शनिवार, 4 अक्टूबर 2014

इष्ट आरती विधान :-वैदिक आहुति विधान एवं सामग्री :-


वैदिक आहुति विधान एवं सामग्री :-

प्रथम अध्याय :- एक पान पर देशी घी में भिगोकर 1 कमलगट्टा, 1 सुपारी, 2 लौंग, 2 छोटी इलायची, गुग्गुल, शहद यह सब चीजें सुरवा में रखकर खडे होकर आहुति देना ।

द्वितीय अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार इसमें गुग्गुल और शामिल कर लें

तृतीय अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 38 के लिए शहद प्रयोग करें

चतुर्थ अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 1 से 11 मिश्री व खीर विशेष रूप से सम्मिलित करें
चतुर्थ अध्याय के मंत्र संख्या 24 से 27 तक इन 4 मंत्रों की आहुति नहीं करना चाहिए ऐसा करने से देह नाश होता है - इस कारण इन चार मंत्रों के स्थान पर "ॐ नमः चण्डिकायै स्वाहा" बोलकर आहुति दें तथा मंत्रों का केवल पाठ करें इनका पाठ करने से सब प्रकार का भय नष्ट हो जाता है।

पंचम अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 9 में कपूर - पुष्प - ऋतुफल की आहुति दें

षष्टम अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 23 के लिए भोजपत्र कि आहुति दें

सप्तम अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 10 दो जायफल श्लोक संख्या 19 में सफेद चन्दन श्लोक संख्या 27 में जौ का प्रयोग करें

अष्टम अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 54 एवं 62 लाल चंदन

नवम अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 37 में 1 बेलफल 40 में गन्ना प्रयोग करें

दशम अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार, श्लोक संख्या 5 में समुन्द्र झाग/फेन 31 में कत्था प्रयोग करें

एकादश अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 2 से 23 तक पुष्प व खीर श्लोक संख्या 29 में गिलोय 31 में भोज पत्र 39 में पीली सरसों 42 में माखन मिश्री 44 मे अनार व अनार का फूल श्लोक संख्या 49 में पालक श्लोक संख्या 54 एवं 55 मे फूल और चावल

द्वादश अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 10 मे नीबू काटकर रोली लगाकर और पेठा श्लोक संख्या 13 में काली मिर्च श्लोक संख्या श्लोक संख्या 18 में कुशा श्लोक संख्या 19 में जायफल और कमल गट्टा श्लोक संख्या 20 में ऋतु फल, फूल, चावल और चन्दन श्लोक संख्या 21 पर हलवा और पुरी श्लोक संख्या 40 पर कमल गट्टा, मखाने और बादाम श्लोक संख्या 41 पर इत्र, फूल और चावल

त्रयोदश अध्याय :- प्रथम अध्याय की सामग्री अनुसार श्लोक संख्या 27 से 29 तक फल व फूल


इष्ट आरती विधान :-

कई बार हम सब लोग जानकारी के अभाव में मन मर्जी के अनुसार आरती उतारते रहते हैं जबकि देवताओं के सम्मुख चौदह बार आरती उतारने का विधान होता है -
  • चार बार चरणों में 
  • दो बार नाभि पर 
  • एक बार मुख पर 
  • सात बार पूरे शरीर पर 
इस प्रकार चौदह बार आरती की जाती है - जहां तक हो सके विषम संख्या अर्थात १,,,७ बत्तियॉं बनाकर ही आरती की जानी चाहिये

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें