शुक्रवार, 20 मार्च 2015

परमात्मा कहाँ है

एक दिन जब मैं Bathroom में गया तो अपना चेहरा देख करके मैं खुद डर गया । चेहरा बिल्कुल काला हो गया था, आँखों के नीचे काले निशान हो गये थे तथा जैसे ही मैने अपना हाथ सिर पर रखा, मेरे सिर के सारे बाल मेरी मुठ्ठी में आ गए । मैने देखा कि पूरे के पूरे बाल निकल गये । मै आपना सिर टोपी से ढके रहता तथा लेट कर सोचते रहता कि मेरा क्या हाल हो गया ?
डर कर लोग मेरे पास आते, साँत्वना देते तथा ईश्वर की याद भी दिलाते, परन्तु पता नहीं मेरा ईश्वर से विश्वास क्यों उठ गया ? मुझे समझ में नहीं आता था कि मैं क्या करुँ ? किसके ऊपर विश्वास करुँ ? तथा मेरे मन को क्या हो गया है ? मै मन ही मन सोंचता कि मैने कौन से पाप किये, कौन सी गलतियाँ कीं, कि मुझे एक नहीं ऐसी तीन-तीन बीमारियाँ अचानक ही आ गई । मेरा सब कुछ ठीक चल रहा था । न जाने क्यों मेरा शरीर जर-जर- होने लगा, शरीर को देख कर डर लगने लगा, हाँथो के नीचे गड्डे होने लगे, मेरा अपने आप से विश्वास उठ गया तथा परमात्मा से भी विश्वास उठ सा गया था ।
जब कोई मुझसे मिलने आता, यही पूँछता Chandra Shekhar ji आपको Cancer क्यों हुआ ? मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था । क्योंकि वो जानते थे कि मेरी Life Style Positive है । मेरे में कोई बुरी आदतें नहीं हैं, मै Positive सोचता था, फ़िर भी मुझे Cancer हुआ । मै अपने आप से तथा परमात्मा से भी यही सवाल पूछता कि आखिर मुझे Cancer क्यों हुआ ? परिवार वाले मुझसे आकर पूँछते कि अब आपका परमात्मा कहाँ है ? वह लोग कहते कि जिस ईश्वर पर आप इतना विश्वास करते हो, वो कहाँ है ? वो क्यों आपको ठीक नहीं कर देता ? उन लोगों के लिए मेरे पास उनकी बातों का कोई जवाब नहीं था ।
मै अपने आप में इतना टूट गया था कि मैने अपने आप में मौन व्रत धारण कर लिया था । मेरा किसी से बात करने का मन नहीं करता और मेरा मन अकेले में रहने के लिए प्रोत्साहित करता । कोई मेरे से बात करने के लिये भी आता था, तो मै सोंचता था कि इससे मै क्या बात करुँ ? जब सब कुछ खत्म होता दिख रहा है तो क्या बात करुँ ? किससे बात करुँ ? परिवार के लोग आते और भले ही वह लोग मेरे मुँह पर मुझे साँत्वना देते । लेकिन मै देखता था कि वह भी अन्दर ही अन्दर से टूट चुके थे ।
मुझे परिवार की भी चिंता थी, भाई-बहन की भी चिंता थी, क्योंकि उनको मैं साथ में रखकर पढ़ाता था तथा सारा खर्चा भी वहन करता था । एक तरीके से उनकी पारिवारिक जिम्मेदारी मुझ पर ही बहुत ज्यादा थी। मै यही सोचता कि मेरे बाद उनका क्या होगा ? मै तो अब बचूँगा नहीं । शायद यही सोच मेरे परिवार वालों को भी थी । वो भी अन्दर ही अन्दर रोते थे और ईश्वर से प्रार्थना करते थे । वे मुझे दिखाते नही थे, कि वे भी रोते थे । लेकिन उनके चहरे देख कर मुझे सब पता चल जाता था। मैने बहुत ईश्वरीय सेवायें की और ईश्वर से यही उम्मीद करता था कि वह मुझे सदा निरोग रखे । लेकिन निरोगी रहने की बजाये मुझे रोग मिले । इससे जैसा मुझे लगा वैसा ही आपको भी लगेगा ।
कई लोग मुझसे पूँछते हैं कि आपका ईश्वर कहाँ है ? वो आपको ठीक क्यों नहीं कर देता है ? आप तो ईश्वर में विश्वास करते हैं । इसका मेरे पास कोई जवाब नही था । इस सबसे मै टूट चुका था । शायद मेरी Negativity इतनी बड़ गई थी कि दबा भी काम नहीं कर रही थी । यह सोच कर मै अपने आप में खो जाता तथा परमात्मा से तो मेरा बिल्कुल ही विश्वास उठ गया था । मैं यही सोचता था कि भगवान अब मेरे लिये है ही नहीं । जिस भगवान की मैने इतनी पूजा की, उसमें इतना ध्यान लगाया, और उसकी इतनी सेवाएँ की !
Dr. Chandra Shekhar की कहानी हम सभी के लिये प्रेरणा का स्त्रोत है । ये इन्सान के सच्चे हौसले और विश्वास की सच्ची कहानी है, जो कि ईश्वर की आलौकिक शक्ति में हमारे विश्वास को सुद्रढ़ कर देगी । भारत में रहने वाले Dr. Chandra Shekhar का नाम आज पूरे विश्व में प्रख्यात है । आज वे जाने जाते हैं, अपने उपचारात्मक तकनीक Psycho Neurobics के लिये, जिसका उन्होंने विस्तार किया है ।
Dr. Chandra Shekhar हमारी तरह एक आम व्यक्ति की श्रेणी से उठ कर आगे की ओर अग्रसर हुए हैं । उन्होंने जिस पद्धति का अनुकरण किया, वह पाँच हजार साल पुरानी पद्धति है । यह पद्धति योग का एक हिस्सा रही है । इसमें ध्यान लगाकर बताई हुई हस्त मुद्राओं का प्रयोग किया जाता है । जो कई रोगों के निदान में कारगर सिद्ध होती है । ऐसी ही मुद्रायें हमें भगवान कृष्ण और गोपियों द्वारा रची हुई रासलीला में देखने को मिलती हैं । जो कि ना सिर्फ़ आकर्षक है, बल्कि आरोग्यकारक मान्यता भी रखती है । ये मुद्राएँ हमारे तन, मन एवं आत्मा की संपन्नता को बढ़ावा देती हैं । Dr. Chandra Shekhar पर्याप्त समय लोगो से मिलने, उनकी समस्याओं को सुनने और Psycho Neurobics के माध्यम से उनका समाधान बताने में समर्पित करते हैं ।
Dr. Chandra Shekhar द्वारा विकसित Healing Current थेरेपी एक अदभुत मनोचिकित्सा है । Psycho Neurobics की तरह अलग अलग विकारों को दूर करने के लिए, अलग अलग रंग तय किये जाते हैं । जो उपचारात्मक सिद्ध होते हैं । विद्यार्थियों के लिये Dr. Chandra Shekhar के Memory Cards वरदान की तरह हैं । ये दिमाग को तेज और कुशाग्र बना कर एकाग्रता प्रदान करते हैं । Dr. Chandra Shekhar की पुस्तक 3rd Eye Healing Album में इन Memory Cards के बारे में सारी जानकारी है ।
“Dear Brothers & Sisters” - नमस्कार ! मैं Dr. Chandra Shekhar Tiwari, आइये मै Chandra Shekhar से Dr. Chandra Shekhar कैसे बना, ये आपको बताता हूँ । मैने कोई Medical College में पढ़ाई नहीं की है । लेकिन जिन्दगी की पढ़ाई की और मौत का सामना भी किया तथा मौत के मुँह से वापस आया । मै आपको आज वो हकीकत बताने जा रहा हूँ, जिसके द्वारा पहली बार Healing Science का जन्म हुआ और उस Science का नाम है Psycho Neurobics.
मैने October 1984 में अपने Carrier की शुरुआत भारतीय वायु सेना Join करके अपने कैरियर की शुरूआत की । बहुत अच्छा लगा, बहुत अच्छी Training भी मिली । 1991 में जब मै अम्बाला कैन्ट में Posted हुआ तो वहाँ पर मुझे एक और नई शिक्षा मिली । वहाँ मै प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईशवरीय विश्व विद्यालय के सम्पर्क में आया । जहाँ मैने राज योग Meditation सीखा । राज योग Meditation से मेरे जीवन में बहुत ही सकारात्मक परिवर्तन आये । Positive Life Style हो गयी । जिन्दगी बहुत ही अच्छी तरह से कटने लगी। जिन्दगी में ऐसा लगा कि Tension है ही नहीं । परमात्मा की याद से जीवन बहुत ही अच्छा हो गया।
मैने काफी ईश्वरीय सेवाएँ भी की । लोगों को एक नयी दिशा भी दी । लोगों को सकारात्मक जीवन जीने की कला भी सिखाई । लेकिन अचानक December 1998 में मुझे कुछ Physical Uncomfortablity फील होने लगी । मेरा वजन भी कम होने लगा । अन्दर दर्द भी बढ़ने लगा
तो मैने Doctors को Report किया । Doctors ने मुझे सलाह दी की आपका Operation करना पड़ेगा, घबराने की कोई बात नहीं है, ये Normal Operation है । मै Hospital में Admit हो गया । Doctors ने Operation भी कर दिया । Operation के 24 घन्टे (Hours) के बाद उन्होंने मुझे तथा मेरी Family को बुलाया एवं कहा कि आपको Cancer है ।
Purifying Physco Neurobics - वरुण मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाँथ की छोटी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को मिलाये, बाकी की तीन ऊँगलीयाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त वरुण मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नारंगी है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे नारंगी रंग का ध्यान करें । यह मुद्रा भावनाओं और विचारों को पवित्रता प्रदान करती है ।
Physco Neurobics में वरुण मुद्रा के लाभ :
1.वरुण मुद्रा शरीर के जल तत्वों को शुद्ध करने में मदद करती है “This helps in purifying water elements in the body”
2. ये रक्त क्रिया में शुद्धि कर चेहरे में निखार लाती है “This aids in the purification in the blood imparting a healthy glow to the face”
3. त्वचा के दाग, धव्वों को भी ठीक करती है “It also helps eliminating marks, pimples & blemishes on skin”
4. वरुण मुद्रा Urine संबधित विकारों के निदान मे सहयोगी है “It is helpful in curing urine related ailments”
8. Purifying Physco Neurobics - इन्द्र मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनो हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें, अपने हाँथ की छोटी ऊँगली को मोड़ कर अँगूठे के नीचे दवाये, ऊँगली को अँगूठे से हलके से दवाते हुए बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त इन्द्र मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नारंगी है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे निर्मल नारंगी रंग का ध्यान करें । अपने मन और शरीर में शुद्धता का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में इन्द्र मुद्रा के लाभ :
1. इन्द्र मुद्रा के कई लाभ हैं शरीर में जल तत्वों के संग्रह की रोक थाम करती है तथा पैरों की सूजन को कम करने में मदद करती है । “It control water retention in the body & helps cure swelling in legs”
2. यह मुद्रा खाँसी, सर्दी और त्वचा से सम्बन्धित रोगों को दूर करती है । “This mudra also curbs cough, cold & prevents skin disorder”
9. Enlightening Physco Neurobics - प्राण मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है । अपनी छोटी ऊँगली, तीसरी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें । बाकी की दो ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । अपने मुख से की ध्वनि निकालते हुए अपना ध्यान प्रारम्भ करे, कंठ से निकलती की ध्वनि गहरी, निरन्तर और सहज होनी चाहिये । ईश्वर द्वारा प्राप्त प्राण मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग गहरा नीला है । अपने मुख से का उच्चारण करते हुए अपने मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे नीले रंग का ध्यान करें, इससे मानसिक जागरुकता में वृद्धि होगी और इससे बुद्धि कुशाग्र होती है ।
Physco Neurobics में प्राण मुद्रा के लाभ :
1.यह क्रिया शरीर को विषैले तत्वों से मुक्ति दिलाने में मदद करती है । “This helps in releasing toxins from the body”
2. शरीर की सूक्ष्म रूप से सफ़ाई कर Neuro Muscular गति विधि को नियन्त्रित करती है । “It detoxifies the cells & also controls neuro-muscular movements”
3. प्राण मुद्रा सही मायनों में प्राण दायक है क्योंकि यह कई प्रकार के रोगों एवं विकारों का निदान करने में मदद करती है और शरीर में ऊर्जा की हानि को कम करने में सहायक है । “Pran mudra is literally “Life Force”, as it helps cure almost all ailments & cuts energy loss in the body”
Physco Neurobics की इस मुद्रा का अभ्यास केवल खाली पेट ही करना उचित है
उन्होंने Example दिया कि जैसे घर में Low Voltage हो जाता है या Current नहीं आता है तो घर की विभिन्न Machines काम नहीं करतीं हैं । उसी तरह शरीर के अन्दर जब Current का Flow कम हो जाता है, तो Voltage भी कम हो जाता है । इससे शरीर के अन्दर की विभिन्न Machines काम नहीं करतीं हैं । For Example, अगर Heart Beat Slow हो जाये तो हमारा Blood Pressure - Low होने लगेगा । जिस तरीके से अगर Low Voltage है तो Water Pump काम नहीं करता उसी तरह Low Flow of Energy - Heart को ठीक से नहीं चला सकती ।
इसका Solutions Medical Science में क्या है ? डाक्टर इसके लिए Pace-Maker लगा देते हैं । Pace Maker - Voltage को Stablise कर देता है तो इससे Heart काम करने लगता है । जैसे हमारे घर में Voltage Down हो जाता है तो हम Stablizer लगा देते हैं । सिर्फ़ Pace Maker - Spiritual Energy पैदा नहीं कर सकता है । एक Dead Body में Pace Maker काम नहीं करेगा । Dead Body में Dialysis नहीं होगा, Because there is no spiritual energy क्योंकि उसमें कोई Spiritual Energy नहीं है । तो परमात्मा ने मुझे जवाब दिया कि इस Curent को लेना पड़ता है, इसके लेने का जो तरीका है उसमें मन को Connect करना पड़ता है । क्योंकि मन एक Regulator है जो परमात्मा से Energy लेता है और Brain में उसको Transfer करता है । Brain से वही Energy - Spinal Cord से होते हुए शरीर के सब अंगो में जाती है।
मन Spiritual Energy को Body में Regulate कैसे करता है तथा इसको Brain में Transfer कैसे करता है ? मै इसको बहुत ही आसान Example के द्वारा समझाता हूँ । मन एक Regulator की तरह काम करता है, परमात्मा रूपी Generator से आत्मा रूपी Power House में Spiritual Energy का Flow होता है, यही कारण है कि आत्मा को SELF कहा जाता है । SELF एक Acronym (परिवर्णी शब्द) है । इस शब्द में S=Spiritual, E=Energy, L=Light, F=Form से अक्षर आतें है । इसका पूर्ण मतलब हुआ Spiritual Energy in Light Form. यह Brain के अन्दर Hypothalamus (अधःश्चेतक) के अन्दर रहती है । यह उस Place का नाम जहॉ पर आत्मा निवास करती है, इसे Neuroendocrine Axis भी कहते हैं । वहीं से सारी Energy का Distribution होता है । यह Distribution मन के द्वारा होता है । मन एक Regulator की तरह है जो Energy को Brain में प्रवाहित करता है । यह सब शरीर में कैसे होता है ?
इसको मैं एक Example के द्वारा समझाता हूँ । मान लीजिये आप Park में Early Morning चक्कर लगा रहे हैं । चार चक्कर लगाने के बाद आप थक गये हैं तथा आप Bench पर बैठ गये । बैठने के बाद बिचार आया कि मैं थक गया । जैसे ही ये बिचार मन में आया आपकी Energy - Withdraw हो गई तथा आप Relax हो गये । आप सोंचने लगे कि बस थोड़ा श्वाँस ले लें । अब आप में टहलने की हिम्मत नहीं है ।

लेकिन ठीक उसी समय एक पागल कुत्ता दिखाई दे । जिसने एक व्यक्ति को काट लिया है । उसके मुँह में खून लगा हुआ है तथा वह आपकी तरफ़ बड़ते हुए आ रहा है । वह आपके पास आ गया है, अब आप क्या करेंगे ? क्या आप कुत्ते को बोलेंगे कि नहीं नहीं अभी मैं थका हुआ हूँ, मुझे मत काटना । नहीं, आपके मन में विचार आएगा कि भागो । जैसे ही ये विचार आपके मन में आएगा, आपके शरीर के अन्दर Spiritual Energy का Flow कण-कण में हो जाएगा । आप बिजली की तरह भाग जायेंगे । उस समय की Timing को यदि Record किया जाए तो वह शायद आपका World Record भी हो सकता है । इतनी बड़ी ताकत या Energy कहाँ से आई ? यह आपके सिर्फ़ एक विचार से आयी कि भागो ! भागो भी एक विचार है, थक गया हूँ, ये भी एक विचार है, दोनों विचारों में जमीन आँसमान का अन्तर है ।जय सियाराम जय सियाराम जय सियाराम जय जय सियाराम

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