रविवार, 29 मार्च 2015

राम को जन्म ----

रावण की इस गलती के कारण भगवान राम को जन्म लेना पड़ा
भगवान विष्णु ने समय-समय पर अवतार लेकर दुनिया से पाप और पापियों का अंत किया है। इस बात को कृष्णावतार में स्वयं श्री कृष्ण ने कहा है। पाप का अंत करने के लिए ही भगवान को राम रूप में अवतार लेना पड़ा था।
रामावतार भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। यह अवतार भगवान विष्णु को रावण का वध करके संसार में धर्म की स्थापना करने के लिए हुआ था।
भगवान विष्णु को यह अवतार रावण की एक गलती के कारण लेना पड़ा था। रामावतार लेकर भगवान ने रावण को उस गलती का दंड दिया था।भगवान राम का जन्म इक्ष्वाकु वंश में हुआ था। राजा इच्क्षवाकु सूर्य के वंशज माने जाते हैं इसलिए इन्हें सूर्यवंशी भी कहा जाता है।
इनके वंश में एक प्रतापी राजा हुए जिनका नाम था अनरण्य। रावण ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार कर लिया था। लेकिन राजा अनरण्य के राज्य पर रावण का अधिकार नहीं हो पाया था।
रावण ने राजा अनरण्य के राज्य पर अधिकार करने के लिए आक्रमण किया। अनरण्य और रावण के बीच भीषण युद्घ हुआ। ब्रह्मा जी के वरदान के कारण अनरण्य रावण के हाथों पराजित हुए। रावण राजा अनरण्य का अपमान करने लगा।
अपने अपमान से क्रोधित होकर राजा अनरण्य ने रावण को अभिशाप दिया कि तूने महात्मा इक्ष्वाकु के वंशजों का अपमान किया है इसलिए मेरा शाप है कि इच्वाकु वंश के राजा दशरथ के पुत्र राम के हाथों तुम्हारा वध होगा।

ईश्वरीय विधान के अनुसार भगवान विष्णु ने राम रुप में अवतार लेकर इस अभिशाप को फलीभूत किया और रावण राम के हाथों मारा गया।



राम जिनका नाम है,
अयोध्या जिनका धाम है,
ऐसे रघुनंदन को,
हमारा प्रणाम है,

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