गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

पूजा घर का आपके जीवन पर ऐसा असर होता है


-पूजा घर का आपके जीवन पर ऐसा असर होता है

ज्यादातर वास्तुशास्त्री भी पूजा घर को भवन के उत्तर व पूर्व दिशा के मध्य के भाग ईशान कोण में रखने की सलाह देते हैं और जरुरत पड़ने पर घर में तोड़-फोड़ भी कराते हैं। यह सही है कि ईशान कोण में पूजा का स्थान होना शुभ होता है क्योंकि ईशान कोण का स्वामी ग्रह गुरु है। लेकिन अन्य दिशाओं में भी पूजा घर रखा जा सकता है। घर की विभिन्न दिशाओं में पूजा स्थान होने का प्रभाव इस प्रकार है।
0ईशान कोणः यहां पर पूजा का स्थान होने से परिवार के सदस्य सात्विक विचारों के होते हैं
, उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। परिवार के सदस्यों की आयु बढ़ती है।
0उत्तर दिशाः यहाँ पर पूजाघर हो तो घर के मुखिया का सबसे छोटे भाई-बहिन या छोटे बेटा-बेटी कई विषयों के विद्वान् होते हैं।पूर्व दिशाः यहाँ पर पूजा का स्थान होने पर घर का मुखिया सात्विक विचारों वाला होता है और वह समाज में इज्जत और प्रसिद्धि पाता है।
0आग्नेय कोणः यहां पर पूजा का स्थान होने पर घर के मुखिया को रक्त संबंधी परेशानी होने की संभावना रहती है। घर का मुखिया क्रोधी होता है और अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है। यह सारे निर्णय खुद लेना चाहते हैं।
0दक्षिण दिशाः यहां पर पूजाघर होने पर या पूजा घर में सोने वाला पुरुष जिद्दी एवं गुस्से वाला और भावना प्रधान होता है।नैऋत्य कोणः जिन घरों में यहां पर पूजा का स्थान है तो वहाँ रहने वालों को पेट संबंधी परेशानी रहती है। साथ ही वह अत्यधिक लालची स्वभाव के होते हैं।
0पश्चिम दिशाः यहां पर पूजाघर होने पर घर का मुखिया धर्म के उपदेश तो देता है
, परन्तु धर्म की अवमानना भी करता है। इनमें लालच भी खूब होता है।वायव्य कोणः यहां पर पूजाघर हो तो घर का मुखिया यात्रा का शौकीन होता है। उसका मन अशांत रहता है और किसी स्त्री के साथ संबंधों कारण उसकी बदनामी भी होती है।
0वायव्य कोणः यहां पर पूजाघर हो तो घर का मुखिया यात्रा का शौकीन होता है। उसका मन अशांत रहता है और किसी स्त्री के साथ संबंधों कारण उसकी बदनामी भी होती है।0ब्रह्म स्थलः घर के मध्य में पूजा का स्थान होना शुभ होता है। इससे पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें