शनिवार, 18 अप्रैल 2015

Shani Amavasya,

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आज 18 अप्रैल 2015 शनि अमावस : Shani Amavasya, Today, 18 april 2015 : 
(Please also see English version, below)
शनिवार दिनांक 18.04.2015 को अमावस्या तिथि पड़ रही है। शास्त्रानुसार शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या तिथि को शनि अमावास्य और शनैश्चरी अमावस्‍या कहकर भी पुकारा जाता है। शास्त्रानुसार शनिदेव का जन्म अमावस्या तिथि के दिन हुआ था। अतः अमावस्या तिथि शनिदेव को अत्यधिक प्रिय है। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार किसी भी माह शनि के दिन अमावस्या तिथि पड़ने पर उसे शनि अमावस्या की संज्ञा दी जाती है।
वर्त्तमान गोचर के अनुसार सूर्यदेव अपनी उच्च राशि मेष में हैं तथा शनिवार दिनांक 18.04.2015 को चंद्रदेव भी मेष राशि मे प्रवेश करेंगे जिससे शनि अमावस्या का शुभ संयोग बनेगा। वर्त्तमान में शनिदेव मंगल की राशि वृश्चिक में गोचर कर रहे हैं तथा अपने ही नक्षत्र अनुराधा को भोग रहे हैं। शनैश्चरी अमावस्‍या का दिन शनि के कष्टों से मुक्ति पाने हेतु सर्वश्रेष्ठ है।
शनैश्चरी अमावस्या का महत्तव-
शनैश्चरी अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव जी का दिन माना गया है। इस दिन शनिदेव जी की पूजा विशेष रुप से की जाती है। जिन जातकों की जन्म कुंडली या राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया का असर होता है, उनके लिये शनैश्चरी अमावस्या एक बहुत ही महत्तवपूर्ण अवसर है क्योंकि शनैश्चरी अमावस्या के अवसर शनि जी की पूजा-अर्चना करने पर शांति व अच्छे भाग्य की प्राप्ति होती है। शनैश्चरी अमावस्या के दिन भक्त विशेष अनुष्ठान आयोजित कर पितृदोष और कालसर्प दोष से भी मुक्ति पा सकते है। शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक आदि का पाठ करने से भी शनि ग्रह के प्रभाव से शांति मिलती है। इसके अलावा शनैश्चरी अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
शनिदेव से जुड़ी पौराणिक कथा -
मनुष्यों और देवताओं में शनिदेव को अपनी क्रूर और टेढ़ी नजर से आहत करने वाले देवता के रुप में जाना जाता है। लेकिन परम तपस्वी और योगी मुनि पिप्पलाद की दिव्य और तेजोमयी नजरों के सामलने शनिदेव जी एक क्षण भी खड़े नहीं रह सके और विकलांग होकर धरती पर गिर पड़े। शनि को इस प्रकार असहाय देखकर ब्रह्मदेव ने मुनि पिप्पलाद को मनाया, तब मुनि पिप्लाद ने मनुष्यों और देवताओं को शनिदेव के कष्टों से छुटकारा दिलाने के लिये शनि मंत्रों और स्तोत्रों की रचना की। इन मंत्रों और स्त्रोत का पाठ करने से शनि के अशुभ असर और कोप से बचाव होता है।
नमस्ते कोणसंस्थय पिङ्गलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥
नमस्ते रौद्र देहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते यमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते॥
Shani Amavasya is also known as Shashchari Amavasya. According to our scriptures, Amavasya's holds significance on Saturdays. Performing some religious practices during this yog returns fruitful and auspicious results. These practices are helpful in removing flaws in one's kundli.
Persons going through the main and sub period of Shani, Rahu, Ketu(mahadasha and antardasha) are suggested to conduct the Shani Amavasya Puja and Daan so that quantum of suffering or debt is reduced.
The following are shani doshas for which each individual requires immediate remedy to get relief from the suffering and agony created during these doshas.:
Period of malefic shani(mahadasa or antardasa)
Period of shani sade sati
Period of shani dhaiya
Shani gayatri Mantra :
Aum Sanaischaraya Vidmahe,
Sooryaputraya Dheemahi,
Tanno Manda Prachodayat.
At present w.e.f 2nd nov 2014 shani sade sati is going on the rashi of Tula (Libra), Vrischika (Scorpio) and Dhanu (Sagittarius) whereas shani dhaiya on mesha (Aries) and Singh (Leo) rashi. The persons of these rashis are advised to go for the shani dosha remedies immediately.
- Donate these items:
In order to get auspicious results, one should donate black cow. Black cloth, urad daal, black sesame (til), black leather shoes or sippers, salt, mustard oil or can even donate grains.
You can also donate an iron utensil filled with rice. Donate as per your suitability and wish.
- Keep in mind these things while donating:
Shani daan should be made only on Saturday. One should only donate to a needy person.
- Offer these 7 things to Shani Dev on Saturday:
Offer mustard oil, akshat (rice), black urad, black til, black cloth, eatables cooked in oil.
धार्मिक शास्त्रों में शनि अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन किए गए उपाय शीघ्र ही शुभ फल प्रदान करते हैं। जन्मकुंडली के कई दोषों का असर इन उपायों से कम हो सकता है। वर्त्तमान में मेष व सिंह राशि पर शनि की ढैया चल रही है तथा तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर शनि की साढ़ेसाती विद्यमान है अथवा जिस किसी की कुंडली में शनि की महादशा व अंतर्दशा चल रही है अथवा जिनको शनि के कारण कष्ट झेलने पड़ रहे हैं उनके लिए यह कष्टों से मुक्ति पाने का महत्वपूर्ण अवसर है। इस अवसर पर शनिदेव की पूजा-अर्चना, दान-उपाय करने पर शांति व अच्छे भाग्य की प्राप्ति होती है। 
1. सामर्थ्यानुसार शनि मंदिर में सरसों का तेल, साबुत काले उड़द, काले तिल, लौंग, लोहबान, मूंगफली, कागज़ी बादाम और नारियल चढ़ाएं।
2. सामर्थ्यानुसार किसी मज़दूर को काला छाता और काले चमड़े के जूते-चप्पल दान करें। 
3. बरगद के पेड़ की जड़ में गाय का कच्चा दूध चढ़ाकर उस मिट्टी से तिलक करें। 
4. गुड-उड़द से बने पुए को सरसों के तेल में तल कर भैंसों को खिलाएं।
5. किसी साधु-संयासी को लोहे का तवा या अंगीठी दान करें।
6. तेल चुपड़ी रोटी काले कुत्ते को खिलाएं।
7. काली गाय को कचोड़ी खिलाएं।
8. गरीब बालकों को रेवड़ियां बाटें।

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