शनिवार, 11 जुलाई 2015

FOR ALL DISEASES....




FOR ALL DISEASES....
ॐ शां शांखिनीभ्यां नमः
‘Om shaM shankhinibhyaM namah”
इस मन्त्र से आँखों के विकार (Eyes disease) दूर होते हैं । सूर्योदय से पूर्व इस मन्त्र से अभिमन्त्रित रक्त-पुष्प से आँख झाड़ने से फूलाआदि विकार नष्ट होते हैं ।
ॐ द्वां द्वार-वासिनीभ्यां नमः
‘Om dwaM dwar-vasineebhyaM namah’
इस मन्त्र से समस्त कर्ण-विकार’ (Ear disease) दूर होते हैं ।
ॐ चिं चित्र-घण्टाभ्यां नमः
‘Om chiM chitra-ghantabhyaM namah’
इस मन्त्र से कण्ठमालातथा कण्ठ-गत विकार दूर होते हैं ।
ॐ सं सर्व-मंगलाभ्यां नमः
‘Om saM sarva-mangalabhyaM namah’
इस मन्त्र से जिह्वा-विकार (tongue disorder) दूर होते हैं । तुतलाकर बोलने वालों (Lisper) या हकलाने वालों (stammering) के लिए यह मन्त्र बहुत लाभदायक है ।
ॐ धं धनुर्धारिभ्यां नमः
‘Om dhaM dhanurdharibhyaM namah’
इस मन्त्र से पीठ की रीढ़ (Spinal) के विकार (backache) दूर होते है । This is also useful for Tetanus.
ॐ मं महा-देवीभ्यां नमः
‘Om mM mahadevibhyaM namah’
इस मन्त्र से माताओं के स्तन विकार अच्छे होते हैं । कागज पर लिखकर बालक के गले में बाँधने से नजर, चिड़चिड़ापन आदि दोष-विकार दूर होते हैं ।
ॐ शों शोक-विनाशिनीभ्यां नमः
‘Om ShoM Shok-vinashineebhyaM namah’
इस मन्त्र से समस्त मानसिक व्याधियाँ नष्ट होती है । मृत्यु-भयदूर होता है । पति-पत्नी का कलह-विग्रह रुकता है । इस मन्त्र को साध्य के नाम के साथ मंगलवार के दिन अनार की कलम से रक्त-चन्दन से भोज-पत्र पर लिखकर, शहद में डुबो कर रखे । मन्त्र के साथ जिसका नाम लिखा होगा, उसका क्रोध शान्त होगा ।
ॐ लं ललिता-देवीभ्यां नमः
‘Om laM lalita-devibhyaM namah’


इस मन्त्र से हृदय-विकार (Heart disease) दूर होते हैं ।
ॐ शूं शूल-वारिणीभ्यां नमः
‘Om shooM shool-vaarineebhyaM namah’
इस मन्त्र से उदरस्थ व्याधियों’ (Abdominal) पर नियन्त्रण होता है ।
 प्रसव-वेदना के समय भी मन्त्र को उपयोग में लिया जा सकता है ।
ॐ कां काल-रात्रीभ्यां नमः
‘Om kaaM kaal-raatribhyaM namah’
इस मन्त्र से आँतों (Intestine) के समस्त विकार दूर होते हैं । विशेषतः अक्सर’, ‘आमांशआदि विकार पर यह लाभकारी है ।
ॐ वं वज्र-हस्ताभ्यां नमः
‘Om vaM vajra-hastabhyaM namah’
इस मन्त्र से समस्त वायु-विकारदूर होते हैं । ब्लड-प्रेशरके रोगी के रोगी इसका उपयोग करें ।
ॐ कौं कौमारीभ्यां नमः
‘Om kauM kaumareebhyaM namah’
इस मन्त्र से दन्त-विकार (Teeth disease) दूर होते हैं । बच्चों के दाँत निकलने के समय यह मन्त्र लाभकारी है ।
ॐ गुं गुह्येश्वरी नमः
‘Om guM guhyeshvari namah’
इस मन्त्र से गुप्त-विकार दूर होते हैं । शौच-शुद्धि से पूर्व, बवासीर के रोगी १०८ बार इस मन्त्र का जप करें । सभी प्रकार के प्रमेह विकार भी इस मन्त्र से अच्छे होते हैं ।
ॐ पां पार्वतीभ्यां नमः
‘Om paaM paarvatibhyaM namah’
इस मन्त्र से रक्त-मज्जा-अस्थि-गत विकारदूर होते हैं । कुष्ठ-रोगी इस मन्त्र का प्रयोग करें ।
ॐ मुं मुकुटेश्वरीभ्यां नमः
‘Om muM mukuteshvareebhyaM namah’
इस मन्त्र से पित्त-विकार दूर होते हैं । अम्ल-पित्त के रोगी इस मन्त्र का उपयोग करें ।
ॐ पं पद्मावतीभ्यां नमः
‘Om paM padmavateebhyaM namah’
इस मन्त्र से कफज व्याधियों पर नियन्त्रण होता है ।
विधिः- उपर्युक्त मन्त्रों को सर्व-प्रथम किसी पर्व-काल में 1008 बार जप कर सिद्ध कर लेना चाहिये । फिर प्रतिदिन जब तक विकार रहे, 108 बार जप करें अथवा सुविधानुसार अधिक-से-अधिक जप करें । विकार दूर होने पर कुमारी-पूजन, ब्राह्मण-भोजन आदि करें ..!!!!

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