ! परमात्मा से मैने जो सीखा उसे लिखने लगा और लिख लिख कर उसे कितावों के रुप मे पुर्नजीवित रखा । 

।।ओम शांति शांति शांति ।।

भारतीय नववर्ष विक्रम् संवत् 2072 का वर्षफल

भारतीय नववर्ष विक्रम् संवत् 2072 का वर्षफल : (A separate update being posted in English)

चैत्र नवरात्र - घटस्थापना मुहूर्त :
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ माना जाता है। इसी दिन से देवी मां की आराधना का विशेष पर्व चैत्र नवरात्र भी प्रारंभ हो रहा है और इस दिन गुड़ी पड़वा भी है।
इस वर्ष ये नवरात्र ८ दिन का रहेगा। इस साल चैत्र नवरात्र 21 मार्च 2015 (शनिवार) से शुरु होंगे और 29 मार्च 2015 को खत्म होंगे। इन दिनों में मां दुर्गा की विशेष आराधना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्र में किए गए पूजन और व्रत-उपवास से देवी मां बहुत ही जल्दी प्रसन्न होती हैं। लाल फूल, नारियल, प्रसाद आदि अर्पित करना चाहिए।
चैत्र नवरात्र घटस्थापना मुहूर्त :
सुबह 6 बजकर 28 मिनट से लेकर 7 बजकर 35 मिनट तक का है।
प्रात: ८:१५ बजे से प्रात: ९:४५ बजे के बीच शुभ
तथा दोपहर १२:२१ बजे से दोपहर १३:०९ बजे तक शुभ अभिजीत मुहूर्त रहेगा|
(8.02 से 9.33 तक शुभ चौघड़िया होने से यह समय भी शुभ है तथा दोपहर 12.34 से शाम 5.07 बजे तक चर, लाभ व अमृत के चौघड़िये में भी घटस्थापना कर सकते हैं।)
नव वïर्ष विक्रम संवत् 2072 (कीलक संवत्सर) का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अर्थात 21 मार्च से हो रहा है। देश और दुनिया के लिये नववर्ष कैसा रहेगा, यह मैं पहले ही लिख चुका हूँ। आज हम देखते हैं, कि अलग-२ राशियों पर इसका क्या प्रभाव होगा ?
इस नए विक्रम संवत् २०७२ में रोहिणी नक्षत्र का वास समुंद्रीय जल में होना माना जा रहा है। रोहिणी नक्षत्र अघ्र्वमुख, सतोगुणी है। देवों में इसके स्वामी ब्रह्मा हैं तो ग्रहों में इसके स्वामी चन्द्रमा है। ब्रह्मा के स्वामी होने से यह वृषभ राशि के अन्तर्गत आता है तथा चन्द्रमा के स्वामी होने की स्थिति में शुक्र राशि के अन्तर्गत भी आता है। पृथ्वी के पर्यावरण का जलमय क्षेत्र चन्द्रमा से प्रभावित होता है। समुद्र के जल में विनाशक उछाल, लहरों की तटनाशक झपट, ज्वारभाटा का संबंध चन्द्रमा के प्रभाव से है।
1. मेष राशि
इस राशि का स्वामी मंगल नए वर्ष का मंत्री है एवं मेष राशि पर राजा शनि का ढय्या भी चल रहा है। इस कारण ये लोग ठीक से निर्णय नहीं कर पाएंगे। हर कार्य में परेशानियों के साथ धन की कमी हो सकती है। अज्ञात भय और चिंता रहने की संभावनाएं हैं।
[२] वृष राशि-
वर्ष का राजा शनि आपकी राशि के स्वामी शुक्र का मित्र है एवं उस पर दृष्टि भी रखता है। अत: आपके लिए यह वर्ष उत्तम रहने की संभावनाएं है। पुराने समय से अटके हुए कार्य पूर्ण होंगे। धन संबंधी कार्यों में भी लाभ होगा।
[३] मिथुन राशि-
इस राशि का स्वामी बुध है। शनि और बुध मित्रता का भाव रखते हैं। इस कारण नए साल में सभी प्रकार से शुभ फल प्राप्त होंगे। सभी परिस्थितियां अनुकूल रहने की संभावनाएं हैं। नुकसान से बचे रहेंगे। धन लाभ रहेगा। नई जिम्मेदारी प्राप्त हो सकती है।
[४] कर्क राशि-
शनि इस राशि के स्वामी चंद्र से शत्रुता रखता है, लेकिन वर्ष का मंत्री मंगल मित्र है। मंगल की वजह से कार्य बनते जाएंगे। इस वर्ष सबसे प्रबल राशियों में से एक कर्क राशि रहेगी। अटके कार्य पूर्ण होंगे। विवादों में विजय प्राप्त होगी।
[५] सिंह राशि-
इस राशि का स्वामी सूर्य है और यह शनि से शत्रुता रखता है। मंगल और सूर्य मित्र हैं। जुलाई से गुरु इस राशि में प्रवेश करेगा। इस कारण यह राशि भी मजबूत स्थिति में रहेगी। आर्थिक लाभ होगा। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।
[६] कन्या राशि-
इस राशि में राहु का गोचर वर्ष भर रहेगा। वर्ष का राजा शनि और इस राशि का स्वामी बुध, दोनों मित्र हैं। कार्यों में आ रही बाधाएं समाप्त होंगी। धन लाभ होगा एवं विरोधी परास्त होंगे।
[७] तुला राशि-
शनि और तुला राशि का स्वामी शुक्र, दोनों मित्र हैं। इस कारण आपकी परेशानीयों का अंत होगा। जिन अविवाहित लोगों के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, वे बाधाएं समाप्त होंगी। नौकरी में तरक्की एवं व्यापार में लाभ होने के आसार हैं। न्यायालयीन मामलों में सफलता मिलेगी।
[८] वृश्चिक राशि-
शनि इसी राशि में स्थित है और शनि नए वर्ष का राजा है। वृश्चिक राशि पर शनि की साढ़ेसाती भी है। नए वर्ष का मंत्री मंगल इस राशि का स्वामी है। इस कारण आपकी राशि पूरे वर्ष ताकतवर बनी रहेगी। कई कार्यों को पूरा करने में सफल हो जाएंगे। इन लोगों को वाद-विवाद का भी सामना करना पड़ सकता है, लेकिन जीत आपकी होगी।
[९] धनु राशि-
ये राशि इस वर्ष सामान्य रहेगी। शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है। आर्थिक मामलों में भी कमजोरी रहेगी। घर-परिवार में भी इन लोगों की स्थिति कमजोर हो सकती है।
[१०] मकर राशि-
शनि इस राशि का स्वामी है। पूरे वर्ष शनि अपने शत्रु मंगल की राशि में रहेगा, लेकिन शनि की यह स्थिति मकर राशि के लिए लाभदायक रहेगी। निवेश लाभदायक रहेंगे। विरोधी परास्त होंगे। खुशियां बनी रहेंगी।
[११] कुंभ राशि-
इस राशि का स्वामी भी वर्ष का राजा शनि ही है। यह राशि पूरे वर्ष शक्तिशाली बनी रहेगी। लाभ की स्थितियां बनेंगी। योजनाएं सफल होंगी। लक्ष्य साधने में सफल होंगे। पुराने नुकसान की भरपाई होगी।
[१२] मीन राशि-

इस वर्ष यह राशि सामान्य रहेगी। राशि स्वामी गुरु की दृष्टि एवं जुलाई के बाद से गुरु का षष्ठम होना, सभी प्रकार से मंगलदायक रहेगा। आर्थिक स्थिति मजबूत रहेगी एवं करियर में लाभ प्राप्त होगा।

बीमारियों का मूल कारण

2. बीमारियों का मूल कारण क्या है ?
मैं आपको उन तीन मुख्य जवाब के बारे में बताने जा रहा हूँ जो स्वयं प्रभु ने दिया, परमात्मा ने दिया, दुनिया में उसका उत्तर नहीं है ।
मैने परमात्मा से तीन सवाल पूछेः-
सबसे पहला सवाल पूछा कि हे भगवान मुझे Cancer क्यों हुआ?
पहले प्रश्न के जवाब में प्रभु ने कहा कि
आपने Current नहीं लिया इसलिये आपको Cancer हो गया । इस प्रश्न का Answer उन्होने एक Line में दे दिया । मेरी समझ में नहीं आया कि कौन से Current की बात परमात्मा ने की है ? मैने उनसे पूछा कि आप कौन से Current की बात कर रहे है ? मैने दुनिया में तो Electric Current के बारे में सुना है, यह कौन सी Current है ? इसका परमात्मा ने जवाब दिया यह Spiritual Current है, जो स्वयं परमात्मा से आता है । इसको ही Spiritual Energy कहा जाता है । जैसे Electric Current को Electric Energy कहा जाता है, उसी तरह Spiritual Current को Spiritual Energy कहा जाता है ।
अ. एक Dead Body और एक Living Body में क्या फर्क है ?
It is the presence and absence of spiritual current. Dead Body में Organs नहीं हैं इसलिये Dead Body का कोई भी Part काम नहीं करता । मनुष्य के शरीर के अन्दर जितने भी Organs हैं उनमें चाहे Brain हो, जो कि शरीर में Computer की तरह है । चाहें हमारा Heart हो जो कि शरिर में Water Pump की तरह है । चाहें हमारा पेट, जो कि हमारे शरीर में Mixer Grinder की तरह है । इसी तरह हमारी Kidney हमारे शरीर में Water Filter की तरह है ।
ब. ये सारी Machines कौन से Current से चलती हैं ?
There is no electric current here. यह आत्मा के अन्दर ही परमात्मा का Spiritual Current है जो इस शरीर को चला रहा है एक Dead Body में वह Current नहीं है इसलिये वह काम नहीं कर रहा है।
Dead Body से आप आँख निकाल लीजिये, Kidney निकाल लीजिये और Living Body में उसको Transplant कर दीजिये, वही Organs काम करने लगेंगे, क्योंकि Spiritual Energy और Physical Energy में सिर्फ़ एक Difference है वह है कि मन Spiritual Energy का Part है और मन Physical Energy में नहीं होता ।
Physical Energy is the energy which is capable of doing only physical and mechanical work, and spiritual energy is the capacity of doing physical and mental work. जो Physical Energy है वो मानसिक कार्य नहीं कर सकती, सोचने का काम नहीं कर सकती, Robot Computer सोच नहीं सकते । यही Basic Difference है ।
जो परमात्मा ने मुझे Spiritual Energy के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि इस Current को लेना पड़ता है । मैने उनसे पूछाँ कि इस एनर्जी को उनसे क्यों लेना पड़ता है ? उन्होने कहा कि इस एनर्जी की Supply के बिना आपके Organs काम ही नहीं करेंगे ।

शुक्रवार, 20 मार्च 2015

परमात्मा कहाँ है

एक दिन जब मैं Bathroom में गया तो अपना चेहरा देख करके मैं खुद डर गया । चेहरा बिल्कुल काला हो गया था, आँखों के नीचे काले निशान हो गये थे तथा जैसे ही मैने अपना हाथ सिर पर रखा, मेरे सिर के सारे बाल मेरी मुठ्ठी में आ गए । मैने देखा कि पूरे के पूरे बाल निकल गये । मै आपना सिर टोपी से ढके रहता तथा लेट कर सोचते रहता कि मेरा क्या हाल हो गया ?
डर कर लोग मेरे पास आते, साँत्वना देते तथा ईश्वर की याद भी दिलाते, परन्तु पता नहीं मेरा ईश्वर से विश्वास क्यों उठ गया ? मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं क्या करुँ ? किसके ऊपर विश्वास करुँ ? तथा मेरे मन को क्या हो गया है ? मै मन ही मन सोंचता कि मैने कौन से पाप किये, कौन सी गलतियाँ कीं, कि मुझे एक नहीं ऐसी तीन-तीन बीमारियाँ अचानक ही आ गई । मेरा सब कुछ ठीक चल रहा था । न जाने क्यों मेरा शरीर जर-जर- होने लगा, शरीर को देख कर डर लगने लगा, हाँथो के नीचे गड्डे होने लगे, मेरा अपने आप से विश्वास उठ गया तथा परमात्मा से भी विश्वास उठ सा गया था ।
जब कोई मुझसे मिलने आता, यही पूँछता Chandra Shekhar ji आपको Cancer क्यों हुआ ? मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था । क्योंकि वो जानते थे कि मेरी Life Style Positive है । मेरे में कोई बुरी आदतें नहीं हैं, मै Positive सोचता था, फ़िर भी मुझे Cancer हुआ । मै अपने आप से तथा परमात्मा से भी यही सवाल पूछता कि आखिर मुझे Cancer क्यों हुआ ? परिवार वाले मुझसे आकर पूँछते कि अब आपका परमात्मा कहाँ है ? वह लोग कहते कि जिस ईश्वर पर आप इतना विश्वास करते हो, वो कहाँ है ? वो क्यों आपको ठीक नहीं कर देता ? उन लोगों के लिए मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था ।
मै अपने आप में इतना टूट गया था कि मैने अपने आप में मौन व्रत धारण कर लिया था । मेरा किसी से बात करने का मन नहीं करता और मेरा मन अकेले में रहने के लिए प्रोत्साहित करता । कोई मेरे से बात करने के लिये भी आता था, तो मै सोंचता था कि इससे मै क्या बात करुँ ? जब सब कुछ खत्म होता दिख रहा है तो क्या बात करुँ ? किससे बात करुँ ? परिवार के लोग आते और भले ही वह लोग मेरे मुँह पर मुझे साँत्वना देते । लेकिन मै देखता था कि वह भी अन्दर ही अन्दर से टूट चुके थे ।
मुझे परिवार की भी चिंता थी, भाई-बहन की भी चिंता थी, क्योंकि उनको मैं साथ में रखकर पढ़ाता था तथा सारा खर्चा भी वहन करता था । एक तरीके से उनकी पारिवारिक जिम्मेदारी मुझ पर ही बहुत ज्यादा थी। मै यही सोचता कि मेरे बाद उनका क्या होगा ? मै तो अब बचूँगा नहीं । शायद यही सोच मेरे परिवार वालों को भी थी । वो भी अन्दर ही अन्दर रोते थे और ईश्वर से प्रार्थना करते थे । वे मुझे दिखाते नही थे, कि वे भी रोते थे । लेकिन उनके चहरे देख कर मुझे सब पता चल जाता था। मैने बहुत ईश्वरीय सेवायें की और ईश्वर से यही उम्मीद करता था कि वह मुझे सदा निरोग रखे । लेकिन निरोगी रहने की बजाये मुझे रोग मिले । इससे जैसा मुझे लगा वैसा ही आपको भी लगेगा ।
कई लोग मुझसे पूँछते हैं कि आपका ईश्वर कहाँ है ? वो आपको ठीक क्यों नहीं कर देता है ? आप तो ईश्वर में विश्वास करते हैं । इसका मेरे पास कोई जवाब नही था । इस सबसे मै टूट चुका था । शायद मेरी Negativity इतनी बड़ गई थी कि दबा भी काम नहीं कर रही थी । यह सोच कर मै अपने आप में खो जाता तथा परमात्मा से तो मेरा बिल्कुल ही विश्वास उठ गया था । मैं यही सोचता था कि भगवान अब मेरे लिये है ही नहीं । जिस भगवान की मैने इतनी पूजा की, उसमें इतना ध्यान लगाया, और उसकी इतनी सेवाएँ की !
Dr. Chandra Shekhar की कहानी हम सभी के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है । ये इन्सान के सच्चे हौसले और विश्वास की सच्ची कहानी है, जो कि ईश्वर की आलौकिक शक्ति में हमारे विश्वास को सुद्रढ़ कर देगी । भारत में रहने वाले Dr. Chandra Shekhar का नाम आज पूरे विश्व में प्रख्यात है । आज वे जाने जाते हैं, अपने उपचारात्मक तकनीक Psycho Neurobics के लिये, जिसका उन्होंने विस्तार किया है ।
Dr. Chandra Shekhar हमारी तरह एक आम व्यक्ति की श्रेणी से उठ कर आगे की ओर अग्रसर हुए हैं । उन्होंने जिस पद्धति का अनुकरण किया, वह पाँच हजार साल पुरानी पद्धति है । यह पद्धति योग का एक हिस्सा रही है । इसमें ध्यान लगाकर बताई हुई हस्त मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है । जो कई रोगों के निदान में कारगर सिद्ध होती है । ऐसी ही मुद्रायें हमें भगवान कृष्ण और गोपियों द्वारा रची हुई रासलीला में देखने को मिलती हैं । जो कि ना सिर्फ़ आकर्षक है, बल्कि आरोग्यकारक मान्यता भी रखती है । ये मुद्राएँ हमारे तन, मन एवं आत्मा की संपन्नता को बढ़ावा देती हैं । Dr. Chandra Shekhar पर्याप्त समय लोगो से मिलने, उनकी समस्याओं को सुनने और Psycho Neurobics के माध्यम से उनका समाधान बताने में समर्पित करते हैं ।
Dr. Chandra Shekhar द्वारा विकसित Healing Current थेरेपी एक अदभुत मनोचिकित्सा है । Psycho Neurobics की तरह अलग अलग विकारों को दूर करने के लिए, अलग अलग रंग तय किये जाते हैं । जो उपचारात्मक सिद्ध होते हैं । विद्यार्थियों के लिये Dr. Chandra Shekhar के Memory Cards वरदान की तरह हैं । ये दिमाग को तेज और कुशाग्र बना कर एकाग्रता प्रदान करते हैं । Dr. Chandra Shekhar की पुस्तक 3rd Eye Healing Album में इन Memory Cards के बारे में सारी जानकारी है ।
“Dear Brothers & Sisters” - नमस्कार ! मैं Dr. Chandra Shekhar Tiwari, आइये मै Chandra Shekhar से Dr. Chandra Shekhar कैसे बना, ये आपको बताता हूँ । मैने कोई Medical College में पढ़ाई नहीं की है । लेकिन जिन्दगी की पढ़ाई की और मौत का सामना भी किया तथा मौत के मुँह से वापस आया । मै आपको आज वो हकीकत बताने जा रहा हूँ, जिसके द्वारा पहली बार Healing Science का जन्म हुआ और उस Science का नाम है Psycho Neurobics.
मैने October 1984 में अपने Carrier की शुरुआत भारतीय वायु सेना Join करके अपने कैरियर की शुरूआत की । बहुत अच्छा लगा, बहुत अच्छी Training भी मिली । 1991 में जब मै अम्बाला कैन्ट में Posted हुआ तो वहाँ पर मुझे एक और नई शिक्षा मिली । वहाँ मै प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईशवरीय विश्व विद्यालय के सम्पर्क में आया । जहाँ मैने राज योग Meditation सीखा । राज योग Meditation से मेरे जीवन में बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन आये । Positive Life Style हो गयी । जिन्दगी बहुत ही अच्छी तरह से कटने लगी। जिन्दगी में ऐसा लगा कि Tension है ही नहीं । परमात्मा की याद से जीवन बहुत ही अच्छा हो गया।
मैने काफी ईश्वरीय सेवाएँ भी की । लोगों को एक नयी दिशा भी दी । लोगों को सकारात्मक जीवन जीने की कला भी सिखाई । लेकिन अचानक December 1998 में मुझे कुछ Physical Uncomfortablity फील होने लगी । मेरा वजन भी कम होने लगा । अन्दर दर्द भी बढ़ने लगा
तो मैने Doctors को Report किया । Doctors ने मुझे सलाह दी की आपका Operation करना पड़ेगा, घबराने की कोई बात नहीं है, ये Normal Operation है । मै Hospital में Admit हो गया । Doctors ने Operation भी कर दिया । Operation के 24 घन्टे (Hours) के बाद उन्होंने मुझे तथा मेरी Family को बुलाया एवं कहा कि आपको Cancer है ।
Purifying Physco Neurobics - वरुण मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाँथ की छोटी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को मिलाये, बाकी की तीन ऊँगलीयाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त वरुण मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नारंगी है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे नारंगी रंग का ध्यान करें । यह मुद्रा भावनाओं और विचारों को पवित्रता प्रदान करती है ।
Physco Neurobics में वरुण मुद्रा के लाभ :
1.वरुण मुद्रा शरीर के जल तत्वों को शुद्ध करने में मदद करती है “This helps in purifying water elements in the body”
2. ये रक्त क्रिया में शुद्धि कर चेहरे में निखार लाती है “This aids in the purification in the blood imparting a healthy glow to the face”
3. त्वचा के दाग, धव्वों को भी ठीक करती है “It also helps eliminating marks, pimples & blemishes on skin”
4. वरुण मुद्रा Urine संबधित विकारों के निदान मे सहयोगी है “It is helpful in curing urine related ailments”
8. Purifying Physco Neurobics - इन्द्र मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनो हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें, अपने हाँथ की छोटी ऊँगली को मोड़ कर अँगूठे के नीचे दवाये, ऊँगली को अँगूठे से हलके से दवाते हुए बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त इन्द्र मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नारंगी है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे निर्मल नारंगी रंग का ध्यान करें । अपने मन और शरीर में शुद्धता का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में इन्द्र मुद्रा के लाभ :
1. इन्द्र मुद्रा के कई लाभ हैं शरीर में जल तत्वों के संग्रह की रोक थाम करती है तथा पैरों की सूजन को कम करने में मदद करती है । “It control water retention in the body & helps cure swelling in legs”
2. यह मुद्रा खाँसी, सर्दी और त्वचा से सम्बन्धित रोगों को दूर करती है । “This mudra also curbs cough, cold & prevents skin disorder”
9. Enlightening Physco Neurobics - प्राण मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है । अपनी छोटी ऊँगली, तीसरी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें । बाकी की दो ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । अपने मुख से की ध्वनि निकालते हुए अपना ध्यान प्रारम्भ करे, कंठ से निकलती की ध्वनि गहरी, निरन्तर और सहज होनी चाहिये । ईश्वर द्वारा प्राप्त प्राण मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग गहरा नीला है । अपने मुख से का उच्चारण करते हुए अपने मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे नीले रंग का ध्यान करें, इससे मानसिक जागरुकता में वृद्धि होगी और इससे बुद्धि कुशाग्र होती है ।
Physco Neurobics में प्राण मुद्रा के लाभ :
1.यह क्रिया शरीर को विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है । “This helps in releasing toxins from the body”
2. शरीर की सूक्ष्म रूप से सफ़ाई कर Neuro Muscular गति विधि को नियन्त्रित करती है । “It detoxifies the cells & also controls neuro-muscular movements”
3. प्राण मुद्रा सही मायनों में प्राण दायक है क्योंकि यह कई प्रकार के रोगों एवं विकारों का निदान करने में मदद करती है और शरीर में ऊर्जा की हानि को कम करने में सहायक है । “Pran mudra is literally “Life Force”, as it helps cure almost all ailments & cuts energy loss in the body”
Physco Neurobics की इस मुद्रा का अभ्यास केवल खाली पेट ही करना उचित है
उन्होंने Example दिया कि जैसे घर में Low Voltage हो जाता है या Current नहीं आता है तो घर की विभिन्न Machines काम नहीं करतीं हैं । उसी तरह शरीर के अन्दर जब Current का Flow कम हो जाता है, तो Voltage भी कम हो जाता है । इससे शरीर के अन्दर की विभिन्न Machines काम नहीं करतीं हैं । For Example, अगर Heart Beat Slow हो जाये तो हमारा Blood Pressure - Low होने लगेगा । जिस तरीके से अगर Low Voltage है तो Water Pump काम नहीं करता उसी तरह Low Flow of Energy - Heart को ठीक से नहीं चला सकती ।
इसका Solutions Medical Science में क्या है ? डाक्टर इसके लिए Pace-Maker लगा देते हैं । Pace Maker - Voltage को Stablise कर देता है तो इससे Heart काम करने लगता है । जैसे हमारे घर में Voltage Down हो जाता है तो हम Stablizer लगा देते हैं । सिर्फ़ Pace Maker - Spiritual Energy पैदा नहीं कर सकता है । एक Dead Body में Pace Maker काम नहीं करेगा । Dead Body में Dialysis नहीं होगा, Because there is no spiritual energy क्योंकि उसमें कोई Spiritual Energy नहीं है । तो परमात्मा ने मुझे जवाब दिया कि इस Curent को लेना पड़ता है, इसके लेने का जो तरीका है उसमें मन को Connect करना पड़ता है । क्योंकि मन एक Regulator है जो परमात्मा से Energy लेता है और Brain में उसको Transfer करता है । Brain से वही Energy - Spinal Cord से होते हुए शरीर के सब अंगो में जाती है।
मन Spiritual Energy को Body में Regulate कैसे करता है तथा इसको Brain में Transfer कैसे करता है ? मै इसको बहुत ही आसान Example के द्वारा समझाता हूँ । मन एक Regulator की तरह काम करता है, परमात्मा रूपी Generator से आत्मा रूपी Power House में Spiritual Energy का Flow होता है, यही कारण है कि आत्मा को SELF कहा जाता है । SELF एक Acronym (परिवर्णी शब्द) है । इस शब्द में S=Spiritual, E=Energy, L=Light, F=Form से अक्षर आतें है । इसका पूर्ण मतलब हुआ Spiritual Energy in Light Form. यह Brain के अन्दर Hypothalamus (अधःश्चेतक) के अन्दर रहती है । यह उस Place का नाम जहॉ पर आत्मा निवास करती है, इसे Neuroendocrine Axis भी कहते हैं । वहीं से सारी Energy का Distribution होता है । यह Distribution मन के द्वारा होता है । मन एक Regulator की तरह है जो Energy को Brain में प्रवाहित करता है । यह सब शरीर में कैसे होता है ?
इसको मैं एक Example के द्वारा समझाता हूँ । मान लीजिये आप Park में Early Morning चक्कर लगा रहे हैं । चार चक्कर लगाने के बाद आप थक गये हैं तथा आप Bench पर बैठ गये । बैठने के बाद बिचार आया कि मैं थक गया । जैसे ही ये बिचार मन में आया आपकी Energy - Withdraw हो गई तथा आप Relax हो गये । आप सोंचने लगे कि बस थोड़ा श्वाँस ले लें । अब आप में टहलने की हिम्मत नहीं है ।

लेकिन ठीक उसी समय एक पागल कुत्ता दिखाई दे । जिसने एक व्यक्ति को काट लिया है । उसके मुँह में खून लगा हुआ है तथा वह आपकी तरफ़ बड़ते हुए आ रहा है । वह आपके पास आ गया है, अब आप क्या करेंगे ? क्या आप कुत्ते को बोलेंगे कि नहीं नहीं अभी मैं थका हुआ हूँ, मुझे मत काटना । नहीं, आपके मन में विचार आएगा कि भागो । जैसे ही ये विचार आपके मन में आएगा, आपके शरीर के अन्दर Spiritual Energy का Flow कण-कण में हो जाएगा । आप बिजली की तरह भाग जायेंगे । उस समय की Timing को यदि Record किया जाए तो वह शायद आपका World Record भी हो सकता है । इतनी बड़ी ताकत या Energy कहाँ से आई ? यह आपके सिर्फ़ एक विचार से आयी कि भागो ! भागो भी एक विचार है, थक गया हूँ, ये भी एक विचार है, दोनों विचारों में जमीन आँसमान का अन्तर है ।जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय जय सियाराम