,,,,,,, आप भी बन सकते है , उच्च पदाधिकारी यदि निम्न योग हो तो :-
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय
सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
१. यदि दशम भाव
में मंगल हो अथवा दशम भाव पर मंगल की दृष्टी हो.
२. कुंडली में
मंगल उच्च राशी में हो।
३. मंगल केंद्र
में या त्रिकोण में हो।
४. लग्न से १० वे
भाव में सूर्य अथवा गुरू उच्च राशी , स्वराशी का हो।
५. लग्नेश की
लग्न पर दृष्टी हो।
६. लग्नेश , दशमेश की युति हो।
७. द्वितीयेश दशम
स्थान में स्वराशी अथवा मित्र की राशी में हो।
८. द्वितीयेश , दशमेश की युति हो।
९. केंद्र, त्रिकोन की युति हो।
१० दशमेश केंद
अथवा त्रिकोण में हो। 'प" शब्द
हमको बहुत प्रिय है।
हम जिंदगी भर
"प" के पीछे भागते रहते है।
जो मिलता है वह
भी "प" और जो नहीं मिलता वह भी "प"।
पति
पत्नी
पुत्र
पुत्री
परिवार
पैसा
पद
प्रतिस्ठा
प्रशंषा ।
ये सब
"प" के पीछे पड़ते पड़ते हम पाप करते है, यह भी
"प" है।
फिर हमारा
"प" से पतन होता है और अंत मे बचता है सिर्फ "प" से पछतावा ।
पाप के
"प" के पीछे पड़ने से अच्छा है परमात्मा के "प" के पीछे पड़े
..।''
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