शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

दर्पण



               दर्पण आप और हम रोज देखते हैं। हमारे सजने-संवरने में वह एक सुलभ और बेहतर माध्यम है। लेकिन दर्पण के कई उपयोग हैं। मसलन वास्तु के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो दर्पण घर में सकारात्मक शक्तियों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चीनी वास्तु में तो दर्पण का प्रयोग अच्छे प्रभाव को बढ़ाने तथा नकारात्मक ऊर्जा को पलटकर उसके प्रभाव को अच्छा करने के लिए किया जाता है। पर एक ही दर्पण हर जरूरत के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।



 अलग-अलग आकार के दर्पण हों, तो वह विभिन्न परेशानियों को दूर भगाने में कारगर साबित होते हैं। वैसे तो दर्पण के लिए ईशान यानी उत्तर-पूर्व का कोना अच्छा माना जाता है। पर व्यवसाय में उन्नति के लिए दक्षिण दिशा में गोल दर्पण लगाना हितकर रहता है। लेकिन यह उपाय भारत में आसानी से स्वीकृत नहीं है। असल में यहां उत्तर में कुबेर का वास माना जाता है और जब दक्षिण की दीवार पर दर्पण लगाया जाएगा, तो उत्तर से आने वाले प्रतिबिंब दर्पण में दिखाई देंगे और कुबेर के लाभ से आप वंचित हो जाएंगे। वैसे हर देश के वास्तुशास्त्र में यह बताया गया है कि नुकीले, भारी और टूटे हुए दर्पण के प्रयोग से हमें बचना चाहिए।
     व्यावसायिक या घर का नैऋत्य कोण यानी दक्षिण-पश्चिम भाग, अगर ईशान कोण से नीचा हो, तो आप ईशान कोण में चौड़ा दर्पण लगाएं। यह फर्श में गहराई का अहसास दिलाएगा। इससे घर की आय में बढ़ोतरी होती है।
     यदि निवास या व्यावसायिक स्थल पर वायव्य कोण यानी उत्तर-पश्चिम भाग कटा हुआ हो, तो कटे हुए भाग की पूरी उत्तरी दीवार में चार फुट चौड़ा दर्पण लगाएं। इससे आर्थिक लाभ मिलेगा। साथ ही पड़ोसियों, रिश्तेदारों से संबंध अच्छे रहते हैं। अगर ईशान कोण कटा हुआ हो, तो अंदर के कटे हुए भाग पर दर्पण लगाने से बुरा प्रभाव ठीक हो जाता है।
     आजकल फ्लैट्स के मुख्य द्वार सीढ़ियों के सामने होते हैं या लिफ्ट के बगल में। इसे एक प्रकार का वास्तु दोष माना जाता है। इसी प्रकार अगर घर का दरवाजा आखिरी सीढ़ी के समान तल पर है, तो यह भी वास्तु दोष है। इस वजह से गृहस्वामी को अपनी मेहनत का पूरा फल नहीं मिलता है और जमा पूंजी का भी हृस होता है। ऐसे में अगर दरवाजे पर अष्टकोणीय दर्पण लगा दिया जाए, तो सारे वास्तु दोष समाप्त होने लगते हैं। घर का मुख्य द्वार लिफ्ट के सामने हो, तो अपनी दहलीज ऊंची बनवा लें और अष्टकोणीय दर्पण द्वार पर लगाएं। इससे वास्तु दोष दूर हो जाता है।
     अगर आपके फ्लैट या भवन के पीछे राजमार्ग हो, तो यह भी आपकी उन्नति में बाधा ला सकता है। आपकी निंदा अधिक होगी। इसलिए मकान के पीछे अष्टकोणीय दर्पण लगाना, श्रेयस्कर रहेगा।
     अगर आपके घर में व्यावसायिक स्थल या कार्यालय हो, तो ध्यान रखें कि बैठने के स्थान के ठीक सामने मुख्य द्वार हो। अगर ऐसा नहीं है, तो बैठने के स्थान से उत्तरी दिशा में एक दर्पण इस तरह लगाएं कि उसमें आपका बिंब स्पष्ट रूप से दिखाई दे।
     विशेषकर डाइनिंग रूम में दर्पण लगाना अच्छा माना जाता है। इससे भोजन करने की मात्रा संतुलित रहती है।
     शयनकक्ष में बिस्तर के सामने दर्पण  नहीं रखना चाहिए। यदि ऐसा है, तो ध्यान दें कि दर्पण में बेड दिखाई न दे। यह स्वास्थ्य के लिए नकारात्मक माना जाता है।
     अगर आपके घर में पूर्व के बजाय पश्चिम का भाग ज्यादा खुला हो, तो पूर्व दिशा में दर्पण का प्रयोग करें। 


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