सोमवार, 31 अक्तूबर 2016

सिंह की तपस्या ))))))))))

(( सिंह की तपस्या ))))))))))
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भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी पार्वती ने हजारों वर्ष तक तपस्या की।
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कहते हैं उनकी तपस्या में इतना तेज़ था जिसके प्रभाव से देवी सांवली हो गईं।
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इस कठोर तपस्या के बाद शिव तथा पार्वती का विवाह भी हुआ एवं संतान के रूप में उन्हें कार्तिकेय एवं गणेश की प्राप्ति भी हुई।
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एक कथा के अनुसार भगवान शिव से विवाह के बाद एक दिन जब शिव-पार्वती साथ बैठे थे तब भगवान शिव ने पार्वती से मजाक करते हुए काली कह दिया।
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देवी पार्वती को शिव की यह बात चुभ गई और कैलाश छोड़कर वापस तपस्या करने में लीन हो गईं।
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इस बीच एक भूखा शेर देवी को खाने की इच्छा से वहां पहुंचा। लेकिन चमत्कार तो देखिए... देवी को तपस्या में लीन देखकर वह वहीं चुपचाप बैठ गया।




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ना जाने क्यों शेर देवी के तपस्या को भंग नहीं करना चाहता था। वह सोचने लगा कि देवी कब तपस्या से उठें और वह उन्हें अपना आहार बना ले।
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इस बीच कई साल बीत गए लेकिन शेर अपनी जगह डटा रहा।
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कई वर्ष बीत गए लेकिन माता पार्वती अभी भी तपस्या में मग्न ही थीं, वे तप से उठने का फैसला किसी भी हाल में लेना नहीं चाहती थीं।
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लेकिन तभी शिव वहां प्रकट हुए और देवी को गोरे होने का वरदान देकर चले गए।
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थोड़ी देर बाद माता पार्वती भी तप से उठीं और उन्होंने गंगा स्नान किया।
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स्नान के तुरंत बाद ही अचानक उनके भीतर से एक और देवी प्रकट हुईं। उनका रंग बेहद काला था।
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उस काली देवी के माता पार्वती के भीतर से निकलते ही देवी का खुद का रंग गोरा हो गया।
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इसी कथा के अनुसार माता के भीतर से निकली देवी का नाम कौशिकी पड़ा और गोरी हो चुकी माता सम्पूर्ण जगत में ‘माता गौरी’ कहलाईं।
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स्नान के बाद देवी ने अपने निकट एक सिंह को पाया, जो वर्षों से उन्हें खाने की ललक में बैठा था।
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लेकिन देवी की तरह ही वह वर्षों से एक तपस्या में था, जिसका वरदान माता ने उसे अपना वाहन बनाकर दिया।
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देवी उस सिंह की तपस्या से अति प्रसन्न हुई थीं, इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति से उस सिंह पर नियंत्रण पाकर उसे अपना वाहन बना लिया।
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))

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