रविवार, 11 अगस्त 2019

अनेक कष्टो का एक इलाज - महा मृत्युंजय मंत्===============



अनेक कष्टो का एक इलाज - महा मृत्युंजय मंत्=======================
रदयमे निराकार ब्रह्म प्रकाश पुंज सूर्य का ध्यान करते हुवे धीरे स्वर से ये मंत्र ऐसे करे कि उनकी गूंज पूरे शरीरमे फेल रही हो..

सदैव कल्याणकारी इस मंत्र जाप से आपके शरीर ,मैन,चित,बुद्धिमें परिवर्तन होने लगता है.तनाव से मुक्त होकर शांति की अनुभूति होने लगती है.ओरा से युक्त चहेरा निर्मल ओर तेजस्वी होजायेगा..अनेक प्रकार की आधी व्याधि स्वतः समाप्त हो जाएगी..

स्वरपेटी की गड़बड़ से किसी आवाज मंद हो गई हो या कर्कश हो गई हो या बसूर होने पर इन विषय के तबीब आ ओ उ ई का राग करवाके स्वरपेटी को शुद्ध करके इलाज करते है ..प्रचंड ध्वनि से बड़े विस्फोट किये जाते है...स्वर से कही अद्भुत चमत्कारी परिणाम पा ये जाते है वो स्वर ध्वनि शरीर मे अद्भुत परिवर्तन करते है...दीर्घ द्रष्टा ऋषिमुनियो ने महा मृत्युंजय मंत्र की रचना ऐसी स्वर रचना की है जिनसे सदैव कल्याणकारी परिणाम मिल रहे है....

1 निःसंतान दंपति स्नान करके गीले वस्ट्रोमे सूर्यदेव को अर्घ्य देते हुवे इस मंत्र के तीन जाप करे...सूर्य किरनोकी उर्जाके स्वरूप शरीरमे आमूल परिवर्तन होगा और संतान प्राप्ति होगी

2 रोग मुक्ति केलिए सरीदेव को इस मंत्र के साथ गाय के दूधसे अर्घ्य दीजिए

3 बेरोजगारी ओर निर्धनता नाश केलिए जल में जव डालके अर्घ्य देना चाहिए

4 प्रभावी व्यक्तित्व और आत्म विश्वास केलिए जलमे सुगंधित पुष्प लीजिए

घरमे या मंदिरमे बैठकर निशदिन ये मंत्र का जाप कीजिये..इस मंत्र के जाप से मस्तिष्क से विविध रसायनों का स्त्राव होने लगता है जो शरीर केलिए पुष्टिकारक है...रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है..शरीर ओजस्वी होने लगता है...आत्म विश्वास के साथ व्यक्तित्व प्रभावी होने लगता है



नर्मदा किनारे एक गांव के बाहर एक शिवलेमे एक रात्रि मुकाम के समय हम इस मंत्र का जाप कर रहे थे तब प्रातः काल से थोड़े पहले एक अनुभूति की...जैसे किसीने हमारे ऊपर प्रकाश कर रहा हो...आंख खोलकर देखा चारो ओर नीला प्रकाश छाया हुवा था..हम अचंबित थे ,उठके शिवालय में अंदर देखा कोई अभी ही पूजा किया था,...दूध ,पुष्प ,बिल्व पत्र धराये हुवे थे और मंदिर बाहर से ताला लगाए हुवे था...ये सुखद अनुभूति के साथ हमारी आंख से अश्रु निकल रहे थे, महादेब ओर अदृश्य दिव्य आत्मा को वंदन करके हम फिरसे हमारे आसान पर चले गए...उन समय वातावरणमे जो सुगंध प्रसरी हुई थी उनका वर्णन असंभव है....इस घटना से हमे प्रतीत हुवा की महा मृत्युंजय मंत्र जापसे दिव्य लोक के दिव्य आत्माओ की भी अनुभूति हो सकती है...

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