रविवार, 22 अप्रैल 2018

ग्रहशान्ति:—

ग्रहशान्ति:— ऐसी मान्यता है कि इन ग्रहों की विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति का विभिन्न मनुष्यों पर विभिन्न प्रकार का प्रभाव पड़ता है, ये प्रभाव अनुकूल और प्रतिकूल दोनों होते हैं। ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों के शमन के अनेक उपाय बताये गये हैं जिनमें एक उपाय यज्ञ भी है।
समिधायें: — यज्ञ द्वारा ग्रह शान्ति के उपाय में हर ग्रह के लिए अलग अलग विशिष्ट वनस्पति की समिधा (हवन प्रकाष्ठ) प्रयोग की जाती है, जैसा निम्र श्लोक में वर्णित है-
अर्क: पलाश: खदिरश्चापामार्गोऽथ पिप्पल:।
औडम्बर: शमी दूव्र्वा कुशश्च समिध: क्रमात्।।
अर्थात अर्क (मदार), पलाश, खदिर (खैर), अपामार्ग (लटजीरा), पीपल, ओड़म्बर (गूलर), शमी, दूब और कुश क्रमश: (नवग्रहों की) समिधायें हैं। – गरुण पुराण
नक्षत्र वृक्षों की तालिका –


नक्षत्र——-वृक्ष
अश्विनी——-कुचिला
भरणी———आमला
कृत्तिका———गूलर
रोहिणी———जामुन
मृगशिरा———खैर
आर्द्रा———शीशम
पुनर्वसु,———.बाँस
पुष्य ———पीपल
आश्लेषा———नागकेशर
मघा——-बरगद
पूर्व फाल्गुनी——-पलाश
उत्तर फाल्गुनी——-पाठड़
हस्त———अरीठा
चित्रा———बेलपत्र
स्वाती———अर्जुन
विशाखा———कटाई
अनुराधा———मौल श्री
ज्येष्ठा———चीड़
मूल———साल
पूर्वाषाढ़ा———जलवन्त
उत्तराषाढ़ा——-कटहल
श्रवण———मंदार
घनिष्ठा———शमी
शतभिषा———कदम्ब
पूर्वभाद्रपद——-.आम
उत्तरभाद्रपद——-नीम
रेवती——–महुआ
इसी प्रकार ग्रहों से सम्बंधित वृक्ष इस प्रकार है,...
सूर्य——-मंदार
चंद्र——-पलाश
मंगल——-खैर
बुध———लटजीरा, आँधीझाड़ा
गुरु———पारस पीपल
शुक्र——-गूलर
शनि——-शमी
राहु-केतु——-दूब चन्दन/कुश

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