मंगलवार दिनांक 14.07.15 को देवगुरु बृहस्पति
12 साल बाद सिंघास्थ होने जा रहे हैं अर्थात 12 साल बाद बृहस्पति सूर्य की राशि
सिंह में प्रवेश कर रहे हैं । भारतीय ज्योतिष के पंचांग खंड अनुसार भारतीय राजधानी
नई दिल्ली के रेखांश व अक्षांश के आधार पर मंगलवार दिनांक 14.07.15 को प्रातः
देवगुरु बृहस्पति प्रातः 07 बजकर 08 मिनट पर अपनी उच्च राशि कर्क व अपने अपने
पुत्र बुध के नक्षत्र अश्लेषा को त्यागकर अपने शिष्य सूर्य की राशि सिंह में तथा
केतू के नक्षत्र मघा में प्रवेश करेगा।
बृहस्पति सिंह राशि में गुरुवार दिनांक
11.07.16 रात्रि 10 बजकर 23 मिनट तक सिंह राशि में रहेंगे । गुरू का सिंह राशि में
प्रवेश करना धार्मिक दृष्टि से अनुकूल है । सिंघास्थ बृहस्पति धर्मस्थलों, ब्राह्मणों, विद्वानों की प्रतिष्ठा में वृद्धि
करेगा । शिक्षा व धार्मिक क्षेत्र में उन्नति होगी ।शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त
होगा । विशेष व्यक्तियों को अपने क्षेत्र में मुख्य स्थान प्राप्त होगा । मान, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी ।
व्यवहार में सात्विकता का समावेश होगा तथा लोगो की धर्म के प्रति आस्था बढ़ेगी ।
ज्योतिषशास्त्र अनुसार बृहस्पति के सिंह राशि
में आने से राजनीति में सच्चे व निष्ठावान लोगों को ही शुभ फल प्राप्त होगा । आम
खाद्य प्रदार्थों में तेजी आने से महंगाई बढ़ सकती है और आम जनमानस की क्रय शक्ति
भी प्रभावित होगी । गेहूं, उड़द, तिल, चावल, फल
सब्जियां इत्यादि सभी खाद्य प्रदार्थों में तेजी देखने को मिलेगी । इसके साथ साथ
सभी स्वर्ण पीतल, तांबा
इत्यादि वस्तुओं में मंदी का रुख रहेगा । टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में देश अत्यधि
प्रगति करेगा ।
बृहस्पति का गोचर शुभाशुभ रूप मे भारत की
भौगोलिक स्थिति को प्रभावित करेगा । अत्यधिक वर्षा के कारण फसलों को नुकसान
पहुंचेगा । देश की राजनीतिक स्थिति में सुधार होगा । परंतु समुदायों के मध्य तनाव
बढ्ने के संकेत भी है ।
शास्त्र फलदीपका अनुसार जन्म
राशि से 4, 5, 7, 9, 11 ,12 वें भाव में गुरु का गोचर शुभ फल
प्रदान करता है । वहीं दूसरी ओर 1, 2, 3, 6, 8, 10 वें स्थान पर गुरु का गोचर अनेक
प्रकार की समस्याओं की स्थिति उत्पन्न करता है । आएं जानते हैं द्वादश राशियों पर
सिंहस्थ गुरु का असर ।
मेष: भागेश बृहस्पति का पंचम मे गोचर
से विद्या व प्रेम के क्षेत्र में सफलता लाएगा । प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के
योग हैं । भाग्यशाली रहेंगे ।
वृष: अष्टमेश बृहस्पति का चतुर्थ गोचर माता से
लाभ, जनहित कार्यों
में सफलता, नौकरी
में सफलता लेकर आ रहा है । शारीरिक कष्ट के योग हैं ।
मिथुन: कर्मेश बृहस्पति के तृतीय गोचर से कठिन
परिश्रम से कार्य सफलता, भाई
बंधु से अनबन, शत्रु
नाश लेकर आ रहा है । दैनिक कार्यों में रुकावट के योग हैं ।
कर्क: षष्टेश बृहस्पति का द्वितीय गोचर वाणी में
कष्ट, आर्थिक बचत में
सेंध, भाग्य द्वारा
सफलता लेकर आ रहा है । ननिहाल पक्ष से लाभ के योग हैं ।
सिंह: अष्टमेश बृहस्पति का लग्न मे गोचर संतान
सुख, प्रतियोगी
परीक्षाओं में सफलता, बीमारी
व मेंटेल टेंशन लेकर आ रहा है । मति भ्रम व मनोविकार के योग हैं ।
कन्या: सप्तमेश बृहस्पति का द्वादश
मे गोचर दांपत्य कलह,
अविवाहितों का विवाह, अनैतिक संबंध, भोग
विलासिता, व्यवसायिक सफलता लेकर आ रहा है । रोग के योग हैं ।
तुला: तृतीयेश बृहस्पति का एकादश मे गोचर
आर्थिक लाभ, परिश्रम
द्वारा आर्थिक उन्नति, शत्रु
बाधा लेकर आ रहा है । पराक्रम में वृद्धि के योग हैं ।
वृश्चिक: पंचमेश बृहस्पति का दशम मे
गोचर वाणी में कटुता,
विद्या मे सफलता, निःसंतान दंपति को लाभ लेकर आ रहा है
। नौकरी में परिवर्तन के योग हैं ।
धनु: लग्नेश बृहस्पति का भाग्य स्थान में गोचर
भग्यौदय, सुंदरता में
वृद्धि, महत्वपूर्ण
कार्यों में सफलता, प्रॉपर्टी
से लाभ लेकर आ रहा है । प्रमोशन के योग हैं ।
मकर:
व्य्येश बृहस्पति का अष्टम में गोचर आर्थिक परेशानियों, स्वास्थ में गिरावट, दैनिक कार्य में रुकावट, दुर्भाग्य, दैहिक कष्ट लेकर आ रहा है ।
एक्सीडेंट्स के योग हैं।
कुंभ: धनेश बृहस्पति का सप्तम में गोचर दैनिक
सुविधाओं में वृद्धि, जीवनसाथी
को कष्ट, अत्यधिक खर्च, पार्टनर्शिप में लेकर आ रहा है ।
अकस्मात धनलाभ के योग हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें