धर्मोपदेश





आइये जाने सनातन धर्म को !यह क्या है ? इसकी उत्पत्ति कैसे हुई ?इसका विस्तार क्या है ?इसकी शिक्षा या उपदेश  क्या है ?कैसे यह संसार के अन्य धर्मो से श्रेष्ठ है ?ऐसी विभिन्न जिज्ञासाओ को शांत करने के लिए हमें अपने धर्म को स्थूल और सूक्ष्म दोनों रूपों में समझना होगा !
         धर्म एक शब्द मात्र न हो कर सम्पूर्ण मानव जाति के सर्वांगीन विकास ,उत्थान और सम्रद्धि के पथ प्रदर्शक की भूमिका निभाता है !शास्त्रों में धर्म को "धारणाद धर्म:"के रूप में परिभाषित किया गया है !सनातन का अर्थ है -नित्य ,अनादि,अनन्त ,अविनाशी ,सत्य !आखिर यह सनातन क्यों है ?क्यों कि संसार के अन्य सभी धर्मो की स्थापना ईश्वर पुत्रों ने की है जब कि सनातन धर्म की स्थापना परमेश्वर  ने की है !सनातन धर्म को निम्नलिखित विग्रह से समझा जा सकता है -
                               सना सदा भव:सनातन :,सनातनं करोति इति सनातनयति,
                               सनातनयतीति सनातन !सनातनश्चासो धर्म: इतिसनातन धर्म:!  
यह सनातन केवल इसलिए नहीं क्योकि यह सनातन परमात्मा द्वारा स्थापित है !यह धर्म सनातन इसलिए भी नहीं है क्योकि यह स्वयं में अविनाशी है ,अपितु यह सनातन इसलिए है क्योकि इस धर्म में विश्वास रखने वाला व इस धर्म पर चलने वाला भी सनातन हो जाता है !यह धर्म अपने अनुयायियों को भी अमर बना देता है !सनातन धर्म के मार्ग पर चलने वाला अपने नित्य शुद्ध बुध मुक्त सच्चिदानंद स्वरूप का साक्षातकार करके परमात्मा के साथ एक हो जाता है ! मनु ने कहा है  -
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ! अर्थात हनन किया हुआ धर्म प्रजा को भी मार देता है और रक्षित हुआ धर्म लोगो की भी रक्षा करता है
भगवन शिव ने पारवती जी से धर्म के सन्दर्भ में कहा है कि-
           अहिंसा परमो धर्मो हयहिंसा परमं सुखम ! अहिंसा धर्मशास्त्रेषु सर्वेषु परमं पदम्  !!
अर्थात अहिंसा परम धर्म है ,अहिंसा परम सुख है सम्पूर्ण धर्म शास्त्रों में अहिंसा को परम पद वताया गया है !
हिन्दू धर्म के प्रमुख आधार ग्रन्थ निम्नलिखित हैं :-वेद ,वेदांग ,उपवेद ,इतिहास और पुराण ,स्मृतियाँ ,दर्शन ,निबन्ध तथा आगम !
वेद  अनादि ,शास्वत ब्रह्म ज्ञान है इसका कोई निर्माता नहीं है !वेद चार है :-१ -ऋग्वेद 2-यजुर्वेद ३- सामवेद ४-अथर्ववेद !वेद के छ: भाग है :१ -मन्त्र संहिता 2-ब्राह्मण ग्रन्थ ३-आरण्यक ४-सूत्र ग्रन्थ ५-प्रातिशाख्य ६-अनुक्रमणी !प्रत्येक वेद का एक उपवेद है -ऋग्वेद का अर्थवेद ,यजुर्वेद का धनुर्वेद ,सामवेद का गन्धर्व वेद और अथर्ववेद का आयुर्वेद है !वेद के छ: अंग मने गए है १-ज्योतिष ,2-निरुक्त ,३-शिक्षा,४-व्याकरण ,५-कल्प ,६-छंद !

हिन्दू धर्म में पुराणों की संख्या अठ्ठारह है जो निम्नवत है -१-ब्रह्म पुराण ,2-पद्मपुराण ,३-विष्णुपुराण ,४-शिवपुराण /वायुपुराण ,५-श्रीमद्भागवत ,६-नारदीय पुराण ,७-मार्कन्डेय पुराण ,८-अग्निपुराण ,९-भविष्य पुराण ,१०-ब्रह्मवैवर्तपुराण ,११-लिंग पुराण ,१२-वराह पुराण ,१३-स्कन्दपुराण ,१४- वामन पुराण ,१५-कूर्म पुराण ,१६-मत्स्य पुराण ,१७-गरुण पुराण ,१८-ब्रह्माण्ड पुराण !
हिन्दू धर्म में दर्शन शास्त्र की छ: शाखाएं है -१-वैशेषिक ,2-सांख्य ,३-योग ,४-न्याय ,५-पूर्व मीमांसा ,६-उत्तर मीमांसा !
वेदों से ले कर निबन्ध ग्रंथों तक की परम्परा निगम कहलाती है जबकि दूसरी अनादि परम्परा आगम कहलाती है जो कि तंत्र ग्रंथों से सम्बंधित है !आगम शास्त्र के दो भाग है -दक्षिणागम और वामागम !
हिन्दू धर्म में तिन मुख्य सम्प्रदाय है -वैष्णव सम्प्रदाय ,शैव सम्प्रदाय ,शाक्त सम्प्रदाय !
रामायण ,महाभारत ,श्रीमद्भागवत गीता ,रामचरितमानस इतिहास ग्रंथों में शामिल किये जाते हैं !

   

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