बुधवार, 27 अगस्त 2014

वास्तु विचार -परामर्श

..!! कैसा हो हिंदू घर?
घर को गृह भी कहते हैं। घर वास्तु अनुसार
होना चाहिए। घर सुगंधित तथा साफ-
सुथरा होना चाहिए। घर मंदिर के आस-पास ही हो,
जिससे की हमारे कर्तव्य के प्रति हम सजग रहे
तथा मंदिर दर्शन से उस ईश्वर की याद बनी रहे।
इसके मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक
कारण भी है। घर में मंदिर की जगह ध्यान कक्ष
होता है ना की मंदिर ।
वास्तु रचना :
1.घर का मुख्य द्वार चार में से किसी एक
दिशा में हो। वह चार दिशा है-ईशान, उत्तर, वायव
और पश्चिम।
2.घर के सामने आँगन और पीछे भी आँगन
हो जिसके बीच में तुलसी का एक पौधा लगा हो।
3.घर के सामने या निकट तिराहा-चौराह
नहीं होना चाहिए।
4.घर का दरवाजा दो पल्लों का होना चाहिए।
अर्थात बीच में से भीतर खुलने वाला हो। दरवाजे
की दीवार के दाएँ शुभ और बाएँ लाभ लिखा हो।
5.घर के प्रवेश द्वार के ऊपर स्वस्तिक
अथवा '' की आकृति लगाएँ।
6 .घर के अंदर आग्नेय कोण में किचन, ईशान में
प्रार्थना-ध्यान का कक्ष हो, नैऋत्य कोण में
शौचालय, दक्षिण में भारी सामान रखने का स्थान
आदि हो।
7.घर में बहुत सारे देवी-देवताओं के चित्र
या मूर्ति ना रखें। घर में मंदिर ना बनाएँ।
8.घर के सारे कोने और ब्रह्म स्थान (बीच
का स्थान) खाली रखें।
9.घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान
ना रखें।
10.घर हो मंदिर के आसपास तो घर में सकारात्मक
ऊर्जा बनी रहती है।
11.घर में किसी भी प्राकार की नाकारात्मक
वस्तुओं का संग्रह ना करें और
अटाला भी इकट्ठा ना करें।
12.घर में सीढ़ियाँ विषम संख्या (5,7, 9) में
होनी चाहिए।
13.उत्तर, पूर्व तथा उत्तर-पूर्व (ईशान) में
खुला स्थान अधिक रखना चाहिए।
14. घर के उपर केसरिया धवज लगाकर रखें।
16. घर में किसी भी तरह के नकारात्मक पौधे
या वृक्ष रोपित ना करें।
अंतत: किसी वास्तुकार से पूछकर-जानकर घर
को सजाया और संवारा जा सकता है। घर का वास्तु
सही है तो ग्रह-नक्षत्र भी सही ही रहते हैं। घर
में गृहकलह ना हो तो सभी तरह की सुख
शांति प्राप्त की जा सकती है। घर को पूर्णत:
हिंदू रीति अनुसार ही बनाएं, जो एक वैज्ञानिक ASTROLOGY- REMEDIES FOR EVERYONE !
कुछ ऐसे उपाय जोकि कोई भी व्यक्ति, चाहे उसका लग्न अथवा ग्रह-स्थिति कुछ भी हो, कर सकता है और चाहे उसे अपनी जन्मतिथि और समय आदि भी न पता हो। उसे भी कुछ न कुछ लाभ ही होगा।
- सूर्य को जल देना, गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा, सुंदरकाण्ड, दुर्गा सप्तशदी, हरिद्यस्त्रोत, रामायण, गजेन्द्रमोक्ष, दुर्गा चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र आदि का पाठ।
- किसी भूखे व्यक्ति को खाना, सही मायने में जरूरतमन्द व्यक्ति को वस्त्र, दवाई, चप्पल/जूता, किताबें अथवा शिक्षा देना।
- गाय, कुत्तों, पक्षियों अथवा किसी भी जानवर को खाना, दना, पानी, दवाई, सेवा अथवा कोई भी अन्य सुविधा।
- किसी गरीब कि पढ़ाई, बहन-बेटी की शादी, इलाज़ आदि में सहायता।
-किसी मंदिर, गुरुद्वारा अथवा धार्मिक स्थान पर पूजा, शिवलिंग या अन्य देवमूर्ति पर दूध, जल, अथवा फूल आदि चढ़ाना।
- अनाथों, वृद्धों, विधवाओं, अपंगों, कोढ़ियो आदि की सेवा।
आप कोई भी दान/सेवा मन से करके देखिये, इसे मिलने वाला संतोष ही आपके आधे कष्टों को हर लेगा।
,,,, कल्य उत्थाय यो मर्त्यः स्पृशेद गां वै घृतं दधि ।
सर्षपं च प्रियंगुं च कलमषात प्रतिमुच्यते ।।
जो व्यक्ति प्रतिदिन सुबह नहाकर राई, सरसों, गाय, घी और दही का स्पर्श करता है वह कई पापों से मुक्त हो जाता है।,, जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है।

तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।"

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