शनिवार, 8 नवंबर 2014

वास्तुशास्त्र-

.पूजा करने की सही दिशा क्या
 : सामान्यत: पूर्वाभिमुख होकर अर्चना करना ही श्रेष्ठ स्थिति है। इसमें देव प्रतिमा (यदि हो तो) का मुख और दृष्टि पश्चिम दिशा की ओर होती है। इस प्रकार की गई उपासना हमारे भीतर ज्ञान, क्षमता, सामर्थ्य और योग्यता प्रकट करती है, जिससे हम अपने लक्ष्य की तलाश करके उसे आसानी से हासिल कर लेते हैं। पर विशिष्ट उपासनाओं में पश्चिमाभिमुख रहकर पूजन का वर्णन भी मिलता है। इसमें हमारा मुख पश्चिम की ओर होता है और देव प्रतिमा की दृष्टि और मुख पूर्व दिशा की ओर होती है। यह उपासना पद्धति सामान्यत: पदार्थ प्राप्ति या कामना पूर्ति के लिए अधिक प्रयुक्त होती है। उन्नति के लिए कुछ ग्रंथ उत्तरभिमुख होकर भी उपासना का परामर्श देते हैं। दक्षिण दिशा सिर्फ षट्कर्मों के लिए इस्तेमाल की जाती है।ईशान्य कोण में कभी न रखें स्टोव : ईशान्य कोण में स्टोव कभी न रखें। वास्तु के नियम इसकी अनुमति नहीं देते। यह स्थान जल से संबंधित है। यहां अग्नि की उपस्थिति अनजाने में गृह क्लेश, मतभेद, अनबन, अपव्यय इत्यादि को आमंत्रित कर सकती है।वार्डरोब किस दिशा में शुभ : प्रत्येक कक्ष की दक्षिण-पश्चिम दीवार पर वार्डरोब सुख-शांति व समृद्धि में सहायक होता है।

                                                  ऐसा वास्तुशास्त्र कहता है।पौधों की सफाई क्यों जरूरी :
 यदि घर में गमले में असली पौधे लगाए गए हैं तो उनकी साफ-सफाई करते रहें और सूखे पत्ते हटाते रहें। वहां गंदगी की अधिकता लाभ मार्ग बाधित कर सकती है।कम काम में आना वाला सामान : इस प्रकार के सामानों के स्टोरेज की सही दिशा नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम कोना है। यदि संभव न हो, तो फिर किसी भी कमरे के दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे रखा जा सकता है। ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने का इस्तेमाल इस तरह के सामान को रखने के लिए हर्गिज नहीं करना चाहिए। यथासंभव घर में बेकार के सामान रखने ही नहीं चाहिए। यह लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी यानी दरिद्रता का प्रतिनिधित्व करती है।
कम काम में आना वाला सामान :

 इस प्रकार के सामानों के स्टोरेज की सही दिशा नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम कोना है। यदि संभव न हो, तो फिर किसी भी कमरे के दक्षिण-पश्चिम दिशा में इसे रखा जा सकता है। ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने का इस्तेमाल इस तरह के सामान को रखने के लिए हर्गिज नहीं करना चाहिए। यथासंभव घर में बेकार के सामान रखने ही नहीं चाहिए। यह लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी यानी दरिद्रता का प्रतिनिधित्व करती है।कहां रखें कचरा : मुख्य द्वार पर कचरा, गंदगी या व्यवधान निश्चित रूप से शुभ फल नहीं देते। कचरे का प्रबंध किसी बंद डब्बे में घर के अंदर किया जा सकता है। यदि द्वार के बाहर रखना अनिवार्य ही हो, तो इसे किसी बंद डिब्बे में इस प्रकार समायोजित करें कि यह मुख्य द्वार के ठीक सीधे में न होकर किनारे हो।
वास्तु में जहां दिशाओं को अहमियत दी गई है
, वहीं वस्तुओं के रख-रखाव, स्वच्छता और साफ-सफाई को भी काफी महत्व दिया गया है। आज हम आपको बता रहे हैं घर में सामान सलीके से रखना क्यों है जरूरी और कैसी मुसीबतें आती हैं यदि घर का सामान हमेशा बिखरा पड़ा रहे.. कहते हैं घर में सामान यदि आप सहेज कर रखने के आदी नहीं और हर तरफ आपका सामान बिखरा पड़ा रहता है तो समझ लें कि इससे आपको मानसिक तनाव, पारिवारिक झमेलों के साथ-साथ आर्थिक परेशानियों का भी सामना करना पड़ेगा।.
            घर में फैलीं वस्तुएं घर में मौजूद पॉजिटिव एनर्जी को नष्ट करने लगती हैं और यह अपना अलग नेगेटिव प्रभाव छोड़ती हैं। इससे परिवार के सदस्यों के आपसे रिश्ते भी खराब होने शुरू हो जाते हैं। मानसिक तनाव के साथ-साथ मनमुटाव काफी बढ़ जाता है। बेवजह के कलह-क्लेश घर में होनी शुरू हो जाती है। घर में बिखरे सामान दरिद्रता को अपनी ओर खींचती है। धन संबंधी परेशानियां अपना जगह बनाना शुरू कर देती है और लक्ष्मी इस घर से रूठ कर चली जाती

वास्तु के नियम कहते हैं कि घर में रखी गई चीजें यदि अच्छी तरह से और सलीके से हों, जिससे घर की खूबसूरती खिली सी लगे, इस घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। वैसे घर में धन से संबंधित मुसीबतें नहीं आती और परिवार के लोगों में आपसी प्रेम भाव हमेशा बरकरार रहता है।

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