शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

पिशाच कौन है कहा से आये किनके वंशज है



।।।।।।।पिशाच कौन है कहा से आये किनके वंशज है ?
महाकाल ने इस सृष्टि की रचना की और वनस्पति पशु पक्षी आदि के बाद मानवो की उत्पत्ति की
फिर चार ब्रह्मषियो को ञ्ञान (वेत) दिया
1- ब्रह्मसि अग्नि
2- ब्रह्मसि वायु
3- ब्रह्मसि सुर्य
4- ब्रह्मसि सिव
इन चार ब्रह्मसि ने महाकाल का ज्ञान महर्सि ब्रह्मा को दिया
फिर महर्सि ब्रह्मा ने वो ञ्ञान महर्सि सिव को ञ्ञान दिया
और महर्सि सिव ने ञ्ञान महर्सि विस्नु को ञ्ञान दिया
महसि ब्रह्मा की आयु लगभग 1000 वर्ष थी। ब्रह्मा के अनेक पुत्र हुए
जिसमे एक मारीचि, और एक दक्ष थे
मारीचि का पुत्र ऋषि कश्यप थे
ऋषि कश्यप ने दक्ष की पुत्रियो से विवाह किया
कश्यप की पत्नि से जन्मे पुत्र -
*.दिति से दैत्य      *अदिति से देव
*.दनु से दानव      *.काष्ठा से अश्व आदि
*.अनिष्ठा से गन्धर्व  *.सुरसा से राक्षस
*.इला से वृक्ष      *.मुनि से अप्सरागण
*.क्रोधवशा से सर्प  *.सुरभि से गौ और महिष
*.सरमा से श्वापद  *.ताम्रा से श्येन-गृध्र आदि
*.तिमि से यादोगण  *.विनता से गरुड़ और अरुण
*.कद्रु से नाग   *.पतंगी से पतंग   *.यामिनी से शलभ
ये सब मानवजाति थे
महर्षि कणाद वैशेषिक दर्शन में कहते हैं कि -- " धर्मविशेषप्रसूताद् द्रव्यगुणकर्मसामान्यविशेषसमवायानां पदार्थानां साधर्म्यवैधर्म्याभ्यां तत्वज्ञानात् निःश्रेयसम्।( वैशेषिक, 1 /1 /4 ) " अर्थात द्रव्य, गुण,कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय इन छः पदार्थों के साधर्म्य और वैधर्म्य के द्वारा धर्मविशेष से उत्त्पन्न तत्व ज्ञान से निःश्रेयस की प्राप्ति होती है। यहां महर्षि कणाद कह रहे हैं कि - पदार्थ छह प्रकार के होते हैं। 1 - द्रव्य ,2 - गुण, 3 - कर्म ,4 - सामान्य ,5 - विशेष ,6 - समवाय।
कश्यप के दैत्य बडे पुत्र थे
इसलिए दैत्य को राज्य मिला
दैत्य महान ज्ञान और बलवान थे
देवता दैत्य से ईस्सा करने लगे
फिर दैत्य और देवता के बीच अनेक युद्ध हुए दैत्यौ से देवता अनेक बार हारे थे
देवताओ ने दैत्य के ञ्ञान को प्राप्त किया और वो भी बलवान होने लगे
फिर दैत्यो को आर्यावत्त से निकाल दिया गया वो पाताल (अमेरिका) जा बसे
दैत्य के गुरू आचार्य शुक्राचार्य थे  शुक्राचार्य एक वैदिक ऋसि थे और अथर्ववेत के कई मंत्रो के दृस्टा थे

शुक्राचार्य अपरा विद्या के महान वैज्ञानिक थे  असुर के DAN मे बदला कर के असुरो की शक्ति बडाई थी
शुक्राचार्य औषधियों, मन्त्रों तथा रसों के भी स्वामी हैं। इनकी सामर्थ्य अद्भुत है। इन्होंने अपनी समस्त सम्पत्ति अपने शिष्य असुरों को दे दी और स्वयं तपस्वी-जीवन ही स्वीकार किया।
आज पिशाच के नाम लोगो ने अनेक भ्रंतिया फैला रखी है और पिशाचो को एक कल्पनि पात्र बना दिया
ॐ शुं शुक्राय नम:


  क्या प्रेत और भुत मानवो को हानि देते है॥
आचार्य- शिष्य सर्वप्रथम प्रेत और भुत का अर्थ समझ
प्रेतकल्प ने कहा गया है कि मानव की मृत्यु के बाद आत्मा शरीर को छोड देते है उस आत्मा को प्रेत कहते है।
भुत उस कहते है जो बित गया अर्थात मृत्यु के शरीर को और मरत शरीर किसी को हानि नही देता क्योकि उसमे चेतना नही है।
मानव की मृत्यु के बाद आत्मा महाकाल के द्वारा परतन्त्र हो जाती है अर्थात्‌ उसकी स्वतंत्रता खत्म हो जाती है इसलिए प्रेत भी किसी को हानि नही दे सकता

देखो पिशाच ग्रन्थ मे भी यही कहा गया है-
"जीवो मरतस्य चरति स्वधामिरर्म्यो मर्त्येना सयोनि:।

पिशाच किसी से मैत्री या संधी नही करते   ----पिशाच आपनी इच्छा के स्वामी है

ब्रह्मपुराण के अनुसार पिशाचो को गंधर्व, गुह्मक और राक्षसों के समान ही 'देवयोनिविशेष' कहा गया है। सामर्थ्य की दृष्टि से इन्हें इस क्रम में रखा गया है- गंधर्व, गुह्मक, राक्षस एवं पिशाच। ये चारों लोग विभिन्न प्रकार से मनुष्य जाति को पीड़ा देते हैं। पिशाचो की पूजा करने वाला पिशाच ही जैसा हो जाता है।
॥आधुनिक पशाई कश्मीरी लोग संभवत: पिशाचो के वंशज हैं। पिशाच लोगों में कच्चे मांस के भक्षण करने की प्रथा थी जिसके चलते इन्हें बुरा माना गया। वेदों के अनुसार दैत्य और दानवों का विकृत रूप पिशाच हैं। राक्षसों और मनुष्यों के साथ और पितरों के विरोधी पिशाच को वैताल और प्रेतभक्षक से संबंधित भी किया जाता है।
॥पिशाच और पिशाचिनियां : भारत के पश्चिमोत्तर सीमांत पर रहने वाली जातियों को पिशाच माना जाता था। महाभारत में पिशाचो को दरद देश का निवासी माना है। पिशाच देश के योद्धा महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़े थे। यह क्षेत्र उत्तरी कश्मीर (गिलगित और यासीन का क्षेत्र) और दक्षिणी रूस के सीमांत पर स्थित है। हालांकि इसी नाम से पिशाच और पिशाचिनियां भी होती हैं जिनकी साधनाओं का भी प्रचलन है। कर्ण पिशाचिनी, काम पिशाचिनी आदि का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा सिंहासन बत्तीसी में जो पुतलियां थीं वे सभी पिशाचिनी ही थीं। इन्हें मनुष्य से इतर योनियों का माना जाता है।
॥पिशाच के नाम पर अनेको भ्रम फैला रखे है लोगो ने

2 टिप्‍पणियां:

  1. helo dear sir...


    My name is Mangesh Chhabildas Pawar, Age-24, At/Post-Kolpewadi, Tal-Kopargaon, Dist-A.nagar,
    me Shridi ke Pass ke ek Chote se villege ka rahane wala hun.....
    meri 1 hi kwahish tamanna he ki Muze vampire pishach Banana he..
    to plz plz Muze Vampire pishach Banane ke liye Madat Karo Pz.....

    जवाब देंहटाएं