तुलसी
तुलसी में गजब की रोगनाशक शक्ति है। विशेषकर
सर्दी, खांसी व बुखार
में यह अचूक दवा का काम करती है। इसीलिए भारतीय आयुर्वेद के सबसे प्रमुख ग्रंथ चरक
संहिता में कहा गया है।
- तुलसी हिचकी, खांसी,जहर
का प्रभाव व पसली का दर्द मिटाने वाली है। इससे पित्त की वृद्धि और दूषित वायु
खत्म होती है। यह दूर्गंध भी दूर करती है।
- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली दिल के लिए
लाभकारी, त्वचा रोगों में
फायदेमंद, पाचन
शक्ति बढ़ाने वाली और मूत्र से संबंधित बीमारियों को मिटाने वाली है। यह कफ और वात
से संबंधित बीमारियों को भी ठीक करती है।
- तुलसी कड़वे व तीखे स्वाद वाली कफ, खांसी, हिचकी, उल्टी, कृमि, दुर्गंध, हर
तरह के दर्द, कोढ़
और आंखों की बीमारी में लाभकारी है। तुलसी को भगवान के प्रसाद में रखकर ग्रहण करने
की भी परंपरा है, ताकि
यह अपने प्राकृतिक स्वरूप में ही शरीर के अंदर पहुंचे और शरीर में किसी तरह की
आंतरिक समस्या पैदा हो रही हो तो उसे खत्म कर दे। शरीर में किसी भी तरह के दूषित
तत्व के एकत्र हो जाने पर तुलसी सबसे बेहतरीन दवा के रूप में काम करती है। सबसे
बड़ा फायदा ये कि इसे खाने से कोई रिएक्शन नहीं होता है।
तुलसी की मुख्य जातियां- तुलसी की मुख्यत: दो
प्रजातियां अधिकांश घरों में लगाई जाती हैं। इन्हें रामा और श्यामा कहा जाता है।
- रामा के पत्तों का रंग हल्का होता है। इसलिए
इसे गौरी कहा जाता है।
- श्यामा तुलसी के पत्तों का रंग काला होता है।
इसमें कफनाशक गुण होते हैं। यही कारण है कि इसे दवा के रूप में अधिक उपयोग में
लाया जाता है।
- तुलसी की एक जाति वन तुलसी भी होती है। इसमें
जबरदस्त जहरनाशक प्रभाव पाया जाता है, लेकिन इसे घरों में बहुत कम लगाया जाता है। आंखों के रोग, कोढ़ और प्रसव में परेशानी जैसी
समस्याओं में यह रामबाण दवा है।
- एक अन्य जाति मरूवक है, जो कम ही पाई जाती है। राजमार्तण्ड
ग्रंथ के अनुसार किसी भी तरह का घाव हो जाने पर इसका रस बेहतरीन दवा की तरह काम
करता है।
मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी -
मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी, जैसे मलेरिया में तुलसी एक कारगर औषधि है। तुलसी और काली मिर्च का
काढ़ा बनाकर पीने से मलेरिया जल्दी ठीक हो जाता है। जुकाम के कारण आने वाले बुखार
में भी तुलसी के पत्तों के रस का सेवन करना चाहिए। इससे बुखार में आराम मिलता है।
शरीर टूट रहा हो या जब लग रहा हो कि बुखार आने वाला है तो पुदीने का रस और तुलसी
का रस बराबर मात्रा में मिलाकर थोड़ा गुड़ डालकर सेवन करें, आराम मिलेगा।
- साधारण खांसी में तुलसी के पत्तों और अडूसा
के पत्तों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से बहुत जल्दी लाभ होता है।
- तुलसी व अदरक का रस बराबर मात्रा में मिलाकर
लेने से खांसी में बहुत जल्दी आराम मिलता है।
- तुलसी के रस में मुलहटी व थोड़ा-सा शहद
मिलाकर लेने से खांसी की परेशानी दूर हो जाती है।
- चार-पांच लौंग भूनकर तुलसी के पत्तों के रस
में मिलाकर लेने से खांसी में तुरंत लाभ होता है।
- शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ
पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को
उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से
बाहर निकल जाती है।
- फ्लू रोग में तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से लाभ होता है।
- तुलसी थकान मिटाने वाली एक औषधि है। बहुत
थकान होने पर तुलसी की पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है।
- प्रतिदिन 4- 5 बार तुलसी की 6-8 पत्तियों को
चबाने से कुछ ही दिनों में माइग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।
- तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है।
इससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है।
- तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए
तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है।
- तुलसी के पत्तों को तांबे के पानी से भरे
बर्तन में डालें। कम से कम एक-सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा रहने दें। यह पानी
पीने से कई बीमारियां पास नहीं आतीं।
- दिल की बीमारी में यह अमृत है। यह खून में
कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करती है। दिल की बीमारी से ग्रस्त लोगों को तुलसी के रस
का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
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