हर औरत कुछ
अलग चाहती है'
औरतें क्या चाहती हैं? सदियों से ये
सवाल आम आदमी से लेकर, मनोवैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों तक
को तंग करता रहा है. सिगमंड फ्रायड जैसे महानतम मनोवैज्ञानिक हों या हॉलीवुड के
अभिनेता मेल गिब्सन, सब
इस सवाल को लेकर परेशान रहे हैं.
इस पहेली के बारे में हज़ारों क़िताबें, लेख, ब्लॉग पोस्ट
लिखे जा चुके हैं. लाखों बार इस मसले पर बहस हो चुकी है. मर्द ही क्यों, ख़ुद महिलाएं भी
इस मसले पर अक्सर चर्चा करती पाई जाती हैं.
मगर, इस पर लंबी चौड़ी चर्चाओं, हज़ारों
क़िताबों, बरसों
की रिसर्च के बावजूद औरतों की ख़्वाहिश की कोई एक परिभाषा, कोई एक दायरा तय
नहीं हो पाया है. और न ही ये तय हो पाया है कि आख़िर उनके अंदर ख़्वाहिश जागती
कैसे है? उन्हें
किस तरह से संतुष्ट किया जा सकता है?
हालांकि बरसों की मेहनत बर्बाद हुई हो, ऐसा भी नहीं है.
आज हम काफ़ी हद तक महिलाओं की सेक्स संबंधी ख़्वाहिशों को समझ सकते हैं. महिलाओं
की कामेच्छा के बारे में पहले के बंधे-बंधाए ख़्यालों के दायरे से बाहर आ रहे हैं.
पहले कहा जाता था कि महिलाओं की चाहत कभी पूरी नहीं की जा सकती. वो सेक्स की भूखी
हैं. उनमें ज़बरदस्त काम वासना है.
लेकिन, अब वैज्ञानिक मानने लगे हैं कि औरतों की सेक्स
की चाहत को किसी एक परिभाषा के दायरे में नहीं समेटा जा सकता. ये अलग-अलग औरतों
में अलग-अलग होती है. और कई बार तो एक ही स्त्री के अंदर, सेक्स की
ख़्वाहिश के अलग दौर पाए जाते हैं.
अमरीका की रटगर्स यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर
बेवर्ली व्हिपल कहती हैं,
'हर औरत कुछ अलग चाहती है.'
तमाम नए रिसर्च से अब ये भी साफ़ हो चला है कि
सेक्स के मामले में औरतों और मर्दों की चाहतों और ज़रूरतों में कोई ख़ास फ़र्क़
नहीं होता. जबकि पहले ये माना जाता था कि मर्दों को, औरतों के
मुक़ाबले सेक्स की ज़्यादा चाहत होती है. लेकिन, अब तमाम रिसर्च
से ये साफ़ हो चला है कि कुछ मामूली हेर-फेर के साथ औरतों और मर्दों में सेक्स की
ख़्वाहिशें कमोबेश एक जैसी होती हैं.![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj5nQXf60Jhr_6WNtHcbbN-mvbk12hQASu7yCWliivfcswiEUembINtpbwt7iFSZftIlndiIUi81eixHUnAtxoMLFTBTdDxuWXEfd6YL6AxC7h5Xjv-MAdfy8QNZpcgqFdhPWEX1W-IS3E/s1600/images+%252840%2529.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj5nQXf60Jhr_6WNtHcbbN-mvbk12hQASu7yCWliivfcswiEUembINtpbwt7iFSZftIlndiIUi81eixHUnAtxoMLFTBTdDxuWXEfd6YL6AxC7h5Xjv-MAdfy8QNZpcgqFdhPWEX1W-IS3E/s1600/images+%252840%2529.jpg)
पहले जब ये सवाल किया जाता था कि महीने में
आपको कितनी बार सेक्स की ज़रूरत महसूस हुई? तो जवाब ऐसे मिलते थे जिनसे लगता था कि मर्दों
को ज़्यादा बार ज़रूरत महसूस हुई. मगर जब यही सवाल घुमाकर किया गया कि कुछ ख़ास
मौक़ों पर, साथी
से नज़दीकी पर, बातचीत
के दौरान, आपको
कितनी बार सेक्स की ख़्वाहिश हुई? तो, औरतों और मर्दों के जवाब कमोबेश एक बराबर चाहत
ज़ाहिर करने वाले थे.
ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेस लोरी
ब्रॉटो कहती हैं कि इससे हमारी ये धारणा टूटती है कि औरतों को सेक्स में कम
दिलचस्पी होती है. हां, उनकी
ख़्वाहिशें अलग तरह की होती हैं.
एक और बात जो अब बेहतर ढंग से समझी जा रही है
वो ये कि औरतों के अंदर सेक्स की चाहत उनके मासिक धर्म के हिसाब से बढ़ती घटती
रहती है. मासिक धर्म शुरू होने से कुछ पहले उन्हें सेक्स की ज़्यादा ज़रूरत महसूस
होती है. वर्जिनिया यूनिवर्सिटी की मनोवैज्ञानिक एनिटा क्लेटन कहती हैं कि, सेक्स हमारी
बुनियादी ज़िम्मेदारी, यानी
बच्चे पैदा करने का ज़रिया है.
इसीलिए जब महिलाओं के अंदर अंडाणु बनने लगते
हैं तो उन्हें सेक्स की ज़्यादा ज़रूरत महसूस होती है. क्लेटन कहती हैं कि ये तो
आज के दौर का चलन है कि सेक्स और बच्चे पैदा करने को अलग-अलग किया जा रहा है.
क़ुदरती तौर पर तो दोनों एक ही हैं.
पहले डॉक्टर ये भी मानते थे कि मर्दों का
हारमोन टेस्टोस्टेरान, महिलाओं
में यौनेच्छा जगाता है. इसीलिए जब महिलाएं सेक्स की कम ख़्वाहिश की परेशानी लेकर
डॉक्टरों के पास जाती थीं तो उन्हें टेस्टोस्टेरान लेने का नुस्खा बताया जाता था.
बल्कि बहुत से डॉक्टर आज भी यही इलाज कम यौनेच्छा महसूस करने वाली महिलाओं को सुझा
रहे हैं.
जबकि तमाम रिसर्च के बाद ये कहा जाने लगा है कि
महिलाओं में सेक्स की इच्छा से टेस्टोस्टेरेान का कोई ताल्लुक़ नहीं. मिशिगन
यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सारी वान एंडर्स कहती हैं कि, सेक्स की चाहत
के असर से हारमोन का बहाव तेज़ होता है. और लोग समझते उल्टा हैं.
उन्हें लगता है कि हारमोन के ज़्यादा रिसाव से
सेक्स की चाहत पैदा होती है. बल्कि वो तो ये भी कहती हैं कि सेक्स की इच्छा का
हारमोन से कोई ताल्लुक़ ही नहीं.
सेक्स के दौरान भी महिलाओं को अलग-अलग एहसास
होते हैं. वो मर्दों की तरह उत्तेजना, चरमोत्कर्ष और तसल्ली के एहसास से रूबरू हों, ऐसा ज़रूरी
नहीं. महिलाओं के मामले में सेक्स बंधी-बंधाई लक़ीर पर चलने वाली चीज़ नहीं. सब
कुछ उलट-पुलट हो जाता है. कई बार ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें ऑर्गैज़्म पहले
महसूस हो और साथी के छुअन की ज़रूरत बाद में.
उन्हें उत्तेजित करने के लिए हर बार यौन अंगों
से छेड़खानी करनी पड़े, ऐसा
भी ज़रूरी नहीं. कई बार इसके ख़्याल से ही उन्हें तसल्ली हो जाती है. उनके लिए
सेक्स एक दिमाग़ी तजुर्बा है. मर्दों के मामले में ऐसा हमेशा नहीं होता.
ज़रूरी नहीं कि महिलाओं की ख़्वाहिश हर बार
सेक्स करके पूरी हो. हर औरत अलग तरह से तसल्ली महसूस करती है. अलग-अलग वक़्त में
एक औरत भी कई तरह के एहसास से गुज़रती है. कई बार उन्हें हस्तमैथुन से ही तसल्ली
मिल जाती है. कइयों को सिर्फ़ सेक्स के ख़्याल से ही ऑर्गैज़्म हो जाता है.
कइयों को पूरी तरह तसल्ली के लिए साथी की
ज़रूरत होती है. कई बार महिलाएं, साथी के साथ होकर भी उसके साथ सेक्स के बग़ैर
यौन सुख महसूस कर लेती हैं.
औरतों में सेक्स की ख़्वाहिश जगाने के ज़रिए भी
कई तरह के होते हैं. जैसे किसी को यौन अंगों से छेड़-छाड़ के बाद सेक्स की ज़रूरत
लगती है. किसी को किस करने से उत्तेजना हो जाती है. कुछ अपने साथी पर हावी होकर
तसल्ली महसूस करती हैं. इसका दायरा भी बहुत व्यापक है.
अब तो पोर्न उद्योग भी औरतों के हिसाब से पोर्न
फ़िल्में बनाने लगा है. पहले ऐसी फ़िल्में सिर्फ़ मर्दों के लिए बनायी जाती थीं.
अब तो औरतों की ख़्वाहिशों को ध्यान में रखकर पोर्न फ़िल्में बन रही हैं.
मनोवैज्ञानिक स्तर पर बात करें तो हमें अब भी
नहीं पता कि औरतों के अंदर सेक्स की चाहत कैसे जगती है? बल्कि हमें तो
ये भी नहीं पता कि ये चाहत होती कैसी है? ये दिमाग़ से शुरू होती है या शरीर के किसी और
ख़ास हिस्से से?
हालांकि सेक्स की ज़रूरत न महसूस होने की कुछ
वजहें तो अब पक्के तौर पर मालूम हो चुकी हैं. कामकाजी महिलाएं अक्सर कम यौनेच्छा
की शिकायत करती हैं. घर और दफ़्तर का तनाव उनकी ख़्वाहिशों पर हावी हो जाता है.
इसी तरह बच्चे पैदा होने पर भी महिलाओं को सेक्स की कम ज़रूरत महसूस होने लगती है.
महिलाओं के ऊपर आस-पास के माहौल का बहुत असर
पड़ता है. अगर तनाव है तो उनके अंदर सेक्स की चाहत कम होना तय है. अमरीका और
ब्रिटेन में पचास फ़ीसद औरतें, साल में कई बार कम सेक्स की चाहत की शिकायत
करती हैं. ऐसा अक्सर दुनियावी फिक्र की वजह से होता है
लेकिन, ये स्थायी भाव नहीं. इस परेशानी को माहौल बदलकर, औरतों को
रिलैक्स महसूस कराकर दूर किया जा सकता है. उनके अंदर फिर से सेक्स की इच्छा जगायी
जा सकती है. इसके लिए साथी को रिश्तों में नयापन लाने के तरीक़े तलाशने होंगे.
रोज़ाना कुछ नया करके, जिस्मानी
रिश्तों का ठंडापन दूर किया जा सकता है.
वैसे पंद्रह फ़ीसदी औरतें ऐसी भी हैं जो कम
यौनेच्छा की वजह से तनाव की शिकायत करती हैं. इनमें से कई तो अपने साथी का मन रखने
के लिए सेक्स करती हैं. जो उनके लिए बहुत तकलीफ़देह होता है. सेक्स के दौरान भी
उनका ध्यान किसी और बात में होता है. जैसे कि कहीं उनका साथी उन्हें छोड़कर चला ना
जाए.
महिलाओं में सेक्स की कम इच्छा की परेशानी दूर
करने के कई इलाज आज उपलब्ध हैं. हालांकि इनमें से कोई भी कामयाबी की सौ फ़ीसद गारंटी
नहीं देता. आज मनोवैज्ञानिक तरीक़े से भी महिलाओं में ख़्वाहिशों को फिर से ज़िंदा
किया जा रहा है. ध्यान और योग के ज़रिए उनकी दिमाग़ी सेहत बेहतर की जाती है.
ऐसे ही मेडिटेशन की क्लास में उन महिलाओं को
उनकी ख़ूबियों के बारे में बताया जाता है. उनके शरीर के उन ख़ास हिस्सों के बारे
में रूबरू कराया जाता है,
जहां छूने से उन्हें उत्तेजना हो सकती है.![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEB84rE3poQk1msqiJIxZDpQTNkTjNITmohj5zQhEAXqNN3sm7jnRAnpXBD4jyDYiL2F4nC9Ju0Ttgl0rZH-n6VblAguDOD9BxyiAOEJPVKuDFOifgoy-lzUUHQI3gHn0KmWnunL8YamI/s320/12800347_228880924132875_1701216140955937552_n.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEB84rE3poQk1msqiJIxZDpQTNkTjNITmohj5zQhEAXqNN3sm7jnRAnpXBD4jyDYiL2F4nC9Ju0Ttgl0rZH-n6VblAguDOD9BxyiAOEJPVKuDFOifgoy-lzUUHQI3gHn0KmWnunL8YamI/s320/12800347_228880924132875_1701216140955937552_n.jpg)
कई लोग महिलाओं में सेक्स की इच्छा जगाने के
लिए फीमेल वियाग्रा की भी सिफ़ारिश करते हैं. 'एडी' नाम की इस दवा
को अमरीकी सरकार से भी हरी झंडी मिल गई है. लेकिन, वैज्ञानिक और
डॉक्टर, दोनों
मानते हैं कि 'एडी', महिलाओं में
सेक्स की इच्छा जगाने में बहुत कारगर नहीं. क्योंकि ये औरतों की कामेच्छा के
सिर्फ़ एक पहलू को टारगेट करती है.
जबकि किसी औरत के अंदर सेक्स की ख़्वाहिश के कई
पहलू होते हैं. जबकि इस दवा के कई साइड इफेक्ट हैं. इसे लेने से उन्हें उल्टी, थकान, सिरदर्द, नींद न आने की
शिकायत हो सकती है. वो ये दवा लेने के बाद शराब भी नहीं पी सकतीं.
जानकार सलाह देते हैं कि महिलाओं के अंदर
ख़्वाहिश जगाने के लिए मनोवैज्ञानिक पहलू पर काम करना ज़्यादा बेहतर तरीक़ा है.
उनके आस-पास के माहौल को बेहतर किया जाना चाहिए. उनके तनाव की वजह को दूर किया
जाना चाहिए. वो अच्छा महसूस करेंगी तो उनके अंदर ख़्वाहिश ख़ुद ब ख़ुद जगेगी.
वैसे महिलाएं अपने अंदर सेक्स की कम चाहत को तब
तक परेशानी के तौर पर नहीं देखतीं, जब तक वो किसी रिश्ते में नहीं बंधतीं. उसके
बाद साथी की मांग का दबाव उन्हें सेक्स की कम इच्छा की दिक़्क़त का एहसास कराता
है.
ज़रूरी नहीं कि साथी की इच्छा के बराबर ही
महिलाओं को भी सेक्स की चाहत महसूस हो. बेहतर होगा कि दोनों मिल-बैठकर इस बारे में
बात करें और एक दूसरे की ज़रूरतों और ख़्वाहिशों को समझने की कोशिश करें.
जहां तक ख़्वाहिशों की बात है, इसका कोई ओर-छोर
नहीं. ये अलग-अलग इंसानों में ही नहीं, कई बार एक ही इंसान के अंदर अलग-अलग होती है.
किसी में कम होती है या ज़्यादा होती है, ये कहना भी ग़लत है. क्योंकि कम कितना है, ज़्यादा कितना
है, इसका
भी कोई पैमाना नहीं.
(मूल
लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, जो बीबीसी फ्यूचर पर उपलब्ध है.)//
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