*कब होगा विवाह और कैसा होगा जीवन साथी ??? क्या
करें उपाय..जल्दी हो शादी
आजकल
लड़के-लड़कियाँ उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में बड़ी उम्र के हो जाने
पर विवाह में काफी विलंब हो जाता है। उनके माता-पिता भी असुरक्षा की भावनावश
बच्चों के अच्छे खाने-कमाने और आत्मनिर्भर होने तक विवाह न करने पर सहमत हो जाने
से भी विवाह में विलंब निश्चित होता है।
अच्छा होगा किसी
विद्वान ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रह या दोष को ज्ञात
कर उसका निवारण करें।
ज्योतिषीय दृष्टि
से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से
विवाह में बहुत देरी हो जाती है। वे विवाह को लेकर अत्यंत चिंतित हो जाते हैं।
वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है।
इनके विवाह के
योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं। जिन युवक-युवतियों के
विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों
की दशा ज्ञात कर, विवाह के योग कब
बनते हैं, जान सकते हैं।
जिस वर्ष शनि और
गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या
शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में
स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।
अन्य योग
निम्नानुसार हैं-
(1) लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आए।
(2) जब शुक्र और
सप्तमेश एक साथ हो, तो सप्तमेश की
दशा-अंतर्दशा में।
(3) लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में
सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।
(4) शुक्र एवं चंद्र
में जो भी बली हो, चंद्र राशि की
संख्या, अष्टमेश की संख्या जोड़ने
पर जो राशि आए, उसमें गोचर गुरु
आने पर।
(5) लग्नेश-सप्तमेश
की स्पष्ट राशि आदि के योग के तुल्य राशि में जब गोचर गुरु आए।
(6) दशमेश की महादशा
और अष्टमेश के अंतर में।
(7) सप्तमेश-शुक्र
ग्रह में जब गोचर में चंद्र गुरु आए।
(8) द्वितीयेश जिस
राशि में हो, उस ग्रह की
दशा-अंतर्दशा में।
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