रविवार, 5 जून 2016

हनुमान जी के सिद्धिदायक दिव्य मन्त्र ~ =============================

kal hunumanjaynti ke avsar par:-
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इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ माना जाता है। श्री हनुमान जी की जयंती की तिथि के विषय में दो मत प्रचलित हैं - चैत्र शुक्ल पूर्णिमा और कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी! हनुमत जयंती के दिन श्री हनुमान जी की भक्ति पूर्वक आराधना करनी चाहिए
चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शुक्रवार 22 अप्रैल को आ रही हनुमान जयंती में वज्र योग, सिद्धी योग और राज योग बनने के साथ ही उधा के सूर्य, उधा के शुक्र एवं सिंह राशि में गुरु तथा चंद्र व सूर्य की परस्पर दृष्टि बन रही है। हनुमान जयंती पर यह विशेष योग 12 साल बाद बना है।

1- वज्र योग- 22 अप्रैल को सांय 4 बजकर 46 मि0 तक वज्र योग रहेगा। 'लाल देह लाली लसे, अरूधरि लाल लंगूर। वज्र देह दानव दलन, जय-जय कपि सूर। हनुमान जी ने वज्र रूप धारण करके दानवों का नाश किया था। वज्र योग में हनुमान जी की आराधना करने से शत्रुओं का शमन होता है और युद्ध में विजय प्राप्त होती है। इस योग में जन्मे बालक का शरीर बलिष्ठ होता है, साहसी होता, पराक्रमी होता है और अपने माता-पिता की सेवा करने वाला होता है।
2-राज योग- सूर्योदय लेकर सुबह 7 बजकर 19 मि0 तक राजयोग रहेगा। इस दिन हनुमान जयन्ती पड़ने से राजयोग का प्रभाव और अधिक शक्तिशाली हो जाता है। यदि इस काल में कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उस पर सर्वप्रथम बजरंगबली की कृपा रहेगी और साथ में राजयोग रहने से अपने जीवन में यह बालक सफलता के नयें इतिहास रचेगा। राजयोग के काल में हनुमान जी की स्तुति करने से राजयोग के तुल्य फल की प्राप्ति होती है।
3-चित्रा नक्षत्र- हनुमान जयन्ती के दिन क्षितिज पर चित्रा नक्षत्र का प्रभाव रहेगा। चित्रा का नक्षत्र का स्वामी मंगल होता है। हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि मंगल को जन्में, मंगल ही करते, मंगलमय भगवान। इस दिन मंगल का विशेष प्रभाव रहेगा। इस दिन हनुमान जी का अनुष्ठान व पूजन करने से साहस, आत्मबल, आत्म चिन्तन, बल-बुद्धि और वीरता में वृद्धि होगी एंव आपके घर-परिवार में मंगल ही मंगल होगा।
ज्ञात हो कि 2013 से लगातार हनुमान जयंती पर चंद्रग्रहण के योग बन रहे थे। लेकिन इस बार चंद्रग्रहण मुक्त रहेगी। इससेे पूजा-अर्चना और आराधना में कोई संकट नहीं आएगा। विशेष संयोगों के कारण इस दिन हनुमानजी की आराधना से श्रद्धालुओं की मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
वज्र योग में साधक को सुरक्षा कवच प्रदान होता है। हनुमानजी इसी योग में जन्मे थे।
वज्र और सिद्धी योग की युति होने से राज योग का निर्माण होता है। यह राजनीतिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए फलदायी है।
सिद्धी योग में उपासना करने से सिद्धियों की प्राप्ति होती है। हनुमानजी अष्ट सिद्धी के दाता हैं। इसलिए हनुमान जयंती पर इस योग में उपासना करना लाभदायक रहेगा।
व्रत विधि- व्रती को चाहिए कि वह व्रत की पूर्व रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन पूर्वक प्रथ्वी पर शयन करें प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रीराम- जानकी हनुमान जी का स्मरण कर नित्य क्रिया से निवृत हो स्नान करें हनुमान जीकी प्रतिमा की प्रतिष्ठा करें षोडशोपचार विधि से पूजन करें ॐ हनुमते नमः मंत्र से पूजा करें इस दिन वाल्मीकि रामायण तुलसीकृत श्री राम चरित्र मानस के सुंदरकांड का या हनुमान चालीसा के अखंड पाठ का आयोजन चाहिए हनुमान जी का गुणगान भजन एवं कीर्तन करना चाहिए हनुमान जी के विग्रह का सिंदूर श्रंगार करना चाहिए! नैवेध मे गुड, भीगा चना या भुना चना तथा बेसन के लड्डू रखना चाहिए
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~ हनुमान जी के सिद्धिदायक दिव्य मन्त्र ~
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श्री हनुमान् जी का यह मंत्र समस्त प्रकार के कार्यों की सिद्धि के लिए प्रयोग किया जाता है । मन्त्र सिद्ध करने के लिए हनुमान जी के मन्दिर में जाकर हनुमान जी की पंचोपचार पूजा करें और शुद्ध घृत का दीपक जलाकर भीगी हुई चने की दाल और गुड़ का प्रसाद लगाकर निम्न मंत्र का जप करें । कार्य सिद्ध ले लिए एक माला का जप प्रतिदिन ११ दिन तक करे और अंत में दशमांश हवन करें ।
“ॐ नमो हनुमते सर्वग्रहान् भूत भविष्यद्-वर्तमानान् दूरस्थ समीपस्यान् छिंधि छिंधि भिंधि भिंधि सर्वकाल दुष्ट बुद्धानुच्चाट्योच्चाट्य परबलान् क्षोभय क्षोभय मम सर्वकार्याणि साधय साधय । ॐ नमो हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं फट् । देहि ॐ शिव सिद्धि ॐ । ह्रां ॐ ह्रीं ॐ ह्रूं ॐ ह्रः स्वाहा ।..
महावीर मंत्र
ध्यान
रामेष्टमित्रं जगदेकवीरं प्लवंगराजेन्द्रकृत प्रणामम् ।
सुमेरु श्टंगागमचिन्तयामाद्यं हृदि स्मेरहं हनुमंतमीड्यम् ।।
हनुमान जी का उक्त ध्यान करके निम्न मंत्र का २२ हजार जप करके केले और आम के फलों से हवन करें । हवन करके २२ ब्रह्मचारियों को भोजन करा दें । इससे भगवान् महावीर प्रसन्नता-पूर्वक सिद्धि देते हैं ।
” ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।”
हनुमन्मन्त्र (उदररोग नाशक मंत्र)
“ॐ यो यो हनुमंत फलफलित धग्धगित आयुराषः परुडाह ।”
उक्त मन्त्र को प्रतिदिन ११ बार पढ़ने से सब तरह के पेट के रोग शांत हो जाते हैं ।
हनुमान्माला मन्त्र
श्री हनुमान जी के सम्मुख इस मंत्र के ५१ पाठ करें और भोजपत्र पर इस मंत्र को लिखकर पास में रखलें तो सर्व कार्यों में सिद्धि मिलती है ।
“ॐ वज्र-काय वज्र-तुण्ड कपिल-पिंगल ऊर्ध्व-केश महावीर सु-रक्त-मुख तडिज्जिह्व महा-रौद्र दंष्ट्रोत्कट कह-कह करालिने महा-दृढ़-प्रहारिन लंकेश्वर-वधाय महा-सेतु-बंध-महा-शैल-प्रवाह-गगने-चर एह्येहिं भगवन्महा-बल-पराक्रम भैरवाज्ञापय एह्येहि महारौद्र दीर्घ-पुच्छेन वेष्टय वैरिणं भंजय भंजय हुँ फट् ।।” (१२५ अक्षर)
हनुमद् मंत्र
इस मन्त्र का नित्य प्रति १०८ बार जप करने से सिद्धि मिलती है -
” ॐ एं ह्रीं हनुमते रामदूताय लंका विध्वंसनपायांनीगर्भसंभूताय शकिनी डाकिनी विध्वंसनाय किलि किलि बुवुकरेण विभीषणाय हनुमद्देवाय ॐ ह्रीं श्रीं ह्रौं ह्रां फट् स्वाहा ।”
हनुमद् उपासना मन्त्र
इस मन्त्र का पाठ ब्रह्मचर्य व्रत धारण करके करना चाहिए । अष्टगंध से “ॐ हनुमते नमः” ये लिखकर हनुमान जी को सिन्दूर और चमेली का शुद्ध तेल केशर और लाल चन्दन का गंध लगायें । कमल, केवड़ा और सूर्यमुखी के फूलों से पूजन करें । इस प्रकार “देवशयनी एकादशी” से “देवोत्थनी एकादशी” तक नित्य पूजन करें । तुलसी-पत्र पर ‘राम-राम’ लिखकर भी चढ़ायें । इस प्रयोग से हनुमान जी प्रसन्न होकर अभीष्ट सिद्धि प्रदान करेंगे ।
ॐ श्री गुरवे नमः
‘ ॐ जेते हनुमंत रामदूत चलो वेग चलो लोहे की गदा, वज्र का लंगोट, पान का बीड़ा, तले सिंदूर की पूजा, हंहकार पवनपुत्र कालंचचक्र हस्त कुबेरखिलुं मरामसान खिलुं भैरव खिलुं अक्षखिलुं वक्षखिलुं मेरे पे करे घाव छाती फट् फट् मर जाये देव चल पृथ्वीखिलुं साडे वारे जात की बात को खिलुं मेघ को खिलुं नव कौड़ी नाग को खिलुं येहि येहि आगच्छ आगच्छ शत्रुमुख बंधना खिलुं सर्व-मुखबंधनाम् खिलुं काकणी कामानी मुखग्रह-बंधना खिलुं कुरु कुरु स्वाहा ।’
हनुमान जी के चमत्कारिक मंत्र
‍१- “ॐ नमो हनुमते पाहि पाहि एहि एहि सर्वभूतानां डाकिनी शाकिनीनां सर्वविषयान आकर्षय आकर्षय मर्दय मर्दय छेदय छेदय अपमृत्यु प्रभूतमृत्यु शोषय शोषय ज्वल प्रज्वल भूतमंडलपिशाचमंडल निरसनाय भूतज्वर प्रेतज्वर चातुर्थिकज्वर माहेशऽवरज्वर छिंधि छिंधि भिन्दि भिन्दि अक्षि शूल कक्षि शूल शिरोभ्यंतर शूल गुल्म शूल पित्त शूल ब्रह्मराक्षस शूल प्रबल नागकुलविषंनिर्विषं कुरु कुरु स्वाहा ।”
२- ” ॐ ह्रौं हस्फ्रें ख्फ्रें हस्त्रौं हस्ख्फें हसौं हनुमते नमः ।”
इस मंत्र को २१ दिनों तक बारह हजार जप प्रतिदिन करें फिर दही, दूध और घी मिलाते हुए धान का दशांश आहुति दें । यह मंत्र सिद्ध होकर पूर्ण सफलता देता है ।
३- “ॐ दक्षिणमुखाय पञ्चमुखहनुमते कराल वदनाय नरसिंहाय, ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रै ह्रौं ह्रः सकल भूत-प्रेतदमनाय स्वाहा ।”
(जप संख्या दस हजार, हवन अष्टगंध से)
४- “ॐ हरिमर्कट वामकरे परिमुञ्चति मुञ्चति श्रृंखलिकाम् ।”
इस मन्त्र को दाँये हाथ पर बाँये हाथ से लिखकर मिटा दे और १०८ बार इसका जप करें प्रतिदिन २१ दिन तक । लाभ – बन्धन-मुक्ति ।
५- “ॐ यो यो हनुमन्त फलफलित धग्धगिति आयुराष परुडाह ।”
प्रत्येक मंगलवार को व्रत रखकर इस मंत्र का २५ माला जप करने से मंत्र सिद्ध हो जाता है । इस मंत्र के द्वारा पीलिया रोग को झाड़ा जा सकता है ।
६- “ॐ ऐं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्स्फ्रें ख्फ्रें ह्स्त्रौं ह्स्ख्फ्रें ह्सौं ।”
यह ११ अक्षरों वाला मंत्र अति फलदायी है, इसे ११ हजार की संख्या में प्रतिदिन जपना चाहिए ।

७- ” ॐ ह्रां ह्रीं फट् देहि ॐ शिवं सिद्धि ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं स्वाहा ।”
८- ” ॐ सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा ।”
९- ” हं पवननन्दाय स्वाहा ।”
१०- “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।” (१८ अक्षर)
११- “ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।” (१२ अक्षर)
१२- “ॐ नमो हनुमते मदन क्षोभं संहर संहर आत्मतत्त्वं प्रकाशय प्रकाशय हुं फट् स्वाहा ।”
१३- “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय अमुकस्य श्रृंखला त्रोटय त्रोटय बन्ध मोक्षं कुरु कुरु स्वाहा ।”
१४- “ॐ नमो भगवते आञ्जनेयाय महाबलाय स्वाहा ।”
१५- “ॐ हनुमते नमः । अंजनी गर्भ-सम्भूतः कपीन्द्र सचिवोत्तम् । राम-प्रिय नमस्तुभ्यं, हनुमन् रक्ष सर्वदा । ॐ हनुमते नमः ।”
१६- “ॐ हनुमते नमः । आपदाममपहर्तारं दातारं सर्व-सम्पदान् । लोकाभिरामः श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् । ॐ हनुमते नमः ।”
१७- “ॐ हनुमते नमः । मर्कटेश महोत्साह सर्वशोक विनाशन । शत्रून् संहर मां रक्ष, श्रियं दापय मे प्रभो । ॐ हनुमते नमः ।”
१८- ” ॐ हं पवननन्दाय स्वाहा ।”

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