हिन्दू वैदिक कर्मकाण्ड

                  * वैदिक  कर्मकाण्ड  एवम्  धार्मिक  अनुष्ठान *


भारतीय संस्कृति विशेष रूप से हिन्दू सनातन धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों एवं वैदिक कर्मकाण्डों का महत्वपूर्ण स्थान है | एक बच्चे के जन्म लेने से पूर्व से प्रारम्भ हो कर मृत्युपर्यंत चलने वाले विभिन्न धार्मिक कृत्यों को कर्मकाण्ड या संस्कारों के नाम से जाना जाता है | सनातन धर्म में चार वर्ण व्यवस्थायें हैं -ब्राह्मण ,क्षत्रिय , वैश्य ,शुद्र | सनातन धर्म में चार वर्णाश्रम बतलाये गए है -ब्रह्मचर्य ,गृहस्थ ,वानप्रस्थ तथा सन्यास | 
हिन्दू सनातन धर्म में मुख्यतः षोडश संस्कारों का वर्णन मिलता है जो निम्नलिखित है -
1 -गर्भाधान ,2 -पुंसवन ,3-सिमंतोंनयन ,4 -जातकर्म ,5 -नामकरण ,6 -निष्क्रमण ,7 -अन्नप्राशन ,               8 -चूड़ाकर्म ,9 -कर्णवेध ,10 -यज्ञोपवीत ,11-वेदारम्भ ,12 -केशांत ,13 -समावर्तन ,14 -विवाह ,                       15 -आवसथ्याधान ,16 -श्रोता धान |
भारतीय जनजीवन से जुड़े अनेको पर्वों ,त्यौहारों ,मांगलिक कार्यों के अवसरों पर और जीवन में सुख आनन्द एवं कल्याण की प्राप्ति के लिए प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होता आ रहा है जिससे है परमेश्वर की कृपा प्राप्त हो सके | हिन्दू धर्म में विभिन्न देवी -देवताओं की पूजा उपासना का पृथक -पृथक महत्व है लेकिन त्रिदेव (ब्रह्मा ,विष्णु ,महेश ),त्रिशक्ति (महाकाली ,महालक्ष्मी ,महासरस्वती ) और नवग्रह आदि महत्वपूर्ण है |

आप निम्नलिखित धार्मिक अनुष्ठानों एवं कर्मकाण्डों हेतु सम्पर्क कर सकते है -


धार्मिक -वैदिक -पौराणिक अनुष्ठान ,जप ,हवन /यज्ञ ,रुद्राभिषेक ,महाम्रत्युन्जय जप ,दुर्गा सप्तशती ,अखण्ड रामचरितमानस पाठ ,गीता पाठ ,सहस्रनाम पाठ ,सुन्दरकाण्ड ,गृहप्रवेश ,मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा ,नामकरण ,यज्ञोपवीत ,विवाह ,अंत्येष्ठी कर्म ,नारायण बलि ,एकोदिष्ट श्राद्ध ,पार्वण श्राद्ध ,त्रिपिंडी श्राद्ध ,पंचक शांति ,मूल शांति ,कालसर्प दोष शांति इत्यादि | 





 












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