2. बीमारियों का मूल कारण क्या है ?
मैं आपको उन तीन मुख्य जवाब के बारे में बताने जा रहा हूँ जो स्वयं प्रभु ने दिया, परमात्मा ने दिया, दुनिया में उसका उत्तर नहीं है ।
मैने परमात्मा से तीन सवाल पूछेः-
सबसे पहला सवाल पूछा कि हे भगवान मुझे Cancer क्यों हुआ?
सबसे पहला सवाल पूछा कि हे भगवान मुझे Cancer क्यों हुआ?
पहले प्रश्न के जवाब में प्रभु ने कहा कि
आपने Current नहीं लिया इसलिये आपको Cancer हो गया । इस प्रश्न का Answer उन्होने एक Line में दे दिया । मेरी समझ में नहीं आया कि कौन से Current की बात परमात्मा ने की है ? मैने उनसे पूछा कि आप कौन से Current की बात कर रहे है ? मैने दुनिया में तो Electric Current के बारे में सुना है, यह कौन सी Current है ? इसका परमात्मा ने जवाब दिया यह Spiritual Current है, जो स्वयं परमात्मा से आता है । इसको ही Spiritual Energy कहा जाता है । जैसे Electric Current को Electric Energy कहा जाता है, उसी तरह Spiritual Current को Spiritual Energy कहा जाता है ।
अ. एक Dead Body और एक Living Body में क्या फर्क है ?
It is the presence and absence of spiritual current. Dead Body में Organs नहीं हैं इसलिये Dead Body का कोई भी Part काम नहीं करता । मनुष्य के शरीर के अन्दर जितने भी Organs हैं उनमें चाहे Brain हो, जो कि शरीर में Computer की तरह है । चाहें हमारा Heart हो जो कि शरिर में Water Pump की तरह है । चाहें हमारा पेट, जो कि हमारे शरीर में Mixer Grinder की तरह है । इसी तरह हमारी Kidney हमारे शरीर में Water Filter की तरह है ।
ब. ये सारी Machines कौन से Current से चलती हैं ?
There is no electric current here. यह आत्मा के अन्दर ही परमात्मा का Spiritual Current है जो इस शरीर को चला रहा है एक Dead Body में वह Current नहीं है इसलिये वह काम नहीं कर रहा है।
Dead Body से आप आँख निकाल लीजिये, Kidney निकाल लीजिये और Living Body में उसको Transplant कर दीजिये, वही Organs काम करने लगेंगे, क्योंकि Spiritual Energy और Physical Energy में सिर्फ़ एक Difference है वह है कि मन Spiritual Energy का Part है और मन Physical Energy में नहीं होता ।
There is no electric current here. यह आत्मा के अन्दर ही परमात्मा का Spiritual Current है जो इस शरीर को चला रहा है एक Dead Body में वह Current नहीं है इसलिये वह काम नहीं कर रहा है।
Dead Body से आप आँख निकाल लीजिये, Kidney निकाल लीजिये और Living Body में उसको Transplant कर दीजिये, वही Organs काम करने लगेंगे, क्योंकि Spiritual Energy और Physical Energy में सिर्फ़ एक Difference है वह है कि मन Spiritual Energy का Part है और मन Physical Energy में नहीं होता ।
Physical Energy is the energy which is capable of doing only physical and mechanical work, and spiritual energy is the capacity of doing physical and mental work. जो Physical Energy है वो मानसिक कार्य नहीं कर सकती, सोचने का काम नहीं कर सकती, Robot Computer सोच नहीं सकते । यही Basic Difference है ।
जो परमात्मा ने मुझे Spiritual Energy के बारे में बताया और उन्होंने कहा कि इस Current को लेना पड़ता है । मैने उनसे पूछाँ कि इस एनर्जी को उनसे क्यों लेना पड़ता है ? उन्होने कहा कि इस एनर्जी की Supply के बिना आपके Organs काम ही नहीं करेंगे ।
4. Peaceful Physco Neurobics - शून्य मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । इसमें दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाथ की बीच की ऊँगली को मोड़ कर अँगूठे के नीचे दवाये, ऊँगली को हल्के से अँगूठे से दवाते हुए बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में रखें । ईश्वर द्वारा प्राप्त शून्य मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नीला है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें । अपनी आँखों को बन्द कर अपने तीसरे नेत्र से आने वाले नीले रंग का ध्यान करें तथा मन में शान्ति का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में शून्य मुद्रा के लाभ :
1. शून्य मुद्रा कान, नाक और कंठ से सम्बन्धित गम्भीर विकारों का निदान करने में सहायक है । “Sunya Mudra helps cure serious ailment related to ear, nose & throat”
2. ये कान से सुनने की शक्ति में सुधार लाती है और कान में पस (मवाद) की परेशानी दूर करती है । “It relieves hearing impairment and also helps eliminate pus formation in ear”
5. Joyful Physco Neurobics - पृथ्वी मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जाइये । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें । अपने हाथ की तीसरी ऊँगली और अँगूठे को आपस में मिलायें, बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त पृथ्वी मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग पीला है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे पीले रंग का ध्यान करें । मन ही मन प्रसनन्ता और सन्तुष्टि का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में पृथ्वी मुद्रा के लाभ :
1. पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास करने से पाचन क्रिया में सुधार आता है । इससे पाचन तन्त्र सशक्त होता है । “Practice of this Physco neurobics improves digestion & fortifies the digestive system. It also helps in increasing weight”
6. Joyful Physco Neurobics - अग्नि मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जाइये । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें । अपने हाथ की तीसरी ऊँगली को मोड़ कर अँगूठे के जड़ से लगायें, ऊँगली को अँगूठे से हल्के से दवाते हुए बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त अग्नि मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग पीला है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें तथा ईश्वर से उत्पन्न हो रहे पीले रंग का मन में ध्यान करें । इसमें आनंन्द और प्रसन्नता का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में अग्नि मुद्रा के लाभ :
1. Diabetes और Liver की परेशानी को दूर रखने की इच्छा को रखने वाले Patient को इस मुद्रा का अभ्यास प्रति दिन तीन बार कम से कम 15 मिनट के लिये करना चाहिये । “It cures diabetes and liver problems”
2.इस क्रिया से पाचन क्रिया मजबूत होती है और चर्वी कम करने में सहायता मिलती है । “This also helps in improving digestion & aids in fat loss”
अग्नि मुद्रा के नित्य अभ्यास से अच्छी सेहत को बढ़ावा मिलता है ।
मैं तनाब में आ गया । मैं सोचने लगा कि ये Cancer मुझे क्यों हुआ ? मैने तो कोई गलत काम नहीं किया । मेरे में कभी कोई गलत आदत एवं बुरी आदतें नहीं रही । जब हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ गया । फ़िर भी हमें यह Cancer क्यों हुआ ? मन ही मन डरने लगा तथा ये सोचने लगा कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ ? जब मैं इन सब विचारों में डूबा रहता, तो Doctor आते, मुझे साँत्वना देते तथा कहते कि सब ठीक हो जाएगा । लेकिन मुझे मन ही मन ऐसा लगता था कि मेरे साथ सब कुछ ठीक नहीं है ।
डाक्टरों ने मेरी लिए हास्पिटलों की बदली की । एक Hospital से दूसरे Hospital, दूसरे Hospital से तीसरे Hospital में, मैं Shift किया गया । वहाँ पर मेरी Chemotherapy शुरू हुई । जब Chemotherapy शुरू हुई तो मुझे उसका बहुत ही Side Effect हुआ । इससे मुझे बार-बार उल्टी आना, बार-बार शरीर में दर्द होना तथा भूख नहीं लगना, इस प्रकार की परेशानी मुझे होने लगी । इससे ऐसा लगा कि मुझे दवा सूट ही नहीं कर रही है ।
Doctors बार-बार बोलते कि ठीक हो जाएगा, लेकिन मै सब कुछ ठीक नहीं देख रहा था तथा घबरा भी रहा था और डरने भी लगा था क्योंकि मैने Hospital में कई व्यक्तियों की मौतें होती देखीं । Hospital में Daily मैने एक-दो व्यक्तियों को मरते देखा । उनको देख कर मन में डर होता था, कि पता नहीं मेरा कब नम्बर आ जाये । इस डर के कारण मुझे दवा भी सूट नहीं हुयी । Doctors सोचने लगे कि दवाओं कि बदली कर दी जाये । इस सबसे मै Depression में चला गया ।
उसी समय मुझे पता चला कि एक Doctor ने मेरे घर वालों के लिए मेरी बीमारी का Telegram भी कर दिया है । Telegram पाकर घर से सभी लोग आ गये । उन्होने आकर मुझे साँत्वना दी तथा मुझे समझाया भी । लेकिन मुझे लगा कि उनको भी डर लग रहा था । उनको भी मैने पीछे से तनाव ग्रस्त होते देखा । वे लोग भले ही मेरे सामने मुझे साँत्वना देने आते, लेकिन अन्दर ही अन्दर वे सभी कहीं न कहीं रो रहे थे तथा वह टूट भी चुके थे । Cancer जैसी बीमारी का नाम सुन कर उनके साथ मै भी अपने आप में बिल्कुल टूट गया था । मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मै क्या करुँ ? क्या न करुँ ?
Hospital में मै जब अपने चेहरे को देखता, अपने हाँथो को देखता तथा नाखूनों को देखता तो डर जाता । नाखून बिल्कुल काले होते जा रहे थे, नसें फ़ूलती जा रहीं थी तथा भूख नहीं लगती । परिवार से जब खाना आता, तो मुझे लगता कि मुझे उल्टी हो जाएगी । अतः हमें Fruits दिये जाते, लेकिन Fruits भी खाने का मन नहीं करता था । एक तो मुझे अन्दर ही अन्दर डर था दूसरे मुझे भूख भी नहीं लगती थी । मुझे बार-बार उल्टियाँ होने लगती थीं । मुझे खाना भी नही पचता था । यह सब सोच-सोच के और भी डरता जाता तथा मन में बहुत ही भय छा गया था । ऐसा Condition हो गयी थी कि आज या कल में मेरी मृत्यु हो जाएगी।
HEALING CURRENT---परमात्मा द्वारा बताया गया, 5000 वर्ष प्राचीन स्वास्थ्य विज्ञान
(Arogya Pravah)
मुख्य प्रकाश बिन्दु
डा. चन्द्र शेखर को कैंसर क्यों हुआ ?
बीमारियों का मूल कारण क्या है ?
स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य क्या है ?
ध्वनि, रंग और हस्त मुद्राओं द्वारा विभिन्न साइको न्यूरोबिक व्यायामों का आरोग्यकारी प्रभाव ।
डा. चन्द्र शेखर को कैंसर क्यों हुआ ?
बीमारियों का मूल कारण क्या है ?
स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य क्या है ?
ध्वनि, रंग और हस्त मुद्राओं द्वारा विभिन्न साइको न्यूरोबिक व्यायामों का आरोग्यकारी प्रभाव ।
मनुष्य इस धरती पर सबसे सर्वश्रेष्ठ प्राणी माने जाते हैं । हमारी असीमित सफलता इस बात का प्रमाण है । परन्तु विकास की इस प्रक्रिया में मनुष्यों ने अपनी जीवन शैली का जो हाल किया है, वो निश्चित ही निराशाजनक है। हम सब एक ऐसी अंधी दौड़ का हिस्सा बन चुके हैं, जहाँ जीवित रहना एक संघर्ष है । ऐसा लगता है, सभी जीतने की प्रतिस्पर्धा में लगे हुए हैं । इस दौड़ का ना कोई अंत नजर आता है और ना ही कोई स्थिरता की उम्मीद । हमसे ऊँचे तो हमारे लक्ष्य हैं ।
भीड़-भाड़, हल्ला-गुल्ला और हल-चल, जैसे ये हमारी जिन्दगी के अभिन्न अंग बन गये हैं । लगातार काम का दबाव तथा मानसिक तनाव थकान का कारण बनता है । ये हमें उग्र और बेहद चिढ़ चिढ़ा बनाता जा रहा है । हम अपना आत्म संयम खोते जा रहे हैं और जीवन में अनुशासन की कमी, हमें गंदी आदतों की ओर आकृषित करती जा रही है।
ना हमारा खान पान सही है और ना ही दिनचर्या । लगातार वक्त की कमी ने हमें आज हानिकारक खाद्य पदार्थों का सेवन करने को विवश कर दिया है । हमारा भोजन आज खुले आकाश के नीचे, प्रदूषणों से युक्त और हमारे ही द्वारा फ़ैलाये हुए कूड़े करकट के बीच उपलब्ध है । ये सब नज़र अंदाज करने को हम विवश हैं ।
इस अजीब जीवन शैली का दुष्परिणाम यह है कि आज हम अनेक प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं । हमारी मेहनत से अर्जित की गई राशि स्वयं के ईलाज में एक पल में चली जा रही है । सब दुखी, परेशान और घबराये हुए हैं । अपनी बेतरतीव जिन्दगी को रास्ते पर लाने के लिये हम भगवान को कई प्रकार का प्रलोभन देकर प्रभावित करने की कोशिश करते हैं । चड़ावे के नाम पर रिश्वत भी दे रहे हैं । परन्तु क्या इस सबका जवाब प्रभु के पास है ? - हाँ ।
डा. चन्द्र शेखर को कैंसर क्यों हुआ ?
भारत में जन्मी एक पौराणिक उपचारात्मक तकनीक है, जिसका नाम है – Psycho Neurobics .
भारत में जन्मी एक पौराणिक उपचारात्मक तकनीक है, जिसका नाम है – Psycho Neurobics .
मिलिये, Dr. Chandra Shekhar से जो हमारी तरह एक साधारण व्यक्ति हैं, जिनके जीवन की कहानी असाधारण है । आज से 14 वर्ष पहले डाक्टरों ने Chandra Shekhar जी को बताया कि उन्हें Cancer हो गया है । आज ना सिर्फ़ उन्होंने इस खतरनाक बीमारी को पराजित किया है, बल्कि उसका सफलता से निदान भी किया है ।
हमारे शरीर के अन्दर विचारों के ऊपर, भावनाओं के ऊपर Energy का Flow होता है । हम देखते हैं कि Electrical Energy को Store नहीं किया जा सकता है । Science के नियम के हिसाब से Energy is neither created nor destroyed, it is transformed. “Energy का ना तो सृजन होता है ना ही विनाश होता है, उसका केवल रूपान्तरण होता है” । यह ठीक उसी तरह है, जैसे Spiritual Energy का ना तो सर्जन होता है ना ही विनाश होता है, यानि आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है तथा उसका केवल रुपान्तरण होता है ।
जैसे Electrical Energy घरों में आती है तो उसका रूप बदल जाता है, जैसे Light के द्वारा प्रकाश उर्जा में बदल जाती है, Mike के द्वारा ध्वनि उर्जा में बदल जाती है, Fan के द्वारा Mechanical Energy में बदल जाती है, Heater के द्वारा Heat Energy में बदल जाती है । तो इस प्रकार से वही विद्युत धारा, वही Electrical Current विभिन्न Machines के द्वारा अलग अलग उर्जा में रुपान्तरित हो जाती है । यह सब ठीक उसी तरह से है जैसे परमात्मा से आने वाली Spiritual Energy आत्मा में Store होती है । यह आत्मा से Mind में आती है तब यह Mental Energy में बदल जाती है। Mental Energy भी दो तरह की होती है । जैसे उर्जा एक Kinetic होती है और दूसरी Static होती है, स्थिर और धतिश । ठीक इसी तरह आत्मा में भी दो तरह की उर्जा होती है एक स्थिर और दूसरी गतिशील । स्थिर उर्जा हमारा Thought है और गतिशील उर्जा हमारी भावनाए हैं । “Emotions, that is why it is called energy in motions is called emotions” . इस प्रकार Emotions और Thought ये दोनों Mental Energy के Part हैं । ये दोनो ऊर्जायें हमारे Brain के अन्दर Transmit होती हैं ।
दूसरा प्रश्न पूछा कि दुनिया में लोग बीमार क्यों पड़ते है ?
मैने परमात्मा से दूसरा सवाल पूछा था कि दुनिया में लोग बीमार क्यों पड़ते हैं ? इतने सारे लोग हैं वो लोग भी बीमार पड़ते हैं और आज कल बहुत ही ज्यादा बीमारियाँ हो रही हैं, लोग बीमार पड़ रहे हैं । इसका क्या कारण है ?
मैने परमात्मा से दूसरा सवाल पूछा था कि दुनिया में लोग बीमार क्यों पड़ते हैं ? इतने सारे लोग हैं वो लोग भी बीमार पड़ते हैं और आज कल बहुत ही ज्यादा बीमारियाँ हो रही हैं, लोग बीमार पड़ रहे हैं । इसका क्या कारण है ?
उन्होंने जवाब दिया कि बीमारी का मुख्य कारण है Low Flow of Spiritual Energy है, यानि Spiritual Energy का Flow कम हो जाने पर, शरीर के Organs में बीमारियाँ होती हैं । इसका कारण है कि लोगों को नींद ठीक से नहीं आती है । यानि उनको निद्रायोग नहीं हो पाता और उनको Meditation करना नहीं आता, यानि लोगों को योगनिद्रा करना नहीं आता । मनुष्यों में दोनों Qualities कम हो गई है। चाहे वो निद्रायोग हो या योगनिद्रा हो । इसके कमी के कारण ही शरीर की Spiritual Energy का Flow - Low हो जाता है तथा साथ-साथ Voltage - Down हो जाता है ।
मै एक उदाहरण देता हूँ । Pancreas हमारे शरीर के अन्दर Insulin पैदा करता है । Pancreas के अन्दर Beta cells होते हैं । Beta Cells - Insulin बनाते हैं । Pancreas के अन्दर जब Spiritual Energy का Flow कम हो जाता है, तो उसके अन्दर का Beta Cells - Insulin नहीं बना पाते । इसलिये हमें अपने शरीर में Insulin की Outsourcing करनी पड़ती है । इसका मतलब यह हुआ कि हमारे शरीर के अन्दर का Invisible Doctor काम करना बन्द कर देता है ।
जो उर्जा रत्नों के रंगों से आती, उन रंगों की जो Frequency है । वह शरीर के सातों चक्रों को Active रखती है । नाद ध्वनि की तरंगें, जो Musical Instrument से निकलती थीं । ऐसी तरंगें शरीर के Metabolic Rate को Zero कर देती थीं । Zero का मतलब बिल्कुल Minimum हो जाना । इसके कारण Cells की Death Rate कम हो जाती थी । इसलिये वह सब कभी बूढ़े नहीं होते और सारे देवी देवता Young दिखते । आपने कभी लक्ष्मी नारायण को नहीं देखा । वह कभी बूढ़े दिखते ही नहीं ।
इस प्रकार रास, रंग और नाद के द्वारा उस समय Health और Happiness - Maintain होती थी । लेकिन जैसे - जैसे समय गुजरता गया, रास अलग अलग Classical Dance में बदलता गया । रास से ही अलग अलग मुद्राएँ निकलीं । नाद ध्वनि अलग - अलग Musical Therapy में बदल गयी और जो रंग था उससे Colour Therapy शुरू हो गयी, जैसे Chemotherapy (रसायन चिकित्सा) एवं Gemstone Therapy (रत्न चिकित्सा) । इस तरह रास, रंग और नाद का जो पूर्व Co-ordination था, वह टूट गया और धीरे धीरे लोग बीमार पड़ने लगे ।
परमात्मा का उपरोक्त जवाब सुन कर मैने पुनः प्रश्न पूछा कि रास, रंग और नाद कैसे अपने जीवन में Apply करेंगे । आज की Date में कोई रास नहीं कर सकता, रंग के लिये रत्न चाहिये, जो बहुत कीमती हैं और आजकल वैसे Musical Instrument तो हैं ही नहीं, जो उस समय होते थे । अतः तीनों का Application आज की Dates में कैसे हो सकता है ?
परमात्मा ने जबाव दिया कि
1. रास में मुद्राओं का मुख्य Part होता है । वेदो में भी लिखा गया है कि मुद्राओं के समान कोई औषधी नहीं है । मुद्राओं की खासियत यह है कि इसको एक नियत समय पर और एक निश्चित अवधि तक किया जाता है । यानी यह 2 मिनट या 5 मिनट करने से फ़ायदा नहीं होता है । ये कम से कम 10 से 15 मिनट तक करें । तब इन मुद्राओं का भाव निकलता है । इस प्रकार मुद्राओं का अपने आप में एक पूर्ण विज्ञान है ।
2. रंग के बारे में आज का विज्ञान, परमात्मा से आने वाले रंगों के बारे में बिल्कुल नहीं जानता है । परमात्मा से जो Spiritual Energy अलग अलग Frequencies में आती है । जिनके अलग अलग रंग है, उसके ऊपर किसी का ध्यान गया ही नहीं है । दुनिया भौतिक साधनों से आने वाले रंगों के बारे में ही केवल सोचती है ।
उन्होंने जवाब दिया कि परमात्मा से आने वाले जो रंग हैं, उनकी जो Frequency है, उसमें इतना ज्यादा Healing Power है कि आजकल की किसी भी Therapy में और उनकी किरणों में वो Power नहीं है । यानी परमात्मा की किरणों में Laser से भी ज्यादा Healing Power है । जो शरीर के विभिन्न Organs को ठीक कर सकती है । इसके लिए परमात्मा को मन से जोड़ करके Energy लेने की प्रक्रिया को लागू करना है ।
Physco Neurobic में ज्ञान मुद्रा के लाभ :
1. यह निद्रा और Hormones से जुड़ी परेशानियों को दूर करती है । “It cures problems related with sleep disorder and hormones”.
2. Endocrine System को मजबूत बनाती है और रक्त में जरूरी Hormones की पूर्ति करती है । “Empowers the endocrine system & releases required hormones in blood”
3. स्मरण शक्ति और दिमाग की क्ष्रमता को बढ़ावा देती है । एक सकारात्मक शरीर और सोच को प्रोत्साहित करती है “Improves memory & concentration power & encourages positivity in the mind & body”
ज्ञान मुद्रा का अभ्यास किसी भी समय, किसी भी जगह और किसी भी अवस्था में कर सकते हैं ।
2. Peaceful Physco Neurobics - वायु मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनो हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाँथ की पहली ऊँगली को अँगूठे की जड़ के नीचे दवायें । ऊँगली को हलके से अँगूठे से दवाते हुए बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में रखें । ईश्वर द्वारा प्राप्त वायु मुद्रा का आध्यात्मिक रंग नीला है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें, अपनी आँखों को बन्द कर अपने मन में नीले रंग का ध्यान करें । धीरे धीरे साँस छोड़ते हुए ईश्वर से प्राप्त नीले रंग पर ध्यान एकाग्र करें और आप अपने मन में शान्ती का अनुभव करेंगे, जैसे कि शरीर तनाव रहित होता जा रहा है ।
Physco Neurobics में वायु मुद्रा के लाभ :
1. वायु मुद्रा शरीर को सकून प्रदान कर, तनाव मुक्त करती है । “Vayu mudra relaxes the body cells & relieves of stress”
2. यह Arthritis, Gouts, Joint pains और साँस की तकलीफ़ को भी दूर करने में मदद करती है । “It also helps in curing arthritis, gouts, joint pains and breathlessness”
3. Peace Physco Neurobics – आकाश मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाँथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाँथ के बीच की ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें, बाकी की तीन ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त आकाश मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग आसमानी है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें, और अपनी आँखो को बन्द कर अपने तीसरे नेत्र से आते हुये आसमानी रंग पर ध्यान करें । इसमें शान्ति और सुकून का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में आकाश मुद्रा के लाभ :
1. आकाश मुद्रा सिर घूमना, चक्कर और उल्टी आने जैसी समस्याओं का निदान करने में सहायक है । “It helps to check in spinning of head (Vertigo), Giddiness & Vomiting Tendency”
2. इसके अभ्यास से Thyroid और आँख, नाक और कर्ण से जुड़ी समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है । “This also helps in curing thyroid and ENT diseases”
आकाश मुद्रा करते समय कुछ बातों का ध्यान करना जरूरी है । इस मुद्रा का अभ्यास केवल बैठ कर ही करना चाहिये और विकार का निदान होने के बाद इसका अभ्यास बन्द कर देना चाहिये।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें