मंगलवार, 28 जुलाई 2015

/मिथुन लग्न में नवग्रह का प्रभाव *(Planets in Gemini Lagna)



।मिथुन लग्न
मित्रों मिथुन लग्न पर चर्चा करने से पहले हमें कुछ बुद्ध के बारे में जानना होगा । एक मिथहासिक कहानी के अनुसार बुद्ध बिरहस्पति की पत्नी तारा और चंद्र देव की नाजायज औलाद थे लेकिन जब बुद्ध का जन्म हुवा तो उसकी सुंदरता देखकर चन्द्र और बिरहस्पति दोनों ने इसको अपना पुत्र माना । इसी कारण बुद्ध में चन्द्र की चंचलता और गुरु का ज्ञान पाया जाता है।
मिथुन राशि को हम देखें तो उसमे एक नर नारी के स्वरूप को दिखया गया है यानी दो विरोधाभाषी विचारधारा एक साथ। यानी दो आत्माएं एक साथ एक ही शारीर में समाई हुई है जिससे से ज्ञान की प्राप्ति एक बड़े स्तर पर हो सकती है।

बुद्ध लग्न के जातक चंचल होते है । ग्यानी और बुद्धिमान होते है। उनको किसी भी वस्तु के स्वरूप को पूरी तरह जानने और उसको दूसरों को बताने की लालसा भी होती है। वो एक छोटी सी वस्तु से लेकर पुरे ब्रह्माण्ड तक की चर्चा आपके साथ कर सकते है। लेकिन इनमे ये खूबी भी पाई जाती है की ये विषय को बदल भी बहुत जल्दी देते है और आपको बोरियत महसूस नही होने देते। इस लग्न के जातकों में एक ही विचारधारा लंबे समय तक नही चलती यानी ये कभी कुछ सोचेंगे और कुछ समय बाद किसी अन्य के बारे में।यानी ये एक जगह टिक नही पाते न ही तो विचारों से और न ही शारीरिक रूप से।

जब आप किसी के पास जाए और वो आपके साथ बात करने के साथ साथ कोई काम क्र रहा है साथ ही टीवी भी देख रहा है साथ ही बच्चे को भी कपड़े पहना रहा है तो यदि कोई जातक इतने काम एक साथ कर रहा हो तो आप समझ सकते है की उसका मिथुन लग्न होगा।
मिथुन राशि का स्वामी बुद्ध जिसे पारा भी माना गया है और जैसा आपको पता है की पारा कभी सिथर नही होता यही गुण इस लग्न के जातको में पाये जाते है यानी हमेंशा क्रिएटिव।
इस लग्न वाले जातकों पर चरित्र हीनता के आरोप नही लगते है। इनके वैवाहिक जीवन में भी कोई बहुत बड़ी प्रॉब्लम जल्दी से नही आती हालांकि पति पत्नी के विचार कम मिलना एक अलग बात है।

ये जातक छोटी छोटी बात पर भी खुश हो जाते है और कई बार इनके दिमाक में कोई ज्ञान की बात भी अचानक कौंध जाती है। इसकी बातों में आपको प्रौढ़ता ज्ञान और वाणी तीनो का समावेश मिल सकता है। ये शराब को पीते हुवे भी ईश्वर प्राप्ति के बारे मेंउपदेश देने लग सकते है और इन्ही विरोधाभाषी विचारों के कारण लोग जल्दी से इनकी बात पर विश्वास भी नही करते उसका कारण लोगों को इन जातकों को अच्छे से न समझ पाना भी होता है। ये जातक हमेशा लोगों स घिरा हुआ रहना पसन्द करते हैलोगों से मिलजुलकर रहना पसन्द करते है। इस लग्न के जातको को जीवन मे कर्म क्षेत्र में कामयाबी के लिये ऐसा काम करना चाहिए जहां अधिक से अधिक लोगों से सम्पर्क हो भीड़ रहती हो चाहे संपर्क लिखित रूप में हो।

मिथुन लग्न में बुध शुक्र मुख्य कारक ग्रह और शनि भी कारक ग्रह होता है/
/बुध देव की बात कर ले इसको विद्या वाणी बुद्धि का कारक और त्वचा और हर प्रकार के व्यपार का कारक होता है इसके निर्वल होने से बुद्धि की कमी त्वचा विकार जुबान की कमजोरी व्यापार में कमी होती है लेखक गणित और ज्योतिष भाषण कला हस्यप्रिय भी इससे से देखे जाते है प्रतिभा भी इससे देखि जाती है बुध कमजोर हुआ तो प्रतिभा की हानि करता है बुध एक मात्र ग्रह है जो दिन हो या रात हो अपनी शक्ति बनाये रखता है यह जिस ग्रह के साथ हो उसकी फल को बढ़ाता है अकेला बुध सारे भाव में कुछ ना कुछ सुभता लिए रखता है
 
#अस्त बुध होने पे हम इसको यह नहीं बोल सकते की यह पाप फल देगा वेदिक साहित्य के अनुसार बुध सूर्य की गोद में खेलने वाला सिसु है तो इसको अस्त का बड़ा दोष नहीं लगता अगर बुध अस्त को कोई दोष लगता तो र्ऋषि लोग शुक गुरु अस्त में सुभ कार्य शादी आदि मांगलिक कार्य बुध अस्त में भी मना करते बुध अस्त भी 2 प्रकार का होता है
1 बुध अस्त दशा में वक्री होकर सूर्य के राशि अंशो से आगे रहता है तब सूर्य से आगे रहने के कारन सुभ फल देने का एक गुण आ जाता है यह भी ध्यान रखे सूर्य से आगे रहने वाले सुभ ग्रह अपना सुभ फल अधिक देते है
2 मार्गी अवस्था में धरती के अधिक निकट रहता हुआ बड़े विम वाला होता है तब भी इसकी गति तो सूर्य से तेज़ ही रहती है बुध को अस्त जानकर दोषयुक्त नहीं समझना चाहिए नीच गत या सत्रु राशि में भी बुध को बिलकुल असुभ नहीं समझना चाहिए यह जिस राशि या ग्रह के साथ हो वेसे ही गुण खुद ले ता है भगवन विष्णु की पूजा या दुर्गा पूजा से इसकी पीड़ा से मुक्ति मिलती है मुग घी नीला कपडा गौ साला में हरा चारा दान करने से इसकी पीड़ा कम होती है
/मिथुन लग्न में नवग्रह का प्रभाव *(Planets in Gemini Lagna)
राशि चक्र की तीसरी राशि मिथुन है.आपकी कुण्डली के लग्न भाव में यह राशि है तो आपका लग्न मिथुन कहलता है.आपके लग्न के साथ प्रथम भाव में जो भी ग्रह बैठता है वह आपके लग्न को प्रभावित करता है.आपके जीवन में जो कुछ भी हो रहा है वह कहीं लग्न में बैठे हुए ग्रहों का प्रभाव तो नहीं है।
मिथुन लग्न में सूर्य (Sun in Gemini Ascendant)
मिथुन लग्न की कुण्डली में लग्न में बैठा सूर्य अपने मित्र की राशि में होता है (Sun is in a friendly sign when it is in Gemini).सूर्य के प्रभाव से व्यक्ति के चेहरे पर रक्तिम आभा छलकती है.व्यक्ति सुन्दर और आकर्षक होता है.इनका व्यक्ति उदार होता है.इनमें साहस धैर्य और पुरूषार्थ भरा होता है.बचपन में इन्हें कई प्रकार के रोगों का सामना करना होता है.युवावस्था में कष्ट और परेशानियों से गुजरना होता है.वृद्धावस्था सुख और आनन्द में व्यतीत होता है.इन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना होता है.सप्तम भाव पर सूर्य की दृष्टि होने से विवाह में विलम्ब होता है.वैवाहिक जीवन अशांत रहता है.
मिथुन लग्न में चन्द्रमा (Moon in Gemini Ascendant)
मिथुन लग्न में चन्द्रमा धन भाव का स्वामी होता है.इस राशि में चन्द्रमा लगनस्थ होने से व्यक्ति धनवान और सुखी होता है.इनका व्यक्तित्व अस्थिर होता है.मन चंचल रहता है.मनोबल ऊँचा और वाणी में कोमलता रहती है.इनके व्यक्तित्व में हठधर्मिता और अभिमान का भी समावेश रहता है.संगीत के प्रति इनके मन में प्रेम होता है.लग्न में बैठा चन्द्र सप्तम भाव को देखता है जिससे जीवनसाथी सुन्दर और ज्ञानी प्राप्त होता है.गृहस्थी सुखमय रहती है.आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है क्योकि बचत करने में ये होशियार होते हैं.चन्द्र के साथ पाप ग्रह होने पर चन्द्र का शुभत्व प्रभावित होता है अत: चन्द्र को प्रबल करने हेतु आवश्यक उपाय करना चाहिए.
मिथुन लग्न में मंगल (Mars in Gemini Ascendant)
मंगल मिथुन लग्न की कुण्डली में अकारक होता है (Mars is malefic when placed in a Gemini Ascendant Kundali). यह इस राशि में षष्ठेश और एकादशेश होता है.मिथुन लग्न में मंगल लगनस्थ होता है तो व्यक्ति को ओजस्वी और पराक्रमी बनाता है.जीवन में अस्थिरता बनी रहती है.व्यक्ति यात्रा का शौकीन होता है.सेना एवं रक्षा विभाग में इन्हें कामयाबी मिलती है.इन्हें माता पिता का पूर्ण सुख नहीं मिल पाता है.शत्रुओं से भी इन्हें कष्ट मिलता है.सप्तम भाव पर मंगल की दृष्टि से गृहस्थ जीवन में कई प्रकार की कठिनाईयां आती हैं.जीवनसाथी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से पीड़ित होता है.
मिथुन लग्न में बुध (Mercury in Gemini Ascendant)
बुध मिथुन लग्न का स्वामी है (Mercury is the lord of Gemini).इस लग्न में यह शुभ और कारक ग्रह होता है.मिथुन लग्न में प्रथम भाव में बैठा बुध व्यक्ति को बुद्धिमान, वाक्पटु और उत्तम स्मरण शक्ति प्रदान करता है.इनमें प्राकृतिक तौर पर कुशल व्यवसायी के गुण मौजूद होते हैं.आर्थिक दशा सामान्य रूप से अच्छी रहती है क्योंकि आय के मामले में एक मार्ग पर चलते रहना इन्हें पसंद नहीं होता.एक से अधिक स्रोतों से आय प्राप्त करना इनके व्यक्तित्व का गुण होता है.इन्हें लेखन, सम्पादन एवं प्रकाशन के क्षेत्र में कामयाबी मिलती है.भूमि, भवन एवं वाहन का सुख मिलता है.जीवनसाथी से इन्हें सहयोग एवं प्रसन्नता मिलती है.
मिथुन लग्न में गुरू (Jupiter in Gemini Ascendant)
मिथुन लग्न में गुरू सप्तम और दशम भाव का स्वामी होता है.दो केन्द भाव का स्वामी होने से मिथुन लग्न में यह अकारक ग्रह होता है.प्रथम भाव में गुरू के साथ बुध हो तो यह गुरू के अशुभ प्रभाव में कमी लाता है.गुरू के लग्नस्थ होने से व्यक्ति सुन्दर और गोरा होता है.गुरू के प्रभाव से इन्हें सर्दी, जुकाम एवं कफ की समस्या रहती है.ये चतुर, ज्ञानी और सत्य आचरण वाले व्यक्ति होते हैं.इन्हें समाज से मान सम्मान प्राप्त होता है.गुरू की विशेषता है कि यह जिस भाव को देखता है उससे सम्बन्धित विषय में शुभ फल प्रदान करता है अत: पंचम, सप्तम एवं नवम भाव से सम्बन्धित विषय में व्यक्ति को अनुकूल परिणाम प्राप्त होता है.अगर लग्न में गुरू के साथ पाप ग्रह हों तो परिणाम कष्टकारी होता है.
मिथुन लग्न में शुक्र (Venus in Gemini Ascendant)
मिथुन लग्न की कुण्डली में शुक्र पंचमेश और द्वादशेश होता है.त्रिकोणश होने के कारण इस लग्न में शुक्र कारक ग्रह होता है.लग्न में मित्र की राशि में बैठा शुक्र शुभ प्रभाव देने वाला होता है.जिनकी कुण्डली में यह स्थिति होती है वह दुबले पतले लेकिन आकर्षक होते हैं.इनकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है.भौतिक सुख सुविधाओं के प्रति ये अधिक लगाव रखते अत: सुख सुविधाओं में धन खर्च करना भी इन्हें पसंद होता है.समाज में सम्मानित व्यक्ति होते हैं.सप्तम भाव पर इसकी दृष्टि होने से वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी से लगाव एवं प्रेम रहता है.शुक्र के प्रभाव से इनका विवाहेत्तर अथवा विवाह पूर्व अन्य सम्बन्ध भी हो सकता है.
मिथुन लग्न में शनि (Saturn in Gemini Ascendant)
मिथुन लग्न में कुण्डली में शनि अष्टम और नवम भाव का स्वामी होता है.त्रिकोण भाव का स्वामी होने से शनि अष्टम भाव के दोष को दूर करता है (As Saturn becomes the lord of trines, it removes the blemish from the eighth house) और कारक की भूमिका निभाता है.मिथुन लग्न की कुण्डली में लग्न में बैठा शनि स्वास्थ्य के मामले में कुछ हद तक पीड़ा देता है.इसके प्रभाव से व्यक्ति दुबला पतला होता है और वात, पित्त एवं चर्मरोग से परेशान होता है.यह भाग्य को प्रबल बनाता है एवं ईश्वर के प्रति श्रद्धावान बनाता है.लग्नस्थ शनि की दृष्टि सप्तम भाव पर होने से व्यक्ति में कामेच्छा अधिक रहती है.दशम भाव पर शनि की दृष्टि राज्य पक्ष से दंड एवं कष्ट देता है.माता पिता के सम्बन्ध में कष्ट देता है.शनि व्यक्ति को परिश्रमी बनाता है.
मिथुन लग्न में राहु (Rahu in Gemini Ascendant)
राहु मिथुन लग्न में मित्र राशि में होता है.इस राशि में राहु उच्च का होने से यह व्यक्ति को चालाक और कार्य कुशल बनाता है.व्यक्ति अपना काम निकालने में होशियार होता है.इनमें साहस भरपूर रहता है.लगनस्थ राहु व्यक्ति को आकर्षक एवं हृष्ट पुष्ट काया प्रदान करता है.मिथुन लग्न की स्त्रियों को लग्नस्थ राहु संतान के संदर्भ में कष्ट देता है.राहु इनके वैवाहिक जीवन में कलह उत्पन्न करता है.इनकी कुण्डली में यह द्विभार्या योग बनाता है.
मिथुन लग्न में केतु (Ketu in Gemini Ascendant)
केतु मिथुन लग्न की कुण्डली में लगनस्थ होने से व्यक्ति में स्वाभिमान की कमी रहती है.ये स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अपेक्षा दूसरों के साथ काम करना पसंद करते हैं.व्यापार की अपेक्षा नौकरी करना इन्हें पसंद होता है.इनमें स्वार्थ की प्रवृति होती है.केतु के प्रभाव से वात एवं पित्त रोग इन्हें परेशान करता है.कामेच्छा भी इनमें प्रबल रहती है.वैवाहिक जीवन में उथल पुथल की स्थिति रहती है.विवाहेत्तर सम्बन्ध की संभावना भी केतु के कारण प्रबल रहती है.

22 टिप्‍पणियां:

  1. Mithun lagna me rahu surya budh ek sath 11 house me ho to kya hota hai

    जवाब देंहटाएं
  2. Mithun lagna me rahu ketu ek sath 10 house me ho to kya hota hai
    see more - https://bit.ly/2H67MqC

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. Sabse pehle rahu aur ketu kabhi ek saath nhi hote yag grah ek dusre ke oppo mei kundli mei biraajte hain rahi ketu ek rehesyamayi grah hote jo sudheer result pradaan karte hain yani aachanak se jo bhi ghatna ghatit ho uske mukhya grah rahu aur ketu hain

      हटाएं
  3. Mithun lagn me surya.mangal .buddh ek sath 2 house me ho to

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. प्राकर्म , लग्न तथा लाभ के स्वामी की yuti dhan bhav mei aacha result peadaan karegi par mangal aur surya ko 2 nd bhav mei hone ke karan vaani mei karwahat hoga soch samajh kar kuch bolne ki jaroorat hai nhi to kisi se jhagda ho sakta hai par dhan ke maamle mein aap dhanwaan honge

      हटाएं
  4. Dear,Ankit sury budh aur mangal ki yuti Kish Hause me hai ye AAP bataye to AAP Ko uchit Uttar prapt ho Sakta hai

    जवाब देंहटाएं
  5. agar mangal ketu 11 house me or guru rahu 5 house me ho to kya fal denge

    जवाब देंहटाएं
  6. Mithun lagna main 1st house main budh vakri kya matlab hota hai

    जवाब देंहटाएं
  7. यदी मिथुन लग्न में गुरु और मंगल साथ हो तो क्या फल होता है।

    जवाब देंहटाएं
  8. Mithun lagn 1st house me sury,budh,Chandra,magl ki yuti ka Kya fal h

    जवाब देंहटाएं
  9. Mithun lagn me 1st house me sury budh Chandra magl ki yuti ka fal ptaye

    जवाब देंहटाएं
  10. Mithun rashi Mrashi lagn me surya mangal ketu 3th ghar me aur buddh shukra 4th ghar me aur 5th me guru, 8th me rahi, 10th me shani.

    जवाब देंहटाएं
  11. Mitun lagan 4the Ghar Mai Chander or guru ek saath ho .
    Or guru ke degree 12°
    or Chander degree 25°
    Or navmash chart k Ander guru 5 Ghar Mai or Chander 9 Ghar Mai hai
    Kya guru acha fal denge ya Chander hone ke karan 50 50 hogyega

    जवाब देंहटाएं
  12. Mithun lagan ki kundli me rahu 1 bhav me ho aur budh Surya ki yuti 8 bhav me ho aur budh ast ho rha ho to Kya fal dega

    जवाब देंहटाएं
  13. मिथुन लग्न कुंडली में 12 भव में सुर्य ,बुध और केतु हों तो क्या प्रभाव होगा ।ऐसे में पन्ना पहनना चाहिये या नहीं ।

    जवाब देंहटाएं
  14. Mithun lagna ki kundali me 10 bhav me surya,mangal,sani,budh,ketu agar ho to

    जवाब देंहटाएं
  15. Sir mithun lgn me surya shukra sani ketu 10 house me hai isse kya prbhav hoga tthha guru chnadra 8 house me rahu se drisht hai kya prbhav hoga

    जवाब देंहटाएं