: कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की
कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां
हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं। सीताजी के वचनों के अनुसार- 'अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत
रघुनायक छोऊ।।'
गंधमादन पर्वत क्षेत्र और वन : गंधमादन पर्वत
का उल्लेख कई पौराणिक हिन्दू धर्मग्रंथों में हुआ है। महाभारत की पुरा-कथाओं में
भी गंधमादन पर्वत का वर्णन प्रमुखता से आता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना
जाता है कि यहां के विशालकाय पर्वतमाला और वन क्षेत्र में देवता रमण करते हैं।
पर्वतों में श्रेष्ठ इस पर्वत पर कश्यप ऋषि ने भी तपस्या की थी। गंधमादन पर्वत के
शिखर पर किसी भी वाहन से नहीं पहुंचा जा सकता। गंधमादन में ऋषि, सिद्ध, चारण, विद्याधर, देवता, गंधर्व, अप्सराएं
और किन्नर निवास करते हैं। वे सब यहां निर्भीक विचरण करते हैं।
वर्तमान में कहां है गंधमादन पर्वत? : इसी नाम से एक और पर्वत रामेश्वरम के
पास भी स्थित है, जहां
से हनुमानजी ने समुद्र पार करने के लिए छलांग लगाई थी, लेकिन हम उस पर्वत की नहीं बात कर रहे
हैं। हम बात कर रहे हैं हिमालय के कैलाश पर्वत के उत्तर में (दक्षिण में केदार
पर्वत है) स्थित गंधमादन पर्वत की। यह पर्वत कुबेर के राज्यक्षेत्र में था। सुमेरू
पर्वत की चारों दिशाओं में स्थित गजदंत पर्वतों में से एक को उस काल में गंधमादन
पर्वत कहा जाता था। आज यह क्षेत्र तिब्बत के इलाके में है।
पुराणों के अनुसार जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड
और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध
था।
कैसे पहुंचे गंधमादन : पुराणों के अनुसार
जम्बूद्वीप के इलावृत्त खंड और भद्राश्व खंड के बीच में गंधमादन पर्वत कहा गया है, जो अपने सुगंधित वनों के लिए प्रसिद्ध
था। इस क्षेत्र में दो रास्तों से जाया जा सकता है। पहला नेपाल के रास्ते मानसरोवर
से आगे और दूसरा भूटान की पहाड़ियों से आगे और तीसरा अरुणाचल के रास्ते चीन होते
हुए। संभवत महाभारत काल में अर्जुन ने असम के एक तीर्थ में जब हनुमानजी से भेंट की
थी, तो हनुमानजी
भूटान या अरुणाचल के रास्ते ही असम तीर्थ में आए होंगे। गौरतलब है कि एक गंधमादन
पर्वत उड़िसा में भी बताया जाता है लेकिन हम उस पर्वत की बात नहीं कर रहे
हैं।मकरध्वज था हनुमानजी का पुत्र : अहिरावण के सेवक मकरध्वज थे। मकरध्वज को
अहिरावण ने पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त कर दिया था।
पवनपुत्र हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी थे तब कैसे
कोई उनका पुत्र हो सकता है? वाल्मीकि
रामायण के अनुसार उनके पुत्र की कथा हनुमानजी के लंकादहन से जुड़ी है।
कौन था
हनुमानजी का पुत्र, जानिए:
हनुमानजी की ही तरह मकरध्वज भी वीर, प्रतापी, पराक्रमी और महाबली थे। हनुमानजी ने अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम
और लक्ष्मण को मुक्त कराया और मकरध्वज को पाताल लोक का अधिपति नियुक्त करते हुए
उसे धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी थी।
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