कुछ घरेलू
उपचार..
- अजवाइन-गुड़ खाइए, तभी बने कुछ काम, पित्त रोग में लाभ हो, पायेंगे आराम..
- रोटी मक्के की भली, खा लें यदि भरपूर, बेहतर लीवर आपका, टी० बी० भी हो दूर..
- गाजर रस संग आँवला, बीस औ चालिस ग्राम, रक्तचाप हिरदय सही, पायें सब आराम..
ठण्ड लगे जब आपको, सर्दी से बेहाल, नीबू मधु के साथ में, अदरक पियें उबाल..
- अदरक का रस लीजिए, मधु लेवें समभाग, नियमित सेवन जब करें, सर्दी जाए भाग..
- शहद आंवला जूस हो, मिश्री सब दस ग्राम, बीस ग्राम घी साथ में, यौवन स्थिर काम..
- चिंतित होता क्यों भला, देख बुढ़ापा रोय, चौलाई पालक भली, यौवन स्थिर होय..
- लाल टमाटर लीजिए, खीरा सहित सनेह, जूस करेला साथ हो, दूर रहे मधुमेह..
- प्रातः संध्या पीजिए, खाली पेट सनेह, जामुन-गुठली पीसिये, नहीं रहे मधुमेह..
- सात पत्र लें नीम के, खाली पेट चबाय, दूर करे मधुमेह को, सब कुछ मन को भाय..
- सात फूल ले लीजिए, सुन्दर सदाबहार, दूर करे मधुमेह को, जीवन में हो प्यार..
- तुलसीदल दस लीजिए, उठकर प्रातःकाल, सेहत सुधरे आपकी, तन-मन मालामाल..
- थोड़ा सा गुड़ लीजिए, दूर रहें सब रोग, अधिक कभी मत खाइए, चाहे मोहनभोग..
- अजवाइन और हींग लें, लहसुन तेल पकाय, मालिश जोड़ों की करें, दर्द दूर हो जाय..
ऐलोवेरा-आँवला, करे खून में वृद्धि, उदर व्याधियाँ दूर हों, जीवन में हो सिद्धि..
- दस्त अगर आने लगें, चिंतित दीखे माथ, दालचीनि का पाउडर, लें पानी के साथ..
- मुँह में बदबू हो अगर, दालचीनि मुख डाल, बने सुगन्धित मुख, महक, दूर होय तत्काल..
- कंचन काया को कभी, पित्त अगर दे कष्ट, घृतकुमारि संग आँवला, करे उसे भी नष्ट..
- बीस मिली रस आँवला, पांच ग्राम मधु संग, सुबह शाम में चाटिये, बढ़े ज्योति सब दंग..
- बीस मिली रस आँवला, हल्दी हो एक ग्राम, सर्दी कफ तकलीफ में, फ़ौरन हो आराम..
- नीबू बेसन जल शहद , मिश्रित लेप लगाय, चेहरा सुन्दर तब बने, बेहतर यही उपाय..
मधु का सेवन जो
करे, सुख पावेगा सोय, कंठ सुरीला साथ में , वाणी मधुरिम होय..
- पीता थोड़ी छाछ जो, भोजन करके रोज, नहीं जरूरत वैद्य की, चेहरे पर हो ओज..
- ठण्ड अगर लग जाय जो नहीं बने कुछ काम, नियमित पी लें गुनगुना, पानी दे आराम..
- कफ से पीड़ित हो अगर, खाँसी बहुत सताय, अजवाइन की भाप लें, कफ तब बाहर आय..
- अजवाइन लें छाछ संग, मात्रा पाँच गिराम, कीट पेट के नष्ट हों, जल्दी हो आराम..
- छाछ हींग सेंधा नमक, दूर करे सब रोग, जीरा
उसमें डालकर, पियें
सदा यह भोग..।
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