रविवार, 17 मई 2015

//सनातन धर्म के १६ महत्वपूर्ण सत्य-2





8. राजा हरीशचन्द्र : सतयुग के राजा हरीशचन्द्र की कहानी को कौन नहीं जानता? लगभग सभी जानते हैं कि कैसे ऋषि विश्‍वामित्र और ब्रह्मा ने उनकी सत्यप्रियता की परीक्षा लेने के लिए उनका जीवन बर्बाद कर दिया था, लेकिन उन्होंने सत्य का साथ फिर भी नहीं छोड़ा। उनकी कहानी बड़ी ही दर्दनाक कहानी है। भारत के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण कथा मानी जाती है सत्यवादी राजा हरीशचन्द्र की कथा।
हरीशचन्द्र सच बोलने, दान देने और वचन पालन के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी सत्यता की परीक्षा लेने के लिए ब्रह्मा और ‍विश्‍वामित्र ने एक योजना बनाई और फिर राजा हरीशचन्द्र का जीवन बदल गया। एक रात उन्होंने सपना देखा कि उन्होंने ऋषि विश्वामित्र को अपना संपूर्ण राजपाट दान कर दिया है। सुबह हुई तभी उनके द्वार पर विश्वामित्र साधु वेश में आ धमके। राजा हरीशचन्द्र ने उन्हें प्रणाम कर पूछा- 'मेरे लिए क्या आज्ञा है, मुनिवर?'
मुनि के भेष में विश्‍वामित्र ने कहा कि मैं जो मांगूगा, वो तुम दे सकोगे? तब राजा ने विश्‍वामित्र को पहचानकर कहा कि मैं अपना सबकुछ पहले से ही आपको दे चुका हूं मुनिवर अब क्या दूं? विश्‍वामित्र को आश्चर्य हुआ। विश्‍वामित्र ने कहा कि मुझे खुशी है, तुम अपने वचन के पक्के हो। चलो, तुम्हारा साम्राज्य अब मेरा हुआ किंतु अब बताओ दक्षिणा में तुम क्या दोगे?
राजा सोच में पड़ गए। वे जानते थे कि दक्षिणा के बिना दान पूरा नहीं होता। कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने कहा- 'मुनिवर, अब तो हमारे पास केवल हमारे शरीर बचे हैं। काशी नगरी के बाजार में हम अपने को बेचेंगे। जो मूल्य मिलेगा, वही आपकी दक्षिणा होगी।' राजा ने अपने पुत्र और पत्नी सहित खुद को काशी की मंडी में बेच दिया और उस रकम को विश्वामित्र को ‍दक्षिणा में दे दिया।
9. ययाति की कहानी : ब्रह्मा से अत्रि, अत्रि से चंद्रमा, चंद्रमा से बुध, बुध से पुरुरवा, पुरुरवा से आयु, आयु से नहुष, नहुष से यति, ययाति, संयाति, आयति, वियाति और कृति नामक छः महाबल-विक्रमशाली पुत्र हुए।
अत्रि से उत्पन्न चंद्रवंशियों में पुरुरवा-ऐल के बाद सबसे चर्चित कहानी ययाति और उसने पुत्रों की है। ययाति के 5 पुत्र थे- 1. पुरु, 2. यदु, 3. तुर्वस, 4. अनु और 5. द्रुह्मु। उनके इन पांचों पुत्रों और उनके कुल के लोगों ने मिलकर लगभग संपूर्ण एशिया पर राज किया था। ऋग्वेद में इसका उल्लेख मिलता है।
ययाति बहुत ही भोग-विलासी राजा था। जब भी उसको यमराज लेने आते तो वह कह देता नहीं अभी तो बहुत काम बचे हैं। अभी तो कुछ देखा ही नहीं।
10. वशिष्ठ-विश्वामित्र की लड़ाई : गुरु वशिष्ठ और विश्वामित्र के मध्य प्रतिष्ठा की लड़ाई चलती रहती थी। इस लड़ाई
के चलते ही 5 हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के पूर्व एक और महासंग्राम हुआ

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