शुक्रवार, 29 जून 2018

पीपल की पूजा से लाभ और अनेक समस्याओं का निवारण

पीपल की पूजा से लाभ और अनेक समस्याओं का निवारण
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हिन्दू धर्म में पीपल वृक्ष को देवों का देव कहा गया है. स्वयं कृष्ण ने गीता में कहा है कि मैं वृक्षों में पीपल हूं. जिसने भी इस वृक्ष की सेवा श्रद्धा भाव से की है, उसे लाभ की अनुभूति अवश्य हुई है. आप भी आने वाले शुक्लपक्ष के शनिवार से पीपल के वृक्ष की सेवा शुरू करके अनेक प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाकर सुखी व समृद्ध जीवन गुजार सकते है.
उपाय- पीपल के वृक्ष की प्रत्येक शनिवार को (दूध, जल, शक्कर, शहद, काले तिल, गंगा जल और गुड़ इन सभी चीजों को जल में मिलायें) तत्पश्चात यह मीठा जल पीपल वृक्ष पर चढ़ायें और आटे का दीपक जलाकर उसमें सरसों का तेल, एक लोहे की कील व 11 साबुत उड़त के दाने डालकर धूप दीप के साथ आर्पित करें. बायें हाथ से पीपल के वृक्ष की जड़ को स्पर्श कर अपने माथे में लगायें व 11 बार परिक्रमा करें. यह उपाय करने से कुछ ही समय पश्चात आपको शनिदेव की कृपा मिलने लगेगी. इस उपाय को करने से निम्न प्रकार की समस्याओं से
मुक्ति मिलेगी

यदि कोई व्यक्ति लगातार अस्वस्थ्य रह रहा हो अथवा अल्पायु योग हो तो वह उपरोक्त उपाय को करके लाभ प्राप्त कर सकता है.

यदि आपको शत्रु अधिक परेशान कर रहें है, तो आप उपरोक्त उपाय के साथ-साथ पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें. ऐसा करने से शत्रुओं का नाश होगा.
यदि किसी कन्या की कुंडली में प्रबल वैधव्य यानी विधवापन होने का योग हो तो उसे उपरोक्त उपाय को कम से कम 1 वर्ष तक करने से लाभ अवश्य प्राप्त होगा.
यदि किसी के जन्मपत्री में कालसर्प योग हो तो उपरोक्त उपाय करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी.
देव गुरू बृहस्पति की अशुभता समाप्त करने के लिए केले के वृक्ष के साथ पीपल के वृक्ष की भी निममित सेवा करें तो लाभ होगा.
किसी शुभ मुहूर्त में पीपल के पौधे को लगाने से तथा उसकी नियमित सेवा करने से आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहती है.
यदि आपको कोई विशेष कार्य सिद्ध करना है, तो के दिन उपरोक्त उपाय करने से पूर्व अपना कार्य होने का निवेदन कर पीपल वृक्ष के समक्ष मिट्टी में एक बड़ी लोहे की कील गाड़ दें और कार्य सिद्ध होने के पश्चात निकाल दें.
यदि आपको हाथ-पैरों में अथवा कमर के निचले हिस्से में दर्द बना रहता है तो आप काले कपड़े में पीपल के वृक्ष की जड़ व लकड़ी को रखकर अपने बिस्तर के सिरहाने रख लें और साथ में पीपल वृक्ष की सेवा करते रहें. कुछ समय बाद आप दर्द से मुक्त हो जायेंगे.
कैंसर जैसे असाध्य रोग में भी यदि उपरोक्त उपाय को श्रद्धा पूर्वक किया जाये तो लाभ मिलेगा.
यदि आपको निरन्तर हानि उठानी पड़ रही है तो प्रत्येक शनिवार को पीपल के एक नया पत्ते पर ऊँ लिखकर उस पत्ते को पीपल की लकड़ी के साथ धन रखने के स्थान पर रख दें. यह उपाय कम से कम 8 शनिवार तक करना होगा. कुछ समय में ही आपको लाभ होने लगेगा.और खर्चों मे कमी होगी
प्रथम सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे शिव प्रतिमा अथवा शिवलिंग को रख कर नियमित “ऊँ नम: शिवाय” का जाप कर जल से आभिषेक करें. आपके परिवार में सुख व समृद्धि की हमेशा रहेगी.
*************ॐ नम: शिवाय:**********

सामान्यतः इत्र का प्रयोग सुगंध के लिए विशेष अवसरों पर ही किया जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यदि आपकी कुंडली में कोई ग्रह बुरा प्रभाव दे रहा हो तो इत्र विशेष के प्रयोग से ग्रह की शांति में सहायता मिलती है। आइये जानते है कि कौन से ग्रह के बुरे प्रभाव को शांत करने के लिए किस इत्र विशेष का प्रयोग करना चाहिए :-
सूर्य: केसर तथा गुलाब का इत्र या सुगंध का उपयोग करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं।
चंद्र: चमेली और रातरानी का इत्र या सुगंध चंद्रमा की पीड़ा को कम करते हैं।
मंगल: लाल चंदन का इत्र, तेल अथवा सुगंध मंगल को प्रसन्न करते हैं।
बुध: चंपा का इत्र तथा तेल का प्रयोग बुध की दृष्टि से उत्तम है।
गुरू: पीले फूलों की सुगंध, केसर और केवड़े का इत्र गुरू की कृपा प्राप्ति के लिए उत्तम है।
शुक्र: सफेद फूल, चंदन और कपूर की सुगंधलाभकारी होती है। चंपा,चमेली और गुलाब की तीक्ष्ण खुशबू से शुक्र नाराज हो जाते हैं। हल्की खुशबू के परफ्यूम ही काम में लेने चाहिए।
शनि: कस्तुरी, लोबान तथा सौंफ की सुगंध शनि देव को पसंद है।

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