इसलिये बीमारी का मुख्य कारण है Low Voltage और Lack of Flow of Spiritual Energy । Spiritual Energy का Flow कम होने के कारण शरीर के अन्दर जो सात चक्र हैं उनमें भी Energy कम हो जाता है, चक्रों की गति Slow हो जाती है । जब चक्रों की गति Slow हो जाती है तो उससे सम्बंधित Organs में बीमारियाँ शुरू हो जाती हैं ।मैंने जों गलतिया कीं कि उसके Result में मुझे ये बीमारियाँ दीं
जैसे आपका Heart चक्र है, Heart चक्र का Speed - Slow हो गया, Energy कम हो गई । तो Heart चक्र से सम्बंधित जो आपके Organs जैसे Heart एवं Lungs हैं । उनमें Cholesterol, Blood Pressure तथा Asthma जैसी बीमारियाँ पैदा होने लगती है । इससे Heart Attack भी हो जाता है । इस तरह बीमारी का मुख्य कारण परमात्मा ने बताया Lack of Flow of Spiritual Energy ।
। ऐसी बीमारियों से मेरे मन में सवाल उठते थे कि मै उनका वर्णन अपने शब्दों में नहीं कर पा रहा हूँ । मुझे जो मानसिक पीड़ा और साथ साथ तन की पीड़ा हुयी, दोनो ऐसे थे कि यमदूत के रूप में सामने खड़े थे ।
Hospital में रातें बहुत लम्बी कटती थीं । ऐसा लगता था कि रात में खूब चीखूँ, खूब चिल्लाऊँ, लेकिन रात में सन्नाटा होता था, मैं किसको बुलाऊँ । रात भर करवटें बदलता रहता था । पता नहीं चलता था कि सुबह रहूँगा भी कि नहीं रहूँगा । कभी कभी ऐसा लगता कि मौत बिल्कुल पास खड़ी है । मै घबरा जाता, किससे बात करुँ ? क्या करुँ ? यह सब सोच कर मैं उठ कर बैठ जाता था । चारों तरफ़ अंधेरा लगता था । यह सब केबल मेरे साथ ही नहीं होता था, मैं यह सब और लोगों के साथ भी होते हुए देखता था । उनको देख कर मन ही मन मैं रोता था । यह सब किसी को दिखाता नहीं था । मेरे लिए रात काटनी बहुत मुश्किल हो जाती थी । हर रात यही सोचता था कि ये रात कब बीतेगी ? और इस रात की सुबह कब होगी?
एक दिन रात में बहुत बेचैनी हुई । मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ था । मुझे ऐसा लगा कि शरीर बिल्कुल टूट रहा है तथा मौत अब हुई की तब हुई । मैने भी परमात्मा से यही बोला कि अब जल्दी मुझे ले जाओ अब मै मौत का और इन्तजार नहीं कर सकता । Please-Please-Please यह कह कर पता नहीं मै कब बेहोश हो गया ? जब मै बेहोश हो गया तो बेहोशी की हालत में एक अचानक तेज प्रकाश मेरी आँखों पर आया । वह असाधारण था, Normal नहीं था, उसमें तेज था तथा उसमें एक कशिश भी थी । ऐसा लगा जैसे वह मुझे खींच रहा है । मै उठता जा रहा हूँ-उठता जा रहा हूँ - मुझे ऐसा फील हुआ । मेरी समझ में यह नहीं आ रहा था कि यह कोई मतिभ्रम था या हैडोनिजम (Hedonism) था या स्वप्न था ।
यह सब कुछ मेरी समझ में नहीं आ रहा था । यह क्या हो रहा था ? हाँ ! मुझे अपने कानों में एक आवाज सुनाई दी कि आपको कुछ नहीं होगा । आपका Life बहुत Important है । यह शब्द सुनने में तो मुझे अच्छा लग रहा था, पर अचानक, मै जब उठा तो इस पर विचार करने लगा कि यह तो स्वप्न था और स्वप्न हमेशा उल्टा होता है । मै ऐसा समझता था कि यह सोच करके कि स्वप्न उल्टा होगा यानि इसका मतलब अब मेरी मौत निश्चित है ।
वह प्रकाश मेरे ऊपर पुन: धीरे धीरे आया, उस समय मुझे बहुत अच्छा लगा । मैं अपनी इन खुली आँखों से उस प्रकाश को देख पाया, लेकिन आँखों पर प्रकाश इतनी तेजी से आ रहा था कि आँखें चौंधिया रहीं थीं, मै उस प्रकाश को नही देख पा रहा था । वह एक दिव्य प्रकाश था । उसी समय फिर वही आवाज सुनाई दी कि आपको कुछ नहीं होगा । आपका Life बहुत Important है ।
जब इन खुली आँखों से उस दिव्य प्रकाश को देखा और कानों से उस दिव्य प्रकाश की आवाज सुनी तो मन को ऐसा लगा कि एक साथी मिल गया । मेरी वह आस पूरी हो गई । मै जो Complaint ईश्वर से बार-बार करता था शायद परमात्मा ने मुझे उसका जवाब दिया, उसका यह एक Silent जवाब था । उस दिव्य साक्षात्कार के बाद मेरा परमात्मा पर विश्वास पुन: लौट आया । ऐसा लगा कि मेरी सोच परमात्मा के लिये इतनी गलत क्यों थी ? इस अपनी सोच पर ही मुझे ग्लानी होने लगी, आँखों में आँसू आने लगे कि मैने प्रभु को ही गलत समझ लिया । परमात्मा के लिए मैने यह सब बोला फ़िर भी उन्होंने मुझे अपना रूप दिखाया, ऐसा सोच करके ही मेरे आँखों में आँसू आ गये ।
3. स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य क्या है ?
स्वास्थ्य और सुखी जीवन के रहस्य की गुत्थी मेरे द्वारा परमात्मा से पूछे गये मेरे तीसरे प्रश्न में अन्तरनिहित है । मैने परमात्मा से तीसरा प्रश्न पूछा कि Health और Happiness का Secret क्या है ?
उपरोक्त दो प्रश्नों के बाद मैने परमात्मा से तीसरा सवाल पूछा कि Health और Happiness का Secret क्या है ? आज सबके पास Wealth है, पर Health और Happiness नहीं है । जो गरीब हैं, उनके पास भी Health और Happiness नहीं है । कोई ना कोई बीमारी उनको जरूर है । तो Health और Happiness कैसे प्राप्त किया जा सकता है ?
परमात्मा ने इस सबाल के जबाव में मुझे स्वर्ग का दृश्य (Scene) दिखाया । स्वर्ग के दृश्य (Scene) में Specially दिखाया कि वहाँ देवता कैसे रास करते थे ? अभी भी कैसे रास कर रहे हैं ? उनके शरीर के ऊपर अनेक प्रकार के रत्नों के द्वारा अलग अलग रंगो की किरणें आतीं । नाद और ध्वनि इतनी अच्छी व इतनी सुरीली, कि उसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता । इस प्रकार परमात्मा ने बताया कि रास, रंग और नाद के द्वारा देवता Neurobic Dance करतें । इसलिये वे सदा ही Healthy और Happy रहते ।
आज की Dates में Neurobic Dance की जगह Aerobic Dance होता है । Aerobic Dance में हम Music On कर देते हैं और Music के ऊपर हम कूदते हैं । इस प्रकार किया डांस Aerobic Dance कहलाता है । जबकि परमात्मा ने हमें Neurobic Dance करना बताया । जो Secret of Health and Happiness का मूल था और है । इस प्रकार Neurobic Dance ही स्वास्थ्य और सुखी जीवन का रहस्य कहा जाता है ।
रास का वैज्ञानिक कारण क्या था ? जैसे ही हम रास करते थे, दो चीजें Main होती थीं । इनमें एक हाँथों की मुद्रायें और दूसरा पैंरों का Co-ordination, यानि कैसे पैर को Tap करना है ? इन दोनों के Syncronisation से इतना अच्छा Dancing होता कि पूरे शरीर के Neuro System में 100% Energy का Flow होता । इससे सम्पूर्ण शरीर के अन्दर 100% Energy फ़ैलती रहती । इस तरह पूर्ण उर्जा का भन्डार शरीर के अन्दर मौजूद रहता ।. Empowering Physco Neurobics - शिवलिंग मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अब अपने दोनों हथेलियों को आपस में मिलाते हुए दोनों हाथों की ऊँगलियों को संयुक्त कर लें । अपने दाएं अंगूठे को बाएं अंगूठे के ऊपर ले जाते हुए बायां अंगूठा सीधा खड़ा करें । यह शिवलिंग मुद्रा है ।
ईश्वर द्वारा प्राप्त शिवलिंग मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग लाल है । इसमें लम्बी गहरी साँसें लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे लाल रंग का ध्यान करें । साथ ही अपने शरीर की हड्डियों और माँस पेसिंयों को मजबूत होने का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में शिवलिंग मुद्रा के लाभ :
1. शिवलिंग मुद्रा शरीर को उर्जा प्रदान करती है, साथ ही Low Blood Pressure, ठंड लगने की शिकायत दूर करती है, खाँसी की समस्या को दूर कर अन्दर से गर्माहट प्रदान करती है । “Shivling mudra imparts energy to the body, cures low blood pressure, helps eliminate chills, removes cough & makes the body warm from inside”
14. Empowering Physco Neurobics - महावीर मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अब अपने अंगूठे को चारों ऊँगलियों के बीच दवा कर दोनों हाथों की मुठ्ठी बना लें । ईश्वर द्वारा प्राप्त महावीर मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग लाल है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें । मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे लाल रंग का ध्यान करें । अपने शरीर की हड्डियों और माँस पेसियों को मजबूत होने का अनुभव करें।
Physco Neurobics में महावीर मुद्रा के लाभ :
1. महावीर मुद्रा एक सहज दर्द नाशक मुद्रा है । यह शरीर को सभी तनावों से आजाद कर पीड़ा से मुक्ति प्रदान करती है । “The mahavir mudra is a natural pain killer. It relieves pain by releasing the body of all kinds of stress and tension”
2. यह मुद्रा तत्काल ही Blood Pressure में वृद्धि करती है । इसलिये यह सलाह दी जाती है कि इस मुद्रा के बाद कम से कम 5 मिनट तक वायु मुद्रा का अभ्यास किया जाये । “It also raises blood pressure immediately. Therefore it is advisable to do peaceful neurobics with vayu mudra after this for at least 5 minutes”
महावीर मुद्रा का अधिक्तम लाभ उठाने के लिये मुँह में हवा भर कर भी किया जा सकता है ।
Purifying Physco Neurobics - अपान मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है । अपनी बीच की ऊँगली, तीसरी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें बाकी की दो ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त अपान मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग नारंगी है । लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे नारंगी रंग का ध्यान करें । मन और शरीर में पवित्रता का अनुभव करें ।
Physco Neurobics में अपान मुद्रा के लाभ :
1. अपान मुद्रा Kidney की समस्याओं को दूर कर हमारे शरीर को Detoxify करती है । “Apan mudra cures kidney problems & helps in detoxifying the body. It also cures all urinary disorders”
11. Peaceful Physco Neurobics - व्यान मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाँथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है । अपनी पहली ऊँगली, बीच की ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें बाकी की दो ऊँगलियाँ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त व्यान मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग आसमानी है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे आसमानी रंग का ध्यान करें । मन और शरीर को शान्त होता अनुभव करें ।
Physco Neurobics में व्यान मुद्रा के लाभ :
1. इस मुद्रा से High Blood Pressure का नियन्त्रण होता है और शरीर में आये तनाव दूर होते हैं । “This exercise controls high blood pressure, remove stress and relaxes the whole body”
12. Loveful Physco Neurobics - अपान वायु मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें । दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, यहाँ हाथ की तीन ऊँगलियों का प्रयोग करना है, अपनी बीच की ऊँगली, तीसरी ऊँगली और अँगूठे के सिरे को आपस में मिलायें । अब अपनी पहली ऊँगली को मोड़ते हुए अँगूठे की जड़ से लगायें, बाकी बची छोटी ऊँगली सीधी और सरल अवस्था में हों ।
ईश्वर द्वारा प्राप्त अपान वायु मुद्रा के आध्यात्मिक उर्जा का रंग हरा है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें और मन में ईश्वर से उत्पन्न हो रहे स्नेह भाग से भरे हरे रंग का ध्यान करें । अपने ह्रदय और आत्मा को सभी दोषों से मुक्त तथा निर्मलता से पूर्ण अनुभव करें । आपस में स्नेह और लगाव को ध्यान में रखते हुए अपने दुष्कर्मों के लिये परमात्मा से क्षमा की याचना करें ।
Physco Neurobics में अपान वायु मुद्रा के लाभ :
1. अपान वायु मुद्रा एक जीवन रक्षक मुद्रा है । यह Angina Pain को नियन्त्रत कर Heart Attack की सम्भावना को कम करती है । “This is a life saving mudra as it controls angina pain & prevents the possibility of heart attack”
2. इस मुद्रा द्वारा शरीर में हानिकारक Cholestrol की मात्रा को नियन्त्रित किया जा सकता है । यह Acidty कम करती है और Blood Pressure को सामान्य करने में सहयोग करती है । “This mudra also helps control cholestrol level in the body, reduce acidity & normalises blood pressure”
. इस नाद के लिए भले ही आजकल कोई Instrument उपलब्ध नहीं है । लेकिन ब्रह्म नाद से बढ़ कर कोई नाद नहीं है । ब्रह्म नाद से श्वांसो का Regulation होता है । इससे श्वांस की गति कम हो जाती है और आयु बढ़ जाती है । क्योंकि मनुष्य की आयु उसकी श्वांसों पर निर्भर करती है । जितनी श्वांस कम होगी, उतनी आयु लम्बी होगी ।
आज की तारीख में कहा जाता है कि कछुआ 1 मिनट में 5 बार श्वांस लेता है और वह 150 से 200 साल तक जिन्दा रहता है । कुत्ता 1 मिनट में 20 से ज्यादा बार श्वांस लेता है तथा वह 12 साल जिन्दा रहता है । भगवान ने आपको आयु Oxygen के रुप में लेने को दी है । एक नियत श्वांस की गिनती दी है, उस गिनती को हम जल्दी से खत्म कर दें, तो आयु जल्दी खत्म हो जाएगी । अब हमारा जो स्वास्थ है वो हमारे हाथ में है, वह भगवान के हाथ में नही है, चाहे तो हम 30 साल जियें, 20 साल जियें या 100 साल जियें ।
चौथा प्रश्न पूँछा कि ध्वनि, रंग और हस्त मुद्राओं द्वारा विभिन्न 14 साइको न्यूरोविक व्यायाम का आरोग्यकारी प्रभाव क्या है ?
उपरोक्त प्रश्नों एवं उनके उत्तरों से ज्ञात हुआ कि परमात्मा ने हमें रास, रंग और नाद, तीनों को अपनी जिन्दिगी में मिश्रण (Blend) एवं उनको महसूस करने के लिये कहा । इसमें परमात्मा से आने बाले भिन्न भिन्न रंगों का Role 80% होगा, जिसे हर एक मनुष्य को अपने मन के द्वारा ही लेना पड़ेगा । इसलिये यह विज्ञान “Physco Neurobic Science” कहलाई क्योंकि यह पूर्णतः मन का विज्ञान है । Physco Neurobic दूसरी तमाम Healing Science से बेहतर ही नहीं सबसे अच्छा है, यह Ultimate है । यह Ultimate Science of Healing of the World, क्योंकि इसको सिखाने वाला स्वयं परमात्मा है । दुनिया में बाकी अन्य जितनी Therapies है, उनका आविष्कार मनुष्यों ने किया है । लेकिन इस Therapy का आविष्कार हमने नहीं किया है, बल्कि स्वयं परमात्मा ने हमें इसके बारें में बताया है और मैं इसका अपने आप में Testimonial हूँ ।
जब हमारा Cancer, Hepatitis (जिगर का प्रदाह या सूजन) तथा Cirrhosis of Liver (यकृत का सूत्रण रोग) ठीक हो सकता है, तो छोटी मोटी बीमारियाँ तो झट से ठीक हो जाएंगी । इस तरह हमने तीनों Technology के आधार को - रास से मुद्रा, रंग में परमात्मा से आने वाले रंग तथा नाद में ब्रह्म नाद को Link करके बहुत सारे Physco Neurobic - Exercises बनायीं और इसका Application बहुत सारे Patient के ऊपर किया । उनसे हमें इसका अच्छा Result मिला ।
उपरोक्त Results एक विज्ञान बन गया । इस विज्ञान के जन्म दाता के रुप में परमात्मा ने मुझे एक माध्यम बनाया । इस तरह इस नयी Science के ऊपर हमने Thesis लिखी और Feel भी किया । जिसके कारण आज मैं Chandra Shekhar से Dr. B.K. Chandra Shekhar बन गया ।
अब रास में मुद्रा, रंग में परमात्मा से आने वाले विभिन्न रंगों की किरणों को ले करके तथा ब्रह्म नाद करके अलग-अलग Phsyco Neurobic - Exercises को बनाया गया है । जिसके द्वारा हम कई सारी बीमारियों को Practically ठीक कर सकते हैं । शर्त यही है कि यह आपको Regular करना पड़ेगा । 21 दिन में इसके बहुत ही अच्छे Results मिलने लगेंगे । इस प्रक्रिया के 40 दिन में Result More Than75% हो जायेंगे । इसको अगर आप अपने जीवन में धारण कर लें तो बीमारियाँ सदा के लिये आपसे दूर भाग जायेंगी।
अब आइये आपको भिन्न भिन्न मुद्रा, रंग और नाद के Combination से अलग अलग ठीक होने वाली बीमारियों के बारे में बताते हैं । परमात्मा ने मुझे जो उपरोक्त तीनों सवालों के जवाब दिये वह मैं अब आपसे Share करने जा रहा हूँ ।
Physco Neurobic - Exercise कहीं भी, कभी भी की जा सकती है । इसको कोई भी कर सकता है । ये ATM की तरह है । यानि Any Time Meditation. इसको करने से मन शान्त हो जाता है । इसको Regular करने से मन वश में हो जाता है । Physco Neurobic Exercise को राज योग में दिये ध्यान के साथ मिलाकर करना चाहिये । इससे बहुत ज्यादा फ़ायदा होता है । मन बिल्कुल Control हो जाता है । मुख्यतः हम मन को ही Control करना चाहते हैं । मन को Positive बनाना चाहते हैं । यह सब Physco Neurobic Exercise के द्वारा ही Possible है ।
Physco Neurobic आसानी से की जाने वाली 14 मुद्राओं का संग्रह है । इसमें गहरी श्वांस वाले व्यायाम, ब्रह्म नाद एवं ईश्वर की आध्यात्मिक उर्जा द्वारा उत्पन्न रंग बिरंगे सौन्दर्य शामिल हैं । Phsyco Neurobic को करने की अवधि कम से कम 10 मिनट है । Physco Neurobic का नियमित अभ्यास आपके जीवन को निरोग, स्वस्थ और सुखी रखने की क्ष्रमता रखता है । आप एक ऐसे समय का चुनाव करें, जब आपके मन और शरीर दोनों ही स्थिर हों । यह Any Time Meditation यानी किसी भी समय किया जा सकने वाला Meditation है ।
अब हम अपने शरीर और मन को Physco Neurobic से आसानी से की जाने वाली मुद्राओं को करने के लिये तैयार करते हैं । मुद्राओं के साथ Physco Neurobic को किसी भी समय, किसी भी जगह, और किसी भी अवस्था में जैसे कि चलते हुए, बैठ कर, खड़े होकर या लेट कर भी किया जा सकता है । परन्तु Pysco Neurobic में की जाने वाली आकाश और शून्य मुद्राओं का केवल बैठ कर ही अभ्यास करना उचित है । इसको आरंभ करने के लिये आराम दायक अवस्था में बैठ जायें । किसी समतल सतह पर पैरों को मोड़ कर सुखासन या पालती मार कर बैठना आदर्श होगा । इसमें रीड़ की हड्डी सीधी हो, दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, शरीर और मन तनाव से मुक्त होने चाहिये । मन में गहरी साँस लें तथा सुख का अनुभव करते हुए मुद्राओं का अभ्यास शुरू करें । अगर किसी कारणवश आप पृथ्वी पर सुखासन पर ना बैठ पायें तो कुर्सी पर भी बैठा जा सकता है । इसमें आप अपने शरीर की रीड़ की हड्डी सीधी रखें ।
1. Blissful Neurobic – ज्ञान मुद्रा के साथः-
इसमें सीधे होकर बैठ जायें, दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रखें, हथेलियाँ ऊपर की ओर, अपने हाँथ की पहली ऊँगली और अँगूठे के सीरों को आपस में मिलाये, बाकी की तीन ऊँगलियॉ सीधी और सरल अवस्था में हों । ईश्वर द्वारा प्राप्त ज्ञान मुद्रा की आध्यात्मिक उर्जा का रंग बैंगनी होता है । इसमें लम्बी गहरी साँस लें, बैंगनी रंग का ध्यान करते हुए अपने जीभ को मुख के तालू से लगायें और साँस बहार छोड़ें । एकाग्रचित होकर ईश्वर से प्राप्त बैंगनी रंग पर अपने मन के केंद्रित करते हुए परम आनंद का अनुभव करें । कम से कम 10 मिनट तक इस मुद्रा का अभ्यास करें, आँखों की स्थिति खुली या बन्द हो सकती है ।
इस दिव्य साक्षात्कार के बाद ध्यान बहुत ही अच्छा लगने लगा । जब भी मै Meditation में बैठता, मुझे दिव्य साक्षात्कार होते । मुझे इस बदलाव (Trans) का अनुभव होता और ये सिलसिला ध्यान में चलता रहता । अनेक प्रकार के दृश्य (Scenes) दिखाई देते, प्रभु से अनेक बातें होने लगीं, मै प्रभु से प्रश्न पूछ्ता और उसका मुझे उनसे उत्तर मिलता । ध्यान सहज हो गया और मुझे अजीब - गरीब अनुभव होने लगे ।
Hospital का समय कैसे बीतने लगा ? मुझे पता ही नहीं चला । मेरा मन सकारात्मक हो गया, प्रभु के ध्यान से मेरा मन दिव्य हो गया । परमात्मा के दिव्य साक्षात्कार होने के बाद मेरा जीवन बिल्कुल बदल गया । ध्यान सहज लगने लगा । ध्यान में साछात्कार का सिलसिला शुरू हुआ । बहुत सारे चित्र ध्यान में दिखाई देते तथा वे चित्र मेरे सामने कुछ न कुछ अर्थ लेकर आते थे । उन चित्रों के रहस्य के ऊपर मै चिंतन भी करने लगा और मुझे ऐसा लगा कि मेरे ज्ञान का तीसरा नेत्र ही खुल गया । भगवान के दर्शन हुए और ज्ञान की गंगा बहने लगी । मन ही मन ऐसा लगता कि खुशी का खजाना मिल गया । शान्ती से मै सबसे बातें करने लगा, लोग मुझे साँत्वना देते, मै मुस्कुराता और उनसे बातें करता तथा उनको साँत्वना देता कि मेरी रक्षा तो स्वयं परमात्मा कर रहा है “जाको राखे साँइयां, मार सके ना कोई, बाल ना बांका कर सके, जो जग बैरी होये” ।
स्वयं परमात्मा ने मुझे अपने गोद मे समा लिया और वह हमारी रक्षा कर रहा है । मै मन ही मन यह गीत गाता कि जब ईश्वर मेरे साथ है तो डरने की क्या बात है ? जिसका साथी है भगवान उसको क्या रोकेगा आँधी और तूफान ? ऐसे ऐसे Slogans मेरे मन में आते रहते तथा मै मन ही मन प्रभु को दिल से धन्यवाद देता और कभी रोने भी लगता कि मैने कितनी ठेस पहुँचायी है प्रभु ! आपको । मुझे ऐसा लगता था । लेकिन परमात्मा के प्रति वह मेरे प्रेम के आँसू थे । मुझे ऐसा लगता था कि परमात्मा मुझे कितना प्यार कर रहा है - कितना प्यार कर रहा है ।
आज भी जब वो दृश्य (Scenes) मेरी याद में आते हैं तो मेरी आँखों में आँसू आ जाते हैं । मै सोचता था कि वाह रे मेरे भाग्य । ध्यान में जब मैं प्रभु से Question पूँछता तो उसका जवाब भी वह ऐसे देते जैसे एक सच्चा बाप अपने बच्चे को पढ़ा रहा है । एक सच्चा Teacher अपने शिष्य को अच्छे से सिखा रहा है । ऐसे बाप एवं ऐसे Teacher का उस समय मुझे अनुभव हुआ ।
परमात्मा में मुझे बाप भी दिखाई दिया, Teacher भी दिखाई दिया । उसमें सद् - गुरू भी दिखाई दिया तथा इसके साथ ही वह मुझे बैद्यनाथ के रूप में भी दिखाई दिया । परमात्मा सबसे बड़ा डाक्टर है, सुप्रीम डाक्टर है, बैद्यनाथ है और बैद्यनाथ बन करके वो मुझे ध्यान में Healing Current देता । Healing Current का अनुभव मै शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता ।
उस Healing Current से मुझे ऐसा लगता कि मै बिल्कुल रिलेक्स हो गया, मेरा मन बिल्कुल शान्त हो गया और दर्द का तो नामो निशान ही मिट गया । जो दवाईयाँ पहले बिल्कुल काम नहीं करती थीं, वह अब काम करने लगीं । दवाईयाँ अपना काम करतीं, शरीर में लगतीं और मन अपना काम करता, वह प्रभु में लग जाता । Hospital का समय कैसे गुजरा, कैसे साल गुजर गये पता ही नहीं चला । लेकिन हाँ ! परमात्मा से मैने जो सीखा उसे लिखने लगा और लिख लिख कर उसे कितावों के रुप मे पुर्नजीवित रखा ।
।।ओम शांति शांति शांति ।।
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