सोमवार, 20 अप्रैल 2015

अक्षय तृतीया

कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी काम किया जाए वह शुभ होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं इसके पीछे की वजह क्या है? दरअसल अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय न हो यानी कभी कम ना होने वाला। हिंदू मान्यताओं में दो तरह के प्रतीकों की कल्पना की गई है- एक, जो खत्म हो जाते हैं या मारे जाते हैं। कौरव-पांडव, रावण और कंस आदि सभी खत्म हो गए। दूसरे, वो जो कभी नष्ट नहीं होते, जिनका कभी क्षरण नहीं होता। ग्रंथों में अक्षय वट का उल्लेख है। ऐसा माना गया है कि जब पूरी सृष्टि खत्म होगी और सारी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी, तब भी बरगद का वह पेड़ (अक्षय वट) खड़ा रहेगा। और उस पर एक नन्हें शिशु के रूप में भगवान कृष्ण, उस प्रलय की स्थिति से निर्विकार अपने दाएं पैर का अंगूठा चूस रहे होंगे।
दिन अक्षय कैसे?



लेकिन कोई खास दिन या तिथि अक्षय कैसे हो सकती है। तिथि तो हमेशा बदलती रहती है। इसके बारे में युधिष्ठिर ने कृष्ण से पूछा, तो कृष्ण ने कहा कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी रचनात्मक या सांसारिक काम करेंगे, उसका पुण्य कभी खत्म नहीं होगा। मान्यता है कि इसी दिन महाभारत की लड़ाई खत्म हुई थी और द्वापर युग समाप्त हुआ था। इसी मान्यता के कारण अक्षय तृतीया को ऐसा मौका माना जाता है, जिस दिन किया जाने वाला हर काम शुभ होगा और मन से मांगी गई हर इच्छा पूरी होगी।
सदियों बाद दुर्लभ संयोग
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हर साल अक्षय तृतीया आती है, जो इस बार 21 अप्रैल मंगलवार को है। इस बार अक्षय तृतीया पर सुबह से रात तक कई शुभ संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार यह दुर्लभ अवसर 191 साल बाद आया है। इस कारण यह दिन मांगलिक कार्य, दान-पुण्य और भूमि, भवन, वाहन और सोने की खरीदी के लिए अतिशुभ रहेगा। इस दिन सुबह 6.15 से दोपहर 11.57 बजे तक सर्वार्थसिद्धि योग और दोपहर 11.58 से सूर्यास्त तक रवि योग का विशिष्ट संयोग बन रहा है।
सोने की खरीददारी क्यों?

कोई भी नया काम, नया घर, नया कारोबार आदि शुरू करने से उसमें बरकत होगी और ख्याति मिलेगी। इस दिन लोग सोने के आभूषण भी खरीदते हैं और इसे शुभ माना जाता है। सोने को संपन्नता का प्रतीक माना जाता है और हमेशा संपन्नता के प्रतीक के तौर पर इसे खरीदा जाता है। अक्षय तृतीया, हर साल वैशाख शुक्ल के तीसरे दिन मनाई जाती है। इस समय तक फसलें कट जाती हैं और घर धन-धान्य से संपन्न हो जाता है। ऐसे में लोग दान दे सकते हैं, व्यापारी से सामान खरीद सकते हैं और पारिवारिक जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभा सकते हैं।

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