रविवार, 17 सितंबर 2017

हिंदी दिवस पर हिंदी को मेरा नमन ।



अनेकानेक भाषाओं की भगिनी राष्ट्र भारती हिन्दी है,
मातृभूमि के विशद भाल की यह तो अनुपम बिन्दी है।
चाहे कुछ भी कह ले भाई यह जन जन की बोली है,
उत्तर-दक्षिण सभी दिशाओं में मिश्री इसने घोली है।
हिन्दी दिवस की अनन्त शुभकामनाए

हिंदी दिवस पर हिंदी को मेरा नमन ।

हिंदी को मेरे शब्दों का एक तुच्छ सा उपहार।

याद फिर से हमे हिंदी आ ने लगी
छन्दों की लय यति हमको भाने लगी
भूल पाए नं हम वर्णो की माला को
शब्दो के गीत मैं गुनगुनाने लगी
तुलसी ने बैरवे जो रामायण लिखी
दे रही सीख वो ज्ञान की आज भी
सूर के श्याम की बंसी ऐसी बजी
हो दीवानी भजन मीरा गाने लगी
हिंदी में वेदों का सार सारा लिखा
हिंदी में मंत्र और वेदों की ऋचा
हिंदी में तप कवि सारे कुंदन बने
हिंदी ही अब मेरे मन को भाने लगी
आ पढ़े हिंदी को हिंदी को मान दे
खो गई जो कही इसकी पहचान दे
आ बसा ले इसे दिल मे फिर से सभी
हिंदी ही अब मुझे रास आने लगी।
क ख ग घ ....
क्या लिखूं इन शब्दों को ..
#पहचान लिखू या
#अपना नाम लिखूं..
सब कुछ है सूना..
इन शब्दों के बिना..
हम अपनी ##हिंदी भाषा का..
बोले कैसे #सम्मान लिखू ..
गर ये जो शब्द नही होते ..
तो हम न #ज्ञानी न #पंडित होते..
हम #हिंदी है हम #हिन्दू है ..
हम #हिंदी से हिंदुस्तान बने ,,
है अपनी #मातृभाषा का ..
हम ##हिंदी का सम्मान करें,,,





🙏🏻🖌🖌 *
🙏🏻 *🐾मनुष्य की वास्तविक पूंजी धन नहीं,*
*बल्कि उसके विचार हैं,*
*क्यों कि धन तो खरीदारी में*
*दूसरों के पास चला जाता हैं,*
*पर विचार अपने पास ही रहते हैं !🌹*

*🐾अच्छा काम करते रहो कोई*
*सम्मान करे,*
*या न करे, सूर्योदय तब भी होता हैं,*
*जब करोड़ों, लोग सोये होते हैं !!
💐 *सुप्रभात* 💐






अविरल झरने की भांति ही
हे मानव तुम भी बह जाना
राहों में संकट मिले अगर
उनसे न कभी तुम घबराना
बन जाना पाथेय निर्बल का
पा विजय कभी न इतराना
है पंच तत्व की देह तेरी
आखिर इसमे ही मिल जाना ।।/



देवनागरी है इसकी लिपि
संस्कृत है इसकी जननी
हर साहित्य की है ये ज्ञाता
इसकी सुंदर सरल है भाषा
प्रेम अपनापन सौन्दर्य है इसका
दिलाना सम्मान कर्तव्य है हम सबका
*हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकमनाएं*