शुक्रवार, 28 नवंबर 2014

वास्तु में रंग प्रयोग

,,,,,नवरात्र समाप्त होते ही दीपावली की तैयारी जोरों पर शुरु हो जाती है। माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए लोग घर की साफ-सफाई और रंग-रोगन के काम में जुट जाते हैं।
अगर आप भी इस दीपावली के मौके पर अपने घर की रंगाई-पुताई करवा रहे हैं तो सिर्फ आपका घर सुंदर दिखे यह सोचकर रंगाई-पुताई नहीं करवाएं, यह भी सोचिए कि रंगाई-पुताई ऐसी हो कि मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर आपके घर पर कृपा बनाए रखें।
आपके घर पर मां लक्ष्मी की कृपा का मतलब है घर में सकारात्मक उर्जा का बना रहना जो घर में रहने वाले लोगों को स्वस्थ और उर्जावान बनाए रखे ताकि आप अपनी मेहनत और योग्यता से उन्नति की ओर बढ़ते रहें।
घर में सकारात्मक उर्जा को बनाए रखने के लिए जरुरी है कि आपका घर वास्तुदोष से मुक्त हो। इसके लिए ज्योतिषशास्त्र और वास्तु विषय की जानकर बताते हैं कि रंगाई-पुताई करवाते समय सभी कमरों में एक ही रंग की पुताई नहीं करवाएं।
इसका कारण यह है कि हर कमरा अलग उद्देश्य से बना होता है जैसे शयन कक्ष का उद्देश्य अच्छी नींद से है। शयन कक्ष का प्रभाव व्यक्ति के रिश्तों पर भी होता है जबकि ड्राइंग रुम का उद्देश्य अन्य बातों से है इसलिए उद्देश्य के हिसाब से कमरे का रंग-रोगन भी अलग होना चाहिए। शयन कक्ष में मानसिक शांति और रिश्तों में मधुरता बनी रहे इसके लिए गुलाबी, आसमानी या हल्का हरा रंग की पुताई करवा सकते हैं।


ड्राइंग रूम में गुलाबी, क्रीम, सफेद या भूरा रंग प्रयोग किया जा सकता है। रसोई घर के लिए लाल, गुलाबी और नारंगी शुभ रंग माना जाता है जबकि डाइनिंग रुम के लिए गुलाबी, आसमानी और हल्का हरा।
पढ़ने लिखने में रुचि बढ़ाने के लिए अध्ययन कक्ष में गुलाबी, हल्का हरा या आसमानी रंग की पुताई करवा सकते हैं। शौचालय एवं स्नान गृह के लिए गुलाबी और सफेद अनुकूल रंग है।
          अगर आप दिशा का भी ध्यान रखते हुए कमरे में पुताई करवाते हैं तो वास्तु का शुभ प्रभाव बढ़ता। इसलिए उत्तर पूर्वी दिशा में जो कमरा हो उसमें सफेद या बैंगनी रंग का प्रयोग सबसे अनुकूल रहता है। इस कमरे में गाढ़े रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
दक्षिण पूर्वी कमरे में पीले या नारंगी रंग का प्रयोग करना चाहिए। दक्षिण पश्चिमी कमरे में ऑफ ह्वाइट यानी भूरा या पीला रंग मिश्रित सफेद रंग करवा सकते हैं।

दक्षिण-पूर्वी दिशा में हरे रंग की पुताई शुभ फल देती है। पश्चिमी कमरे में कोई भी रंग प्रयोग कर सकते हैं, सिर्फ सफेद रंग इस दिशा में प्रयोग नहीं करें।किसी भी घर का सबसे प्रमुख स्थान होता है किचन। क्योंकि यही वह स्थान है जहां से उस घर में रहने वाले लोगों के लिए भोजन बनता है। इसलिए किचन को अन्नपूर्णा का घर भी कहा जाता है।,           ,लेकिन कई बार किचन में मौजूद वास्तु दोष के कारण यह मकान में रहने वाले लोगों की सेहत को भी प्रभावित करने लगता है। आर्थिक मामलों में उतार-चढ़ाव का एक बड़ा कारण किचन में मौजूद वास्तुदोष को भी माना गया है।

            अगर आप किचन के वास्तु पर जरा सा ध्यान दें तो संभव है कि आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाए। परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव में भी कमी आए।किचन में भोजन बनाने का काम अग्नि से होता है इसलिए किचन के लिए सबसे उत्तम दिशा दक्षिण पूर्व यानी आग्नेय कोण माना गया है।
इस दिशा में किचन होने पर घर की महिलाएं प्रसन्न और स्वस्थ रहती हैं। किचन के अंदर महिलाओं की हुकूमत चलती है। परिवार में आपसी तालमेल बना रहता है।
         किचन उत्तर दिशा में होना आर्थिक दृष्टि से अच्छा रहता है। जिस घर में किचन उत्तर दिशा में होता है उस घर की महिला बुद्घिमान होती है। घर की मालकिन सभी से स्नेह रखती है। लेकिन परिवार की महिलाओं के बीच आपसी तालमेल की कमी रहती है।
     जिनके घर में किचन पूर्व में होता है उनके घर में धन का आगमन अच्छा रहता है लेकिन घर की पूरी कमान पत्नी के हाथ में होता है। बावजूद इसके पत्नी खुश नहीं रहती है, स्त्री रोग, पित्त रोग एवं नाड़ी संबंधी रोग का इन्हें सामना करना पड़ता है।

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