शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

क्या सूर्य का पुत्र शनि है या सूर्य ही शनि है?



क्या सूर्य का पुत्र शनि है या सूर्य ही शनि है?

जिस भाव में सूर्य रहता है, वह भाव उदय(उधर्व् ) मुख है। जिस भाव में चंद्रादि ग्रह रहते है वो भाव तिर्यङ्मुख होता है। जिस भाव में कोई ग्रह नहीं रहता वह अधोमुख होता है।
सूर्य न कभी अस्त होता है, न कभी उदय, यही सत्य है।
सूर्य कीर्ति, स्वाभिमान, नैत्र, यकृत( पित्राशय) मेरुदण्ड, अस्थि, राजा, प्रभुत्व, दशम भाव में बलवान सूर्य राज सत्ता से जोड़ता है।
अश्विनी नक्षत्र के तृतीय चरण में सूर्य उच्च का होता है। इस नक्षत्र का पहला चरण- बाल अवस्था का सतयुग का, द्वितीय चरण युवा अवस्था का है, त्रेतायुग का।
तृतीय चरण- प्रौढ़ अवस्था का है,
द्वापर युग का। चतुर्थ चरण- जरा अवस्था का है, कलियुग का।
प्रौढ़ अवस्था का सूर्य ज्ञान की पूर्ण प्राप्ति करवाता है।
बाल अवस्था सत् युग के समान,
युवा अवस्था काम के समान,
प्रौढ़ावस्था कृष्ण के समान, व जरा अवस्था, कलि के समान दुखों व व्याधियों से युक्त।
ॐ हरि ॐ।
सूर्य की पत्नी संज्ञा-
संज्ञा=सम्- ज्ञा- सम्पूर्ण ज्ञान पर सूर्य का अधिकार है।
छाया-- प्रकाश का अभाव- अज्ञान पर भी सूर्य का प्रभुत्व है।
अश्विनी भी सूर्य की पत्नी है-
अश्विनी-- किरणा युक्त, गतिशील। प्रकाश युकी एवं गतिशील जितने भी पिंड है वे सब सूर्य द्वारा पोषित है।
सूर्य की पत्नी संज्ञा से- दो सन्तान हुई- यम व यमी।
यम- यमन करने वाला, मारने वाला, सूर्य अपनी किरणों से जल को मारता है, सोखता है।
यमी- यमुना। यमुना का जल गहरा व नीला है। जल भी नीला होता है, उसे सोख कर पुनः जल देता है। अतः यमी है, सूर्य शासक है।
सूर्य+ छाया के योग से तीन सन्तान हुई-
सावर्णि, शनि दो पुत्र।
तपनी नाम की कन्या।
सावर्णि- एकरूपता, आठवें मन्वतर का स्वामी।
शनि- शुष्क।
तपनी- ऊष्मा, धुप।
सूर्य सर्वदा एक रूप है, स्थिर है,
सूर्य सबको सूखा कर बलहीन कर देता है। यह उसका शनित्व है। सबको अपनी प्रखर किरणों से तपाता है, पीड़ा देता है। सूर्य उष्मावान है।
अश्विनी से दो जुड़वां सन्तान हुई
जिसे अश्वनी कुमार कहते है।
सूर्य के द्वारा ही औषधियां निर्माण होती है, उसकी किरणों से। इस लिए चिकित्सा जगत में
प्रवेश के लिए सूर्य का बलवान होना या सिंह का सूर्य होना आवश्यक होता है।गुरु देव से विचार विमर्श कर के सूर्य और शानी के बारे में लिखा।श्री राधे।।।जय माँ तारा।।।गुरु कृपा केवलं।। 
               चलिए आज आपको उपाय देता हूं -यदि किसी भी दपंति की आपस मे नही बनती हो और उसके घर मे पैसा नही बचता हो तो कोशिश करे कि -हर शुक्रवार को सफेद फूलो की माला भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी एक साथ हो जंहा पर उनको चढाऐ या सफेद कमल दोनो पती पत्नी और मिश्री का प्रसाद बांटे पर स्वयः न ले ।
2---हर शनिवार पीपल पर और शिवलिगं पर पानी मे काले तिल व सरसो के तेल की कुछ बूदे डालकर चढाऐ और यदि पीपल चढाते है तो वही से गिली मिट्टी का तिल मक करे और शिवलिगं पर चढाते है तो जब शिवलिगं से वही पानी बहे तो वह पानी एक शीशी मे भरकर रोज नहाने के पानी मे डालकर नहाये । नित्य करने काफी आराम आपको मिलेगा ।

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