शनिवार, 13 सितंबर 2014

पासपोर्ट बनवाना

पासपोर्ट बनवाना आजकल अधिकतर लोगों की आवश्यकता बन चुका है, क्योंकि बड़ी संख्या में लोग विदेश जाने की लालसा रखते हैं। जहां पहले पासपोर्ट बनवाने के लिए एजैंटों का सहारा लिया जाता था और उन्हें भारी भरकम फीस अदा करनी पड़ती थी, वहीं अब पासपोर्ट बनवाना इतना आसान हो गया है कि सामान्य रूप से 4 सप्ताह में पासपोर्ट बनकर आवेदक के घर पहुंच जाता है। यह बात आज यहां एक विशेष भेंट वार्ता के दौरान क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी राकेश अग्रवाल ने कही।
सेवा केंद्रों में काम पूरा पारदर्शी---

अग्रवाल ने बताया कि क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय चंडीगढ़ तथा इसके अधीन काम कर रहे पासपोर्ट सेवा केंद्र अम्बाला व लुधियाना में पूरा कामकाज पारदर्शी तरीके से किया जाता है। पासपोर्ट का प्रारंभिक कामकाज टाटा कंसल्टैंसी सर्विस द्वारा करवाया जाता है। किसी भी व्यक्ति को अपना पासपोर्ट बनवाने के लिए जन्म प्रमाण पत्र, मौजूदा रिहायश प्रमाण पत्र तथा फोटो सहित कोई पहचान पत्र की जरूरत पड़ती है।
मात्र 40 मिनट में फार्म मुक्कमल
राकेश अग्रवाल ने कहा कि उनका यही प्रयास रहा है कि लोगों के दिल से यह डर निकाला जाए कि पासपोर्ट बनवाना बहुत कठिन है। उन्होंने बताया कि आवेदक को स्वयं सुविधा केंद्र में जाकर ऑनलाइन फार्म भरकर पासपोर्ट के लिए अप्लाई करना होता है।
पासपोर्ट पहले आओ, पहले पाओके आधार पर ही बनाया जाता है, क्योंकि कम्प्यूटर द्वारा ही आवेदक को अप्वाइंटमैंट दी जाती है। अप्वाइंटमैंट मिलने पर आवेदक को चंडीगढ़ के औद्योगिक क्षेत्र स्थित पासपोर्ट सेवा केंद्र में जाकर अपने दस्तावेज दिखाने पड़ते हैं। वहीं उसके पासपोर्ट संबंधी प्रारंभिक कामकाज निपटाया जाता है। अधिकतम 40 मिनट में एक आवेदक का फार्म मुकम्मल कर दिया जाता है।
माऊस में अफसर का फिंगर प्रिंट
राकेश अग्रवाल ने बताया कि प्रत्येक अधिकारी द्वारा संचालित कम्प्यूटर के माऊस में फिंगर प्रिंट की जांच करने का प्रावधान है तथा संबंधित अधिकारी के फिंगर प्रिंट के बिना माऊस काम ही नहीं करेगा, इसलिए किसी तरह की हेरफेर की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने बताया कि सभी कार्यालयों में सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाए गए हैं, जिससे कार्यकुशलता में भी सुधार आया है।
उन्होंने कहा कि शायद आम लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि पासपोर्ट से संबंधित पुलिस वैरीफिकेशन 60 प्रतिशत मामलों में बाद में होती है। 20 प्रतिशत मामलों में होती ही नहीं। शेष मामलों की वैरीफिकेशन पहले करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि अब बायोमैट्रिक सिस्टम शुरू किया गया है, जिससे आवेदक की उंगलियों के निशान कम्प्यूटर में फीड हो जाते हैं। इससे गलत ढंग से पासपोर्ट बनवाना बंद हो गया है।
आवेदक को एस.एम.एस. तथा ई-मेल द्वारा साथ ही साथ जानकारी प्रदान की जाती है कि उसके पासपोर्ट का काम कहां तक पहुंचा है। विभाग की कोशिश यही रहती है कि प्रत्येक सही व्यक्ति को हर हालत में पासपोर्ट जारी किया जाए। उन्होंने बताया कि लोगों का काम और आसान करने के लिए कई तरह के अनैक्शर फार्म निर्धारित किए गए हैं, जोकि विभिन्न मामलों में भरकर जमा करवाने होते हैं।
1989 के बाद के व्यक्तियों का जन्म प्रमाण पत्र जरूरी
अग्रवाल ने बताया कि 1989 के बाद पैदा हुए व्यक्तियों का जन्म प्रमाण पत्र जरूरी हो गया है परंतु इससे पहले पैदा हुए व्यक्तियों से स्कूल का सर्टीफिकेट मांगा जाता है। यदि कोई व्यक्ति बिल्कुल अनपढ़ हो तो वह अपना एफीडैविट दे सकता है। उन्होंने बताया कि सामान्य पासपोर्ट 28 दिन में तथा तत्काल सेवा के अधीन 3 दिन में पासपोर्ट बनाकर आवेदक के पास पहुंचा दिया जाता है। पहले 45 दिन में पासपोर्ट बनता था। उन्होंने कहा कि पहले कई तरह के एफीडैविट आवेदक को देने पड़ते थे, जोकि अब बंद कर दिए गए हैं। उनकी जगह एक सामान्य आवेदन पत्र ही देना काफी है।
उन्होंने कहा कि पहले एजैंट लोगों को बहुत तंग करते थे परंतु अब ऐसे एजैंटों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाती है। ऐसा लोगों को एजैंटों के चुंगल से मुक्त करवाने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण लोगों के ऑनलाइन फार्म भरने के लिए पंजाब में करीब 2 हजार सुविधा केंद्र उपलब्ध हैं। इनमें 100 रुपए फीस लेकर फार्म भरकर पूरी फाइल तैयार करके दे दी जाती है, जिसे पासपोर्ट सेवा केंद्र में जमा करवाना होता है।
इसके अलावा 5-5 गांवों पर 1-1 ग्राम सुविधा केंद्र भी स्थापित किए गए हैं, जहां यह फार्म ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि चंडीगढ़, अम्बाला तथा लुधियाना पासपोर्ट सेवा केंद्र 25 जिलों के लोगों के पासपोर्ट तैयार करते हैं। रोजाना औसतन 1700 लोग पासपोर्ट के लिए अप्लाई करते हैं। इस वर्ष 3.70 लाख पासपोर्ट जारी किए जा चुके हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें