शनिवार, 11 जुलाई 2015

इन रोगों से छुटकारे के लिए करें शंख का उपचार--सप्ताह वार के अनुसार तिलक



स्वास्थ्य » घरेलू नुस्‍खे» बीमारियों के लिए घरेलू उपचार--इन रोगों से छुटकारे के लिए करें शंख का उपचार
स्वास्थ्य » घरेलू नुस्‍खे» बीमारियों के लिए घरेलू उपचार इन रोगों से छुटकारे के लिए करें शंख का उपचार
शंख को भले हिंदू धर्म से जोड़ा जाता है, ले‍किन इसका वैज्ञानिक महत्‍व भी है, इसके प्रयोग से आपको कई तरह के स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक फायदे भी हो सकते हैं, शंख हमारे लिए कितना फायदेमंद है।
  1    रोगों को दूर
  हिंदू धर्म में कई प्रकार के धार्मिक तौर-तरीके और परंपराएं हैं। जिनका हमारे जीवन में गहरा महत्व होता है। ऐसे सभी कर्मों के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है। प्राचीन परंपराएं हमारे स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। ऐसी ही एक परंपरा है शंख बजाना। हिंदू धर्म में शंख का महत्‍वपूर्ण स्‍थान है। कहा जाता है कि घर में शंख के होने से नकारात्‍मक ऊर्जा नहीं आती और बुरी शक्तियां भी दूर रहती हैं। आयुर्वेद में शंख को काफी लाभदायक माना जाता है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि शंख केवल पूजा-अर्चना में ही उपयोगी नहीं हैं बल्कि इससे आपको कई प्रकार के स्‍वास्‍थ्‍य लाभ भी मिलते हैं।
  2 फेफड़ों के लिए फायदेमंद
शंख बजाते समय हमारे फेफड़ों की बहुत अच्‍छी एक्‍सरसाइज होती है। पुराणों के जिक्र से पता चलता है कि अगर श्वास का रोगी नियमि‍त तौर पर शंख बजाए, तो वह बीमारी से मुक्त हो सकता है। प्रतिदिन शंख फूंकने वाले को गले और फेफड़ों के रोग नहीं होते। शंख से मुख के तमाम रोगों का नाश होता है। शंख बजाने से चेहरे, श्वसन तंत्र, श्रवण तंत्र तथा फेफड़ों की एक्‍सरसाइज होती है। शंख वादन से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
3    त्‍वचा रोगों में लाभकारी
शंख त्‍वचा रोगों के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। शायद आपको यह बात सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा। लेकिन यह बात सही है, रात में शंख में पानी भरकर रख दें और सुबह उठकर इस पानी से अपनी त्‍वचा की मसाज करें। इस पानी से मसाज करने पर कई प्रकार की त्‍वचा संबंधी बीमारियां जैसे, एलर्जी, रैशेज, सफेद दाग आदि ठीक हो जाते हैं।
 4--आंखों के लिए गुणकारी
 आंखों की समस्‍याएं जैसे ड्राई आई सिंड्रोम, सूजन, आंखों में इंफेक्‍शन आदि कई प्रकार की समस्‍याएं शंक के उपचार करने से ठीक हो जाती है। समस्‍या होने पर शंक में रखे हुए पानी को अपनी हथेलियों पर लें, उसमें अपनी आंखों को डुबाएं और पुतलियों को दांए-बाएं करें। कुछ सेकंड तक इस उपाय को करें। इसके अलावा आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए रात भर शंख में रखा हुआ पानी और साधारण पानी, बराबर मात्रा में मिला लें। इसे अपनी आंखों को धोयें। आपकी आंखों की रोशनी तेज हो जाएगी।
 5-- मिलती है एनर्जी
 शंख वादन करने से फेफड़ों की दूषित हवा बाहर निकल जाती है और शरीर को एनर्जी प्राप्त होती है। प्रतिदिन ऐसा करने पर शरीर शक्तिशाली बनता है, और आपकी कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है। इसके अलावा शंख की ध्वनि लगातार सुनना हृदय रोगियों के लिए लाभदायक होता है। इसके प्रभाव से हृदयाघात होने की संभावनाएं काफी कम रहती हैं।
 6 बालों को मुलायम बनायें
 शंख में रात को भरकर रखे जाने वाले पानी में गुलाब जल मिला लें। इससे अपने बालों को धुलें। ऐसा करने से कुछ ही दिनों में बालों का रंग प्राकृतिक हो जाएगा। इसी पानी से आईब्रो, मूंछें और दाड़ी को भी धुल सकते हैं। इससे बालों में मुलायमपन आ जाता है।
    7 हड्डियां को मजबूत बनायें
 शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है। इस कारण शंख में रखें पानी का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं। और यह दांतों के लिए भी लाभदाकारी होता है। 
    8  बैक्टीरिया का नाश
शंख पर हुए कई शोधों के निष्कर्ष से पता चला है कि इसकी तरंगें बैक्टीरिया नष्ट करने वाली सबसे श्रेष्ठ व सस्ती औषधि है। इससे हैजा, मलेरिया के कीटाणु भी नष्ट हो सकते हैं। शंख ध्वनि से हमारे भीतर रोगनाशक शक्ति उत्पन्न होती है।
9    पेट की समस्‍याएं दूर करें
 अगर आपको अक्‍सर पेट संबंधी समस्‍या रहती है तो आपके लिए शंख बहुत फायदेमंद हो सकता है। शंख में रखे 2 चम्‍मच पानी का सेवन नियमित रूप से करने से पेट दर्द, अपच, आंतों में कोई समस्‍या आदि होने पर आराम मिलता है।
    10  वातावरण को शुद्ध करें    शंख के फायदे
शंख में प्रदूषण को दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है। एक वैज्ञानिक खोज के अनुसार, शंख की आवाज जहां तक जाती है, वहां तक कई रोगों के कीटाणु इसकी ध्वनि स्पंदन से या तो खत्म हो जाते हैं या फिर वे निष्क्रिय हो जाते हैं। यानी रोजाना सुबह-शाम शंख बजाने से वायुमंडल कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है।



ब्रह्मवैवर्त पुराण में उल्लेख मिलता है कि 'शंख' चंद्रमा और सूर्य के समान ही देव हैं। शंख के मध्य में वरुण, पीछे के भाग में ब्रह्मा और आगे के भाग में गंगा और सरस्वती का निवास है।
शंख निधि (धन का खजाना) का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि इस मंगलचिह्न को घर के पूजास्थल में रखने से अनिष्टों का नाश होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शंख का महत्‍व जितना धार्मिक है उतना ही वैज्ञानिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख-ध्वनि के प्रभाव में सूर्य की किरणें बाधक होती हैं। इससे आसपास का वातावरण तता पर्यावरण शुद्ध रहता है।
आयुर्वेद के अनुसार शंखोदक भस्म से पेट की बीमारियों अमूमन पीलिया, यकृत के रोग, पथरी आदि रोग ठीक होते हैं।
पुराणों में उल्लेख मिलता है कि मूक एवं श्वास रोगी हमेशा शंख बजायें तो बोलने की शक्ति पा सकते हैं। ऋषि श्रृंग की मान्यता है कि छोटे-छोटे बच्चों के शरीर पर छोटे-छोटे शंख बांधने तथा शंख में जल भरकर अभिमंत्रित करके पिलाने से वाणी-दोष नहीं रहता है।
 यजुर्वेद में कहा गया है कि 'यस्तु शंखध्वनि कुर्यात्पूजाकाले विशेषतः, वियुक्तः सर्वपापेन विष्णुनां सह मोदते' यानी पूजा के समय जो व्यक्ति शंख-ध्वनि करता है, उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और वह भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाता है।
मुगल काल के मशहूर संगीतज्ञ तानसेन ने अपने आरंभिक दौर में शंख बजाकर ही गायन शक्ति प्राप्त की थी। अथर्ववेद के चतुर्थ अध्याय में शंखमणि सूक्त में शंख की महिमा का वर्णन मिलता है।
अथर्ववेद के अनुसार, शंख से राक्षसों का नाश होता है। भागवत पुराण में भी शंख का विस्तृत उल्लेख मिलता है। यजुर्वेद के अनुसार युद्ध में शत्रुओं का दिल दहलाने के लिए शंख फूकने का वर्णन मिलता है।
गोरक्षा संहिता, विश्वामित्र संहिता, पुलस्त्य संहिता आदि ग्रंथों में दक्षिणावर्ती शंख को आयुर्वद्धक और समृद्धि दायक कहा गया है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, पूजा के समय शंख में जल भरकर देवस्थान में रखने और उस जल से पूजन सामग्री धोने और घर के आस-पास छिड़कने से वातावरण शुद्ध रहता है।
विष्णु पुराण के अनुसार माता लक्ष्मी समुद्र राज की पुत्री हैं तथा शंख की उत्पत्ति भी समुद्र से हुई है, इसलिए शंख उनके भाई है। मान्यता है कि जहां शंख है, वहीं लक्ष्मी जी का वास होता है।


ज्योतिषाचार्य मानते हैं की सप्ताह वार के अनुसार तिलक लगाने से ग्रहों को अपने अनुकुल बनाया जा सकता है और उन से श्रेष्ठ एवं शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है। 
 हिंदू धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य संप्रदायों से संबंधित लोग अपनी-अपनी मान्यताओं के अनुसार तिलक धारण करते हैं। विभिन्न तरह के तिलक होते हैं जैसे - मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर, गोपी आदि।
  इन सभी में से चंदन तिलक को धारण करने का विशेष महत्व है। चंदन का तिलक शीतल होता है उसे धारण करने से पापों का नाश होता है। ज्ञानतंतु संयमित व सक्रिय रहते हैं। जीवन पथ पर आने वाली समस्याओं से निजात मिलता है एवं व्यक्ति लक्ष्मीवान बनता है। 


                       चन्दन की जातियां: हरि चंदन, गोपी चंदन, सफेद चंदन, लाल चंदन।
 सोमवार : सोमवार का दिन भोलेनाथ और चंद्र ग्रह को समर्पित है। मन मस्तिष्क पर चंद्रमा का अधिपत्य माना जाता है। अत: मन को शांत रखने के लिए सफेद चंदन का तिलक लगाएं।
 मंगलवार : मंगलवार का दिन हनुमान जी और मंगल ग्रह को समर्पित है। इस दिन चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर तिलक धारण करने से ऊर्जा और कार्यक्षमता में बढ़ौतरी होती है।
 बुधवार : बुधवार का दिन मां दुर्गा, गणेश जी और बुध ग्रह को समर्पित है। इस दिन सूखे सिंदूर गोरोचन का तिलक धारण करना चाहिए। इससे  बौद्धिक एवं आत्मिक विकास होता है।
 गुरुवार : गुरुवार का दिन बृहस्पतिवार और श्री हरि को समर्पित है। इस दिन केसर चंदन, हरि चंदन अथवा हल्दी तिलक को मस्तक पर लगाएं।  ऐसा करने से मन में शुद्ध एवं पवित्र विचारों का समावेश होता है। धन से संबंधित सभी समस्याओं का समाधान होता है।
 शुक्रवार : शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी और शुक्र ग्रह को समर्पित है। इस दिन अबीर और गुलाल लगाने से बेचैनी एवं परेशानीयों से निजात मिलता है।
 शनिवार : शनिवार का दिन भैरव, शनि और यमराज को समर्पित है। इस दिन विभूत, भस्म अथवा  काजल का तिलक लगाएं। इससे इस वार से संबंधित सभी देवताओं की प्रसन्नता और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
 रविवार : रविवार का दिन ग्रहों के राजा सूर्य और नारायण को समर्पित है। इस दिन लाल चंदन अथवा रौली का तिलक धारण करें। मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा में बढ़ौतरी होती है।

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