सोमवार, 28 अगस्त 2017

#गायत्री_मन्त्र

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि धियो, यो नः प्रचोदयात् ।।
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आकाश में अरबो तारे.... ये छोटे छोटे टिम टीमाते तारे इन में से ज्यादातर सूरज से कई कई गुना ज्यादा बड़े होते है। काम वो ही इन का भी जो सूरज करता है :- न्यूक्लियर फ्यूज़न, हाईड्रोजन के एटामिक न्यूक्लियस आपस में जुड़कर हीलियम के न्यूक्लियस में तब्दील होते रहते हैं। इस दौरान कुछ मैटर खत्म होकर एनर्जी (उर्जा) देते हैं ।
हम उस उर्जा की कल्पना भी नहीं कर सकते जैसे सूरज को ही ले लो 15 मिलियन डिग्री तापमान होता है एक सेकंड में 4 मिलियन टन तत्व बदल जाते हैं उर्जा में। तो सोचो उन तारो में क्या नहीं होता होगा । अरबो प्रकाश वर्ष दूर ये तारे।
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ऐसे ही अन्तरिक्ष में Quasar क्वासर भी होते हैं ये सूरज तारो जैसे नहीं होते। ये आकाशगंगा (Galaxy) जैसे भी नहीं होते। ये क्या होते है वो विजय सिंह ठकुराय Uday Singh जी ने पोस्ट में मिलेगा (लिंक कमेन्ट बॉक्स में )।
मैं अपनी भाषा में लिखता हूँ पहला क्वासर खोजा गया 1960 में टी० मैथ्यू तथा एंडसैन्सेज नामक खगोलज्ञों के द्वारा। इस का नाम रखा गया 3C 273. अब ज्यादा गहराई मैं नहीं जाते।
तो कुल मिला के क्वासर तारा नहीं है सूरज नहीं है आकाशगंगा नहीं है। इस को एक शक्ति पुंज समझ लो इस में इतनी उर्जा है जितनी 1 ट्रिलियन सूरज जैसे सितारों में होती है ये एक अनुमान है इस से भी ज्यादा हो सकती है इस से कई नई आकाशगंगाएं पैदा होती हैं।
खगोलवैज्ञानिक अभी तक भीषण ऊर्जा की इस पहेली को सुलझा नहीं पायें हैं। वैज्ञानिक यह नही समझ पा रहे हैं कि किस भौतिक प्रक्रिया के द्वारा क्वासर इतनी भीषण ऊर्जा, प्रकाश पैदा करते हैं। आज भी उन के लिए ये पहेली ही है वो इन के वर्ण कर्म को नहीं समझ पा रहे। (मेरे भी समझ नहीं आ रहा)
क्वासर में प्रकाश है उर्जा है ब्लैक होल है तीन शक्तियां हैं।
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अब और आसान भाषा में लिखता हूँ
Quasar क्वासर का जिक्र कूरान और बाइबल में भी है..... होगा ही जब वेदों में होगा तो दुनिया की हर किताब में कॉपी पेस्ट तो होगा ही।
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ऐसे ही अपना गायत्री मन्त्र दुनिया की हर भाषा में है।
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#तीन_शक्तियां
संतान धर्म में ट्रिनिटी त्रिदेव #ब्रह्मा_विष्णु_शिवा #क्रिएटर_मीडिएटर_डिस्ट्रॉयर
इनकी शक्ति माँ #सरस्वती_लक्ष्मी_पार्वती
हिन्दू धर्म में मानव अवतारों को छोड़ कर सभी देवी देवता किसी न किसी तत्व का रूपकात्मक रूप है (COSMIC ALLEGORIES).
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त्रिदेव अधूरे है अपनी शक्ति के बिना :- शिव को विनाशकारी (डिस्ट्रॉयर) माना गया है शिव की शक्ति माँ पार्वती जो काली के रूप अंतिम संहारक है काली माँ और शिव की चित्र आपने देखे होंगे जहाँ शिव काली के चरणों में जिस पर बहुत सी कहानी बनी हैं असल में अंतिम संहारक है काली माँ #black_hole ब्लैक होल।
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ऐसे ही ब्रह्मा जी जो निर्माता हैं क्रिएटर हैं उन की शक्ति माँ सरस्वती जी जो प्रकाश की देवी है प्रकाश का रूपकात्मक रूप माँ सरस्वती। (सरस्वती, सवित्र गायत्री मन्त्र में “तत्सवितुर्वरेन्यं” और विज्ञान में QUASAR)
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ब्रह्मांड के निर्माण में माँ सावित्री की प्रमुख भूमिका है।
भगवान ब्रह्मा के आशीर्वाद के साथ, सावित्री ने चार वेदों को मानव जाति को सौंप दिया – (संस्कृत भाषा के सुंदर रूप श्रुतियों के माध्यम से।)
इन में ही एक श्रुति या मन्त्र या छंद जिस को “गायत्री मन्त्र” कहा जाता है
वैदिक मीटर में गायत्री मंत्र के 24 अक्षर के 3 छंद होते हैं ।
भगवद गीता के अध्याय 10 के 35 श्लोक में भगवान् कृष्ण जी ने भी जिक्र किया है ।
बृहत्साम तथा साम्नां गायत्री छन्दसामहम् ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहमृतूनां कुसुमाकर: ॥
गायन करने योग्य श्रुतियों में मैं बृहत्साम और छन्दों में “गायत्री छन्द” हूँ तथा महीनों में मार्गशीर्ष और ऋतुओं में वसन्त मैं हूँ ॥
गायत्री मन्त्र का सूर्य से कुछ लेना देना नहीं| सूर्य इस पृथ्वी का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है मगर ब्रह्मांड का एक मामूली सा हिस्सा है माँ सावत्री या क्वसार ऐसे अरबो सूर्य तारो की माता हैं |
7000 हज़ार साल पहले ऋग्वेद 3.62.19
तत सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि |
tat saviturvareṇyaṃ bhargho devasya dhīmahi |
May we attain that excellent glory of #Savitar_the_God:
हम माँ सावित्री के उस महान गौरव को प्राप्त कर सकते हैं
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ऋग्वेद 3.62.20
धियो यो नः परचोदयात |
dhiyo yo naḥ pracodayāt |
So May he stimulate our prayers.
इसलिए वह हमारी प्रार्थनाओं को प्रोत्साहित करने की कृपा करे ।
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ऋग्वेद 3.62.21
देवस्य सवितुर्वयं वाजयन्तः पुरन्ध्या |
devasya saviturvayaṃ vājayantaḥ purandhyā |
With understanding, earnestly, of Savitar the God we crave
हे देव हम समझदारी, ईमानदारी के साथ , माँ सावित्री से जुड़ना चाहते हैं (लालसा या तलाश)
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ऋग्वेद 3.62.23
देवं नरः सवितारं विप्रा यज्ञैः सुव्र्क्तिभिः |
devaṃ naraḥ savitāraṃ viprā yajñaiḥ suvṛktibhiḥ |
Men, singers worship Savitar the God with hymn and holy rites,
देव नर गायक हम सब माँ सावित्री की आराधना करते हैं
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एक मित्र बोले की गायत्री मन्त्र में की शुरुवात ॐ से नहीं होती
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं ।
ये मन्त्र यजुर्वेद में है
ॐ भूर्भुवः
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ॐ – “श्री यंत्र की ज्यामिति”
भू - "पृथ्वी"
भवस- "वायुमंडल"
स्वः - "प्रकाश"
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गायत्री मन्त्र को सावित्री मन्त्र भी बोला जाता है।
गायत्री मतलब :- ब्रह्म का अथर्व गान,
गायतो मुखाद् उदयपदिती गायत्री
परमात्मा से मुख से निकलने वाला प्रथम गीत
वो गायत्री कहलाता है
गायत्री मन्त्र में माँ सावित्री की आराधना होती है माँ सावित्री प्राण है जीवन शक्ति है
Quasar (क्वासर) माँ सावित्री ही है शक्ति पुंज है उर्जा का प्रकाश का और संहारक।
7000 हज़ार साल पहले ये ज्ञान विश्वामित्र ने दिया था विश्वामित्र मतलब विश्व का मित्र। और ये गोरे 1960 में ले कर आ रहे हैं जिस को अभी भाई नहीं सुलझा सके।
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#गायत्री_मन्त्र है #गायत्री_माता       
कोई नहीं।
बाकि वंदना आप किसी भी रूप में कर सकते हो जैसे सिम्पल मैं करता हूँ :-
हे सरस्वती माँ उर्जा की देवी मैं आपकी वंदना करता हूँ आप का स्वागत करता हूँ मेरे जीवन में मुझ पर कृपा बनाये रखना ।
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बाकि अपने ऋषि जो आज कल के खगोलज्ञों के भी गुरु थे उन का लिखा इतना छोटा नहीं हो सकता जिनता ये पंडे शंकराचार्य और संत बताते हैं।
इतना भी मुस्किल नहीं कुछ समझना मगर आपको तो डराया जाता है की गुरु बिन ज्ञान नहीं विवेक नहीं बुधि नहीं धन नहीं तो गुरु के साथ मिल कर बोलो :-
ॐ (परमात्मा) भूः (प्राण स्वरूप) भुवः (दुःख नाशक) स्वः (सुख स्वरूप) तत् (उस) सवितुः (तेजस्वी) वरेण्यं (श्रेष्ठ) भर्गः (पाप नाशक) देवस्य (दिव्य) धीमहि (धारण करें) धियो (बुद्धि) यः (जो) नः (हमारी) प्रचोदयात (प्रेरित करें)।
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उस प्राण स्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देव स्वरूप परमात्मा को हम अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग पर प्रेरित करें।
"सुख दुःख में उलझे रहो गुरु के साथ"
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आने वाले समय में मम्मी बच्चो को गायत्री मन्त्र सुना के स्कूल भेजेगी और अर्थ बताएगी स्कूल की गायत्री मैडम जो पढाती है वो ही प्रकाश है उस से बुद्धि को सन्मार्ग मिलता है।
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बाकि आपके लिए ईश्वर से कामना करता हूँ की सावत्री माँ हम सब को अच्छे स्वास्थ्य, जीवन शक्ति, दीर्घायु, धन, सफलता, सहयोग, प्यार, बौद्धिक उन्नति और आत्म की दिव्यता का अनुभव कराये ।

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