वेद व्यास से मिला वरदान द्रौपदी के जीवन का सबसे बड़ा
अभिशाप बन गया,
जब वेद व्यास ने द्रौपदी से कहा कि उसकी पांच शादियां होंगी
तो द्रौपदी ने उनकी बात यह कहकर टाल दी कि जिस समाज में स्त्री के एक से अधिक पति होते हैं उसे उस समाज
में निकृष्ट समझा जाता है. पर अंतत: वेद व्यास की भविष्यवाणी सत्य हुई और द्रौपदी
पांचों पांडव भाईयों से विवाह करके पांचाली बनी.
स्वंयवर में अर्जुन द्वारा द्रौपदी को जीतने के बाद जब
पांचों भाई द्रौपदी को साथ लेकर कुंती के पास पहुंचे तो कुंती किसी काम में व्यस्त
थीं. उत्साहित पांडवों ने अपनी मां से कहा
“मां देखो हम क्या लाए हैं”! उनकी मां ने बिना ये देखे कि किस विषय में बात
हो रही है, अपने पुत्रों से कहा कि वे जो भी लाए हैं उसे
आपस में बांट लें. पांडवों के लिए मां का वचन टालना संभव नहीं था इसलिए द्रौपदी
को सिर्फ अर्जुन के बजाए पांचों भाईयों की
पत्नी बनना स्वीकार करना पड़ा.
द्रौपदी के साथ पांडवों का विवाह स्वंय महर्षि वेद व्यास ने
संपन्न करवाया. पांचों भाइयों की ‘सुविधा’ को ध्यान में रखते हुए उनसे कहा कि द्रौपदी
एक-एक वर्ष के लिए सभी पांडवों के साथ रहेंगी और जब वह एक भाई से दूसरे भाई के पास
जाएगी तो उसका कौमार्य फिर से वापस आ जाएगा.
वेद व्यास ने पांडवों के समक्ष यह भी शर्त रखी कि जब
द्रौपदी एक भाई के साथ पत्नी के तौर पर रहेंगी तब अन्य चार भाई उनकी तरफ नजर उठाकर
भी नहीं देखेंगे. ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन को वेद व्यास की ये शर्त और पांचाली
का पांडवों से विवाह करना पसंद नहीं आया और यही वजह है कि पति के रूप में कभी भी
अर्जुन द्रौपदी के साथ सामान्य नहीं रह पाए.
द्रौपदी के लिए भी पांच पतियों के साथ सामन्जस्य बैठाना
ताउम्र कठिन रहा. पांच पति होने के बावजूद द्रौपदी ताउम्र अपने पति के प्यार के
लिए तरसती रहीं. वह हर साल अलग-अलग अपने पतियों के साथ रहती और उनके शयन कक्ष की
शोभा बढ़ाती, लेकिन वह दिल से किसी की भी न हो सकीं.
कुछ विद्वानों का यह भी कहना है कि स्वंयवर से पहले ही
द्रौपदी को उन राजकुमारों की हाथ से बनी तस्वीरें दिखाई जा चुकी थीं जो स्वयंवर की
प्रतियोगिता में हिस्सा लेने जा रहे थे. इन राजकुमारों में से द्रौपदी को कर्ण
सबसे प्रभावी लगे और मन ही मन वे उन्हें अपना पति बनाने का सपना भी देखने लगीं, पर स्वंयवर के समय जब कर्ण अपनी विद्या का प्रदर्शन करने के लिए आगे
आए तो द्रौपदी के भाई ने उन्हें यह कहकर रोक लिया कि इस स्वयंवर में सिर्फ
राजकुमार ही भाग ले सकते हैं और वह एक सूतपूत्र है. इस तरह द्रौपदी की इच्छा दिल
में ही दबकर रह गई.
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