हनुमान जी की
साधना अति सरल एवं सुगम है चूंकि वह बाल ब्रह्मचारी थे इसलिए इनकी साधनाओं में
ब्रह्मचारी व्रत अवश्य लेना चाहिए। सदाचारी रहना चाहिए। मंगलवार शुक्ल पक्ष इनकी
आराधना के लिए विशेष दिवस है। पूजा के लिए लाल आसन, पूजा में लाल पुष्प, केसरी सिन्दूर, चमेली का तेल, देसी घी के बेसन का लड्डू
अथवा देसी घी का चूरमा इनको अति प्रिय हैं।
किसी भी प्रकार
के अनिष्ट ग्रहों के प्रकोप से कोई ग्रस्त हो तो हनुमान जी की शरण में आने से सभी
ग्रहों का क्रूर प्रभाव स्वत: ही दूर हो जाता है। हनुमंत उपासना अगर भक्ति, श्रद्धा, समर्पण एवं संलग्नता से की जाए तो उनकी कृपा
अवश्य प्राप्त होती है। हनुमान जी की प्रमुख मांत्रिक साधनाएं निम्र हैं :
व्यवसाय वृद्धि
के लिए
1.विश्व भरण पोषण
कर जोई,
ताकर नाम भरत अस
होई
2.कवन सो काज
कठिन जग माही
जो नहीं होई तात
तुम्ह पाही
व्यापारी वर्ग, विद्यार्थी वर्ग, रोजगार प्राप्ति के इच्छुक दोनों में से किसी
चौपाई का शुक्ल पक्ष मंगलवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी की मूर्ति की 108 परिक्रमा
चौपाई पढ़ते हुए करें। हनुमान जी को केसरी सिन्दूर, चमेली का तेल-चांदी का
वर्क, मौली, चौला, बेसन के लड्डू अॢपत करें।
उपरांत 40 दिन निरंतर इस चौपाई की लाल आसन पर बैठ कर लाल चन्दन अथवा मूंगे की माला
पर 10 माला नित्य करें। मंगलवार का व्रत निराहार रह कर अथवा एक समय फल, दूध या मीठी गुड़ की रोटी से करें। 40 दिन पूर्णत: ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक
है। सभी कार्य-संकटों का निवारण निश्चित है।
विद्यार्थी वर्ग
के लिए
ऊँ गँ गणपतयै नम:
अथवा
.बुद्धिहीन तनु जानि के
सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या
देहु मम हरो क्लेश विकार।।
जो विद्यार्थी
गणेश जी के बीज मंत्र अथवा श्री हनुमान चालीसा की उपरोक्त लिखित चौपाई का नित्य
प्रति एक माला लाल चंदन अथवा रुद्राक्ष की माला पर हनुमान जी के सामने बैठ ज्योति
जला कर उनका ध्यान करता है, वह निश्चित रूप से परीक्षा में उत्तीर्ण होता
है। इसके साथ ही विद्यार्थी नित्यप्रति 11 तुलसी के पत्ते मिश्री के साथ पीस कर
सेवन करें। इमली के पत्ते अपने पाठ्य पुस्तकों में रखें।
बन्दी गृह से
छूटने एवं जमानत पाने के लिए
‘‘हरि मर्कट मर्कट वाम करे परिमुर्चात मुंचत्ति शृंखलिकाम’’
देवालय में
हनुमान जी की प्राण प्रतिष्ठा में मूर्ति के सामने तांबे के दीपक में अलसी के तेल
का दीपक जलाकर हनुमान जी का पूजन करके ‘प्रवाल’ की माला से जो नित्यप्रति108 बार इस मंत्र का जप करता है उसके बन्धन कट जाते
हैं बन्धन भय दूर हो जाता है।
सर्वत्र विजय
प्राप्ति हेतु:-
महाभारत के युद्ध
में अर्जुन ने प्रिय सखा अपने सर्वस्व भगवान श्री कृष्ण से कहा मैं इस युद्ध में
निश्चय विजय चाहता हूं तो भगवान श्री कृष्ण ने उनको अपनी ध्वजा में श्री हनुमान जी
को स्थापित करने की आज्ञा दी ताकि प्रत्येक क्षण हनुमान जी उसकी आंखों के सामने
रहें। शास्त्र साक्षी हैं कि अर्जुन को इसी कारण विजय श्री प्राप्त हुई।
पारद हनुमान
प्रतिमा अथवा किसी प्रतिष्ठित देवालय में हनुमान जी के पूजनोपरांत, लाल आसन पर बैठ कर लाल हकीक की माला से नित्य निम्नलिखित मंत्र की एक माला
करने वाला सर्वत्र सदैव विजयी होता है।
मुकद्दमा, लड़ाई, चुनाव, इन्टरव्यू में सफलता के लिए
मुकद्दमा, लड़ाई, चुनाव, इन्टरव्यू में सफलता के लिए
ऊँ नमो हनुमते
रुद्रावताराय सर्व शत्रु संहारणाम
सर्वरोग हराय
सर्ववशीकरण रामदूताय स्वाह।
और ऊँ नमो भगवते
हनुमदाख्यात रुद्राय सर्वदुष्टजन
मुखस्तंभनहुरु
कुरु स्वाहा
उपरोक्त मंत्र
केवल दुर्जन व्यक्ति की दुष्टता दूर करने के लिए ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष मंगलवार से
प्रारम्भ कर 11 दिन मूंगे की माला पर 11 माला रोजाना 11 दिन के बाद प्रयुक्त
सामग्री एवं माला जल प्रवाह कर दें।
सर्वकार्य सिद्धि
हेतु - जीवन में ओज बल बुद्धि, साहस, पराक्रम, अजय रहने के लिए सुगम एवं सरलतम प्रयोग मंत्र
अतुलित बल धाम
हेम शैलाभदेहं
दनुज वनकृशानुं
ज्ञानिनामग्रगण्यम
सकल गुण विधानं
वानराणाम धीशं
रघुपति प्रिय
भक्तं वातजातं नमामि।
नित्य प्रतिदिन
7-11-21 बार जो हनुमान जी के सामने इस सुन्दर कांड के श्लोक का पाठ करता है उसे
कुछ भी अप्राप्य नहीं। इसके अतिरिक्त
1.ऊँ हुँ हुँ
हनुमतये फट्
2. हौं हस्फ्रें
ख्फ्रें हस्त्रों हस्खफ्रें हृसौं हनुमते नम:
3.ऊँ पवन नन्दनाय
स्वाहा
4.ऊँ हं हनुमते
रुद्रात्मकाय हुं फट
5.ऊँ हृां
सर्वदुष्ट ग्रह निवारणाय स्वाहा
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