शुक्रवार, 10 अप्रैल 2015

ग्रहोपचार -वुध/गुरु/शनि/राहु/केतु ।

अब बात करते है साइलेटं किलर बुध देव यानी राजकुमार भी बोला जाता है कैसे जाने की कुडली मे बुध खराब फल मे है बुध हमेशा सुर्य के साथ होता है अधिकतर चुपचाप ही काम करता है
बुध व्यापार व स्वास्थ्य का करक माना गया है। यह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। बुध वाक् कला का भी द्योतक है। विद्या और बुद्धि का सूचक है। कुंडली में बुध की अशुभता पर दाँत कमजोर हो जाते हैं। सूँघने की शक्ति कम हो जाती है। गुप्त रोग हो सकता है। व्यक्ति वाक् क्षमता भी जाती रहती है। नौकरी और व्यवसाय में धोखा और नुक्सान हो सकता है
उपाय-----4-9 साल की कन्याओ को हरी चुनरी दे और पैर छूके आर्शिवाद ले
2---- किन्नरो को हरी चूडिया हरी साडी बुधवार को दान दे और आर्शिवाद ले
3--घर की औरतो को सम्मान दे और हो सके तो बहन बुआ को कुछ न कुछ दान देते रहे
4--हरे कपडे मे या कच्चे घडे मे साबुत मूगं भर के हरे कपडे मुह बदं करके जल प्रवाह करे अथवा मदिंर मे रख दे
5--5 महीने मे एक बारी भगवान गनपति की पूजा घर मे रखवाऐ पहली बार मे मूर्ती स्थापना घर मे करवा ले और रोज ताजे फूलो और लडू के भोग लगा कर घर मे बाटे । जो पढने मे कमजोर हो वो जरूर करे । ..../
/कैसे पहचाने की कुडली मे देव गुरू पिडित है क्या है लक्षण
वृहस्पति की भी दो राशि है धनु और मीन। कुंडली में गुरु के अशुभ प्रभाव में आने पर सिर के बाल झड़ने लगते हैं। परिवार में बिना बात तनावकलह - क्लेश का माहोल होता है। सोना खो जाता या चोरी हो जाता है। आर्थिक नुक्सान या धन का अचानक व्यय,खर्च सम्हलता नहींशिक्षा में बाधा आती है। अपयश झेलना पड़ता है। वाणी पर सयम नहीं रहता।
पेट की गैस और फेफड़े की बीमारियाँ।
उपाय-------ब्रह्मण का यथोचित सामान करे। माथे या नाभी पर केसर का तिलक लगाएँ। कलाई में पीला रेशमी धागा बांधे। पीले वस्त्र या हल्दी की कड़ी गांठ साथ रक्खे। कोई भी अच्छा कार्य करने के पूर्व अपना नाक साफ करें। दान में हल्दीदालपीतल का पत्रकोई धार्मिक पुस्तक१ जोड़ा जनेऊपीले वस्त्रकेलाकेसर,पीले मिस्ठानदक्षिणा आदि देवें। विष्णु आराधना करे। ॐ व्री वृहस्पतये नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है।
केसर का तिलक रोजाना लगाएँ या कुछ मात्रा में केसर खाएँ और नाभि या जीभ पर लगाएं या बृ्हस्पति के लिए चने की दाल या पिली वस्तु दान करें./
                          ग्रहोपचार -शनि/राहु/केतु ।
दोस्तों जिनके पास अपनी कुंडली की कोई जानकारी नहीं है।या जो लोग कुंडली सीखने के लिए अध्ययन शुरू किया है उनके लिए ग्रह के अनुसार क्या कष्ट हो सकता है और उसका क्या उपाय है इसकी जानकारी हम आपको लगातार दे रहे है।इस क्रम में हम सूर्यचंद्र,मंगल,बुध,गुरुऔर शुक्र के बारे में जानकारी दे चुके है अब इस पोस्ट में शनि,राहुऔर केतु के अशुभ होने पर क्या प्रभाव होता है और उसका उपाय क्या है जानिए।
शनि के पीड़ित होने पर:-



यदि आपके काम में गतिहीनता आ जाती है तो समझिये शनि पीड़ित है।कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव में होने पर मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता या क्षतिग्रस्त हो जाता है। अंगों के बाल झड़ जाते हैं। शारीर में विशेषकर निचले हिस्से में ( कमर से नीचे ) हड्डी या स्नायुतंत्र से सम्बंधित रोग लग जाते है। वाहन से हानि या क्षति होती है।काले धन या संपत्ति का नाश हो जाता है। अचानक आग लग सकती है या दुर्घटना हो सकती है।
उपाय :-हनुमद आराधना करनाहनुमान जी को चोला अर्पित करनाहनुमान मंदिर में ध्वजा दान करनाबंदरो को चने खिलानाहनुमान चालीसाबजरंग बाणहनुमानाष्टकसुंदरकांड का पाठ और ॐ हन हनुमते नमः का १०८ बार नित्य जाप करना श्रेयस्कर होता है नाव की कील या काले घोड़े की नाल धारण करे।कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएँ। तेल में अपना मुख देख वह तेल दान कर दें(छाया दान करे) लोहाकाली उड़दकोयलातिलजौकाले वस्त्रचमड़ाकाला सरसों आदि दान दें। बिच्‍छु की जड़ को काले धागे में बांधकर पहनने से लाभ होता है। शनि शांति यज्ञ में शमी की समिधा का उपयोग किया जाता है। शनि की पीड़ा के निवारण के लिए ‘’ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्‍चराय नम:’’ के 23 हजार पाठ का प्रावधान बताया गया है।
राहु के पीड़ित होने पर :-
मानसिक तनावआर्थिक नुक्सान,स्वयं को ले कर ग़लतफहमी,आपसी तालमेल में कमीबात बात पर आपा खोनावाणी का कठोर होना व आप्शब्द बोलनाव हाथ के नाखून अपने आप टूटने लगते हैं। राजक्ष्यमा रोग के लक्षण प्रगट होते हैं। वाहन दुर्घटना,उदर कष्ट मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहनाभोजन में बाल दिखनाअपयश की प्राप्तिसम्बन्ध ख़राब होनादिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता हैशत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।
उपाय :- गोमेद धारण करे।दुर्गाशिव व हनुमान की आराधना करे।तिलजौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे। जौ या अनाज को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएँकोयले को पानी में बहाएँमूली दान में देवेंभंगी को शराबमाँस दान में दें। सिर में चोटी बाँधकर रखें। सोते समय सर के पास किसी पात्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में डाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे।इसके साथ हनुमान चालीसाबजरंग बाणहनुमानाष्टकहनुमान बाहुकसुंदरकांड का पाठ और ॐ रं राहवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है। सफेद चंदन की लकड़ी पहनने से लाभ होता है। धागा उसी रंग का लिया जाएगाजिस राशि में राहू स्थि‍त है। राहू की पीड़ा के निवारण के लिए किए जाने वाले यज्ञ में दूर्वा का इस्‍तेमाल समिधा के रूप में किया जाता है। राहू की शांति के लिए ‘’ऊं भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:’’ के 18 हजार पाठ करना चाहिए।
केतु के पीड़ित होने पर: -
इसके अशुभ प्रभाव में होने पर मूत्र एवं किडनी संबंधी रोग होता है।जोड़ों का रोग उभरेचर्म रोगमानसिक तनावआर्थिक नुक्सानसंतान को पीड़ा होती है। वाहन दुर्घटनाउदर कष्ट मस्तिस्क में पीड़ा आथवा दर्द रहनाअपयश की प्राप्तिसम्बन्ध ख़राब होनादिमागी संतुलन ठीक नहीं रहता हैशत्रुओं से मुश्किलें बढ़ने की संभावना रहती है।
उपाय : -


दुर्गाशिव व हनुमान की आराधना करे। तिलजौ किसी हनुमान मंदिर में या किसी यज्ञ स्थान पर दान करे।कान छिदवाएँ। सोते समय सर के पास किसी पत्र में जल भर कर रक्खे और सुबह किसी पेड़ में दाल दे,यह प्रयोग 43 दिन करे। ॐ कें केतवे नमः का १०८ बार नित्य जाप करना लाभकारी होता है ।अपने खाने में से कुत्ते,कौव्वे को हिस्सा दें। तिल व कपिला गाय दान में दें। पक्षिओं को बाजरा दे।चिटिओं के लिए भोजन की व्यस्था करना अति महत्व पूर्ण है। कान छिदवायें व श्री विघ्नविनायक की आराधना करें । असगंध की जड़ को धारण करने से भी लाभ होता है। केतू के लिए भी राशि स्‍वामी के अनुरूप ही धागा लिया जाएगा। केतू की पीड़ा निवारण के लिए होने वाले यज्ञ में ‘’ऊं स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नम:’’ के दस हजार पाठ करने का प्रावधान है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें