बुधवार, 17 अगस्त 2016

भारत माता की जय।




"परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
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सुन्दरता कश्मीर की तुम में, सिक्किम जैसा शर्माती !!
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खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
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केरल जैसी आंख तुम्हारी, है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!
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महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
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खुशबू हो तुम कर्नाटक की, बल तो तेरा हरियाणा !!
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सीधी-सादी उड़ीसा जैसी, एम.पी. जैसा मुस्काना !
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दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी, त्रिपुरा जैसा इठलाना !!
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झारखंड तुम्हारा आभूषण, तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
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सीना तुम्हारा यू.पी है तो, हिमाचल तुम्हारी निन्दिया है !!
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कानों का कुंडल छत्तीसगढ़, तो मिज़ोरम तुम्हारी पायल है
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बिहार गले का हार तुम्हारा,
तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!
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नागालैंड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणाचल है !
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नाम तुम्हारा भारत माता,
तो पवित्र तुम्हारा उत्तरांचल है !!
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सागर है परिधान तुम्हारा,
तिल जैसे है दमन-द्वीव !
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मोहित हो जाता है सारा जग,
रहती हो तुम कितनी सजीव !!
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अंडमान और निकोबार द्वीप,
पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
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झिल-मिल, झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!
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ताज तुम्हारा हिमालय है,
तो गंगा पखारती चरण तेरे !
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कोटि-कोटि हम भारत वासियों का,
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स्वीकारो तुम नमन मेरे !!
जय हो।
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भारत माता की जय।
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1 टिप्पणी:

  1. अतीव-सुंदर,अवर्णनीय,अनुपम।
    कोटि-कोटि धन्यवाद मान्यवर।

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