शनिवार, 12 जुलाई 2014

गोचर फलित

ज्योतिष के गोचर फलादेश अनुसार बृहस्पति देव आज सुबह 10 बजकर 57 मिनट और 05 सेकण्ड पर कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। महूर्त प्रणाली अनुसार इसी समय अषाढ़ महीने की कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि, बवकरण, आयुष्मान योग तथा चंद्रमा शनि की राशि कुंभ में और बृहस्पति के नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद में गोचर करेंगे। 12 साल बाद बृहस्पति अपनी उच्च राशि में आएंगे जो दिनांक 14 जुलाई 2015 सुबह 08 बजकर 46 मिनट और 29 सेकण्ड तक कर्क में रहेंगे। 

वर्ष 2014 में ग्रह गोचर अद्भुत संयोग बना रहे है जो के शताब्दियों में एक बार बनता है। इस वर्ष राहू, केतु, बुद्ध, चंद्रमा, गुरु और शनि अपनी उच्च राशियों में एक साथ होंगे तथा सूर्य और मंगल स्वयं राशि में गोचर करेंगे। यह योग आश्विन महीने की षष्ठी तिथि रविवार 14 सितंबर 2014 को अर्धरात्री 01 बजकर 06 मिनट और 12 सेकंड से प्रारंभ होकर आश्विन महीने की अष्टमी तिथि मंगलवार 16 सितंबर 2014 को सुबह 09 बजकर 21 मिनट और 15 सेकंड तक विद्धमान होंगे। 

क्या पुनः अवतरित होंगे स्वयं भगवान ?
ग्रह गोचर वर्ष 2014 में ऐसे अद्भुत योग बना रहे हैं जिसे देखकर ये प्रतीत होते है की धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश हेतु स्वयं भगवान अवतरित होंगे। ऐसे योग भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष में बनते हुए प्रतीत होते हैं। शानिवार 6 सितंबर 2014 शाम 06 बजकर 14 मिनट से मंगलवार दिनांक 09 सितंबर 2014 प्रातः 07 बजकर 08 मिनट तक बन रहे है धर्म से संबंधित विशेष ज्योतिष योग। इसी समय अवधि में वामनावतार जयंती, शनि प्रदोष, अनंत चतुर्दशी और भाद्रपद सत्य पूर्णिमा के ऐसे प्रबल योग निर्मित होते है। ऐसी संभावना बनती है के इस समय किसी परम पूजनीय माता के गर्भ से संभवतः स्वयं भगवान अवतरित होंगे। 

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