शनिवार, 20 मई 2017

आनुवंशिक वैज्ञानिक

एक माँ अपने पूजा-पाठ से फुर्सत
पाकर अपने विदेश में रहने वाले
बेटे से फोन पर बात करते समय
पूँछ बैठी: ... बेटा ! कुछ पूजा-पाठ
भी करते हो या फुर्सत ही नहीं मिलती?
बेटे ने माँ को बताया - "माँ मैं एक आनुवंशिक वैज्ञानिक हूँ ... मैं अमेरिका में मानव के विकास पर  काम कर रहा हूँ ...
विकास का सिद्धांत, चार्ल्स डार्विन...
क्या आपने उसके बारे में सुना है ?"



उसकी माँ मुस्कुरा कर बोली - “मैं
डार्विन के बारे में जानती हूँ, बेटा ...
मैं यह भी जानती हूँ कि तुम जो
सोचते हो कि उसने जो भी खोज
की, वह वास्तव में सनातन-धर्म के
लिए बहुत पुरानी खबर है...“
“हो सकता है माँ !” बेटे ने भी व्यंग्यपूर्वक कहा ...
“यदि तुम कुछ होशियार हो, तो इसे
सुनो,” उसकी माँ ने प्रतिकार किया...
... “क्या तुमने दशावतार के बारे में
सुना है ? विष्णु के दस अवतार ?”
बेटे ने सहमति में कहा "हाँ ! पर
दशावतार का मेरी रिसर्च से क्या लेना-देना ?"
माँ फिर बोली: लेना-देना है मेरे
लाल...मैं तुम्हें बताती हूँ कि तुम
और मि. डार्विन क्या नहीं जानते  हैं ?
पहला अवतार था मत्स्य अवतार,
यानि मछली। ऐसा इसलिए कि जीवन पानी में आरम्भ हुआ |
 यह बात सही है या नहीं ?”
बेटा अब और अधिक ध्यानपूर्वक  सुनने लगा ।
उसके बाद आया दूसरा कूर्म अवतार,
जिसका अर्थ है कछुआ, क्योंकि जीवन पानी से जमीन की ओर चला गया
'उभयचर (Amphibian)' तो कछुए ने
समुद्र से जमीन की ओर विकास को दर्शाया।
तीसरा था वराह अवतार, जंगली
सूअर, जिसका मतलब जंगली
जानवर जिनमें बहुत अधिक बुद्धि
नहीं होती है | तुम उन्हें डायनासोर
कहते हो, सही है ?
बेटे ने आंखें फैलाते हुए सहमति जताई
चौथा अवतार था नृसिंह अवतार,
आधा मानव, आधा पशु, जंगली जानवरों
से बुद्धिमान जीवों तक विकास ।
पांचवें वामन अवतार था, बौना जो
वास्तव में लंबा बढ़ सकता था क्या
तुम जानते हो ऐसा क्यों है ? क्योंकि
मनुष्य दो प्रकार के होते थे, होमो
इरेक्टस और होमो सेपिअंस, और
होमो सेपिअंस ने लड़ाई जीत ली"
बेटा दशावतार की प्रासंगिकता पर
स्तब्ध हो रहा था जबकि उसकी माँ
पूर्ण प्रवाह में थी...
छठा अवतार था परशुराम -वे, जिनके
पास कुल्हाड़ी की ताकत थी, वो मानव
जो गुफा और वन में रहने वाला था। गुस्सैल, और सामाजिक नहीं |
सातवां अवतार था मर्यादा पुरुषोत्तम
श्री राम, सोच युक्त प्रथम सामाजिक
व्यक्ति, जिन्होंने समाज के नियम बनाए
और समस्त रिश्तों का आधार ।

 

आठवां अवतार था जगद्गुरु
श्री कृष्ण, राजनेता, राजनीतिज्ञ,
प्रेमी जिन्होंने ने समाज के नियमों
का आनन्द लेते हुए यह सिखाया
कि सामाजिक ढांचे में कैसे रहकर
फला-फूला जा सकता है |
नवां अवतार था भगवान बुद्ध, वे
व्यक्ति जो नृसिंह से उठे और मानव
के सही स्वभाव को खोजा । उन्होंने
मानव द्वारा ज्ञान की अंतिम खोज की पहचान की ।
और अंत में दसवां अवतार कल्कि
आएगा, वह मानव जिस पर तुम
काम कर रहे हो | वह मानव जो आनुवंशिक रूप से अति-श्रेष्ठ होगा।
बेटा अपनी माँ को अवाक होकर
सुनता रहा। अंत में बोल पड़ा
"यह अद्भुत है माँ, भारतीय दर्शन वास्तव में अर्थपूर्ण है"
...पुराण अर्थपूर्ण हैं। सिर्फ आपका
देखने का नज़रिया होना चाहिए
धार्मिक या वैज्ञानिक ?
जय श्री कृष्णा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें