गुरुवार, 18 जून 2015

चौदह किस्म के होते हैं रुद्राक्ष


चौदह किस्म के होते हैं रुद्राक्ष धारण करने से मिलते हैं ये लाभ


लोग अक्सर रुद्राक्ष धारण कर लेते हैं, पर उन्हें इसके प्रभाव का पता नहीं होता. आज हम आपको बताएंगे की विभिन्न मुख के रुद्राक्ष धारण करने के क्या-क्या फायदे होते हैं और उन्हें कौन धारण कर सकता है. रुद्राक्ष एक फल की गुठली है. ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है.
हालांकि वैज्ञानिक रुप से रुद्राक्ष के फायदों को अबतक साबित नहीं किया जा सका ,है फिर भी पारंपरिक रुप से ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष उन लोगों के लिए विशेष लाभकारी सिद्ध होता है जो निरंतर भ्रमण करते रहते हैं और जगह-जगह खाते-पीते और सोते हैं. ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष व्यक्ति के स्वंय की उर्जा का उसके चारो ओर कवच बना देता है. अगर किसी स्थान का वातावरण व्यक्ति की उर्जा के अनुकूल नहीं होगा तो व्यक्ति को उस जगह ठहरने में कठिनाई महसूस होगी. यही कारण है कि साधू-सन्यासी जो निरंतर भ्रमण करते रहते हैंं, वे रुद्राक्ष अवश्य धारण करते हैं.


यात्रियों और उन प्रोफेशनलों के लिए जिन्हें काम के सिलसिले में स्थान-स्थान भ्रमण करना पड़ता है, रुद्राक्ष धारण करना लाभप्रद होता है. लेकिन हर व्यक्ति को अपनी जरुरतों और मनोकामना के अनुसार अलग-अलग रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए. साथ ही रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम भी हैं जिनका रुद्राक्ष धारण करने से पहले पालन किया जाना चाहिए. जैसे- रुद्राक्ष की जिस माला से आप जाप करते हैं उसे धारण नहीं किया जाना चाहिए. रुद्राक्ष को किसी शुभ मुहूर्त में ही धारण करना चाहिए. इसे अंगूठी में नहीं जड़ाना चाहिए.

रुद्राक्ष चौदह किस्म के होते हैं जिनको धारण करने के फायदे अलग-अलग हैं-

एकमुखी रुद्राक्ष
इस रुद्राक्ष में एक ही आँख अथवा बिंदी होती है. स्वयं शिव का स्वरूप माने जाने वाला यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के सुख, मोक्ष और उन्नति प्रदान करने वाला होता है. वैसे यह रुद्राक्ष आसानी बेहद दुर्लभ होता है. एकमुखी रुद्राक्ष को इस मंत्र (ऊँ ह्रीं नम:।।) के जप के साथ धारण करना चाहिए.

दोमुखी रुद्राक्ष
दोमुखी रुद्राक्ष को देवदेवेश्वर कहा गया है. यह सभी प्रकार की कामनाओं को पूरा करने वाला तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति व तेज प्रदान करने वाला होता है. इसे धारण करने का मंत्र है- ऊँ नम:।।

त्रिमुखी रुद्राक्ष
शिवपुराण में  तीन मुखी रुद्राक्ष को कठिन साधाना के बराबर फल देने वाला बताया गया है. यह समस्त भोग-ऐश्वर्य प्रदान करने वाला होता है. जिन लोगों को विद्या प्राप्ति की अभिलाषा है उन्हें भी यह रुद्राक्ष धारण करना चाहिए. इसे धारण करने का मंत्र है- ऊँ क्लीं नम:।।

 चतुर्थमुखी रुद्राक्ष
इसे ब्रह्मा का रूप माना गया है. यह धर्म, अर्थ काम एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।।

पंचमुखी रुद्राक्ष
इसे सुख प्रदान करने वाला माना गया है. यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के पापों के प्रभाव को भी कम करता है. इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।।



षष्ठमुखी रुद्राक्ष
इसे भगवान कार्तिकेय का रूप माना जाता है. पापों से मुक्ति एवं संतान देने वाला होता होता है. जो व्यक्ति इस रुद्राक्ष को दाहिनी बांह पर धारण करता है, उसे ब्रह्महत्या जैसे पापों से भी मुक्ति मिल जाती है. इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:।।

सप्तमुखी रुद्राक्ष
यह दरिद्रता को दूर करने वाला होता है. इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:।।

अष्टमुखी रुद्राक्ष
शिवपुराण में अष्टमुखी रुद्राक्ष को भैरव का रूप कहा गया है. यह आयु एवं सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है एंव अकाल मृत्यु से रक्षा करता है. इसका मंत्र है- ऊँ हुं नम:।।

नवममुखी रुद्राक्ष
इसे महाशक्ति के नौ रूपों का प्रतीक माना गया है. यह मृत्यु के डर से मुक्त करने वाला होता है. इसे धारण करने का मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:।।

दसमुखी रुद्राक्ष
यह रुद्राक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक है. शांति एवं सौंदर्य प्रदान करने वाला होता है. इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।।

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष
शिवपुराण में कहा गया है कि यह रुद्राक्ष भगवान शिव के अवतार रुद्रदेव का रूप है. यह विजय दिलाने वाला, ज्ञान एवं भक्ति प्रदान करने वाला होता है. इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं हुं नम:।।

बारह मुखी रुद्राक्ष
इसे धारण करने वोलों पर बारह आदित्यों की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह धन प्राप्ति कराता है. बारहमुखी रुद्राक्ष को विशेष रूप से बालों में धारण करना चाहिए.  इसका मंत्र है- ऊँ क्रौं क्षौं रौं नम:।।

तरेह मुखी रुद्राक्ष
यह शुभ व लाभ प्रदान कराने वाला होता है. इसके धारण से व्यक्ति भाग्यशाली बन सकता है. इसका मंत्र है- ऊँ ह्रीं नम:।।

चौदह मुखी रुद्राक्ष
इसे भी शिव का रूप माना गया है. यह संपूर्ण पापों को नष्ट करता है. इसका मंत्र है- ऊँ नम:।। 

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