गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

मूलांक-के अनुसार फलित

दिनांक 1, 10, 1928 को जन्मे जातकों का यह वर्ष कठिन श्रम करने वाला रहेगा। शिक्षा व करियर की दृष्टि से एकाग्रता व परिश्रम की आवश्यकता रहेगी। सफलता मिलेगी। नौकरी आदि में मनोनुकूल परिवर्तन नहीं होंगे। कारोबार में लाभ की स्थिति बनेगी तथा भवन-मशीन वाहन आदि में अधिक खर्च की स्‍थिति बनेगी। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। थकान व तनाव को हावी न होने दें।

 नेत्र संबंधी पीड़ा तथा रक्तविकार व हृदयरोग की आशंका बनेगी। विवाह, प्रेम, व मित्रता की दृष्टि से मूलांक 1-4-7 अनुकूल रहेंगे। रविवार व सोमवार को तथा 1, 10, 1928, 7 तारीखों को शुभ कार्य करें, लाभ होगा। पीला तथा सुनहरा रंग आपके लिए अनुकूल है अत: घर में तथा स्वयं इन रंगों के वस्त्रों का प्रयोग करें। टोपाज तथा अंबर रत्न धारण कर सकते हैं।
 उपाय- सूर्य को जल चढ़ाएं तथा गायत्री मंत्र तथा सूर्य के किसी मंत्र का जप करें।





 मूलांक (2)
 दिनांक 2, 11, 2029 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष सफलता दिलाने वाले रहेगा। शिक्षा व करियर में सफलता निश्चित मिलेगी। नौकरी आदि में मनचाहा परिवर्तन तथा तबादला होगा। कारोबार में भवन व मशीनरी की खरीदी पर व्यय होगा। स्वास्थ्य की दृष्टि से स्नायु विकार, कोष्टबद्धता तथा जलोदर इत्यादि से बचना होगा। मित्रता, प्रेम के लिए 1 तथा 7 मूलांक वाले जातक अनुकूल होंगे। रविवार व सोमवार को शुभ कार्य करें। सफेद व हल्के रंगों का प्रयोग जीवन में करें, लाभ होगा। रत्नों में मोती ही अनुकूल रहेगा। अच्‍छे किस्म का मोती चांदी में अनामिका अंगुली में धारण करना शुभ रहेगा। शिवार्चन से कष्ट कम होंगे।
 उपाय- सोमवार का व्रत करें।
मूलांक (3)
 दिनांक 3, 12, 2130 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष परेशानियां व रुकावटें देने वाला रहेगा। शिक्षा के लिए व करियर की दृष्टि से अधिकाधिक मेहनत व एकाग्रता की आवश्यकता है। एडमिशन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है कि विषय बदलना पड़े। नौकरी आदि में मनचाहा तबादला, प्रमोशन नहीं मिल सकेगा। प्रतियोगी, प्रतिद्वंद्वी सामने होंगे। कारोबार की स्थिति भी ठीक नहीं होगी। कच्चा माल मिलने की दिक्कतें होंगी तथा मौसम भी अनुकूल नहीं होगा। प्रेम, मित्रता आदि में 3-6-9 मूलांक के जातक शुभ रहेंगे। गुरुवार, शुक्रवार व मंगलवार को शुभ कार्य करें। लाल, जामुनी, गुलाबी रंग की वस्तुओं का बहुतायत से प्रयोग करें।
 उपाय- पुखराज व एमेथिस्ट पहनना शुभ रहेगा।मूलांक (4)
 दिनांक 4, 13, 22 व 31 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष भरपूर खुशियां लेकर आ रहा है। शिक्षा व करियर की दृष्टि से कामयाबी कदम चूमेगी। मनचाहा पदभार, प्रमोशन तथा परिवर्तन होगा। कारोबार में नई ऊंचाइयां छूने को मिलेंगी। नए अनुबंध होंगे तथा नए उपक्रम चालू हो सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से पेट संबंधी, आंतों की शोथ इत्यादि तथा स्मरण-शक्ति की समस्या हो सकती है। रक्ताल्पता भी तकलीफ देगी। छूत से बचें। विवाह, प्रेम व मित्रता के लिए 1-2-7-8 मूलांक वाले जातक अनुकूल रहेंगे। सोमवार, शनिवार, रविवार को शुभ कार्य करें। खाकी, नीला, भूरा रंग जीवन में अधिक वापरें। शुभ रत्न पन्ना व नीलम हैं।
 उपाय-  'ॐ गं गणपतये नम:' का जप करें तथा गणेश चतुर्थी का व्रत-पूजन कष्ट कम करेगा।
मूलांक (5)
 दिनांक 5, 1423 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष ठीक-ठीक रहेगा। शिक्षा व करियर की दृष्टि से यह वर्ष पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक अनुकूल रहेगा। मनचाही पदोन्नति, तबादले होंगे। जवाबदारियां बढ़ेंगी। कारोबार की उन्नति के लिए यह अनुकूल समय है। नई योजनाएं बनेंगी। नए उपक्रम प्रारंभ होंगे। स्वास्थ्य की दृष्टि से चर्मरोग, रक्तविकार, शरीर दुर्बलता, सिरदर्द, स्नायु विकार, हृदयाघात आदि की आशंका है। विवाह व प्रेम की दृष्टि से मूलांक 5 वाले ही अनुकूल रहेंगे। सोमवार, बुधवार तथा शुक्रवार को शुभ कार्य करें। अंगूरी, सलेटी, सफेद रंग का जीवन में अधिक प्रयोग करें। शुभ रत्न हीरा व पन्ना हैं।





 उपाय- माता लक्ष्मी की साधना, पूजन-अर्चन शुभ रहेगा। रविवार व पूर्णिमा के व्रतोपवास से कष्ट कम होंगे।
मूलांक (6)
 दिनांक 6, 1524 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष अनुकूलता देने वाला रहेगा। शिक्षा व करियर की दृष्टि से सफलता निश्चित है। नौकरी आदि में प्रमोशन, तबादला मनमाफिक होगा। कारोबार में नए उपक्रम चालू हो सकते हैं। श्रमिक संबंधी समस्या हो सकती है। भवन-मशीन आदि पर काफी खर्च होगा। भाग्य की अनुकूलता रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक रहेगा। बुखार, सर्दी, जुकाम इत्यादि की समस्या हो सकती है। हल्का नीला रंग, गुलाबी तथा सफेद रंग भाग्यवर्धक है। 3-6-9 मूलांक व्यक्ति आपके अनुकूल होंगे। मंगलवार, गुरुवार व शुक्रवार को शुभ कार्य करें। हीरा व फिरोजा रत्न शुभ परिणाम देंगे।
 उपाय- संतोषी माता का व्रत पूजन कष्ट कम करेगा।
 मूलांक (7)
 दिनांक 7, 1625 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष जोखिम उठाने वाला नहीं रहेगा, क्योंकि स्वभाव से साहसी ये व्यक्ति आगा-पीछा नहीं सोचते, लेकिन यह वर्ष ध्यान रखें। शिक्षा व करियर में कड़ी स्पर्धा रहेगी। कुछ रुकावटों के साथ सफलता मिलेगी। नौकरी में मनचाहे फेरबदल नहीं होंगे। प्रयास करना होगा। कारोबार में बिजली, पानी तथा श्रमिकों की समस्या हो सकती है। नए उपक्रम सोच-समझकर चालू करें। विवाह व प्रेम की दृष्टि से 1-2-4-7 अंकों का समायोजन शुभ रहेगा। रविवार व सोमवार को शुभ कार्य प्रारंभ करें। सफेद, हरा, हल्का नीला रंग अनुकूलता देगा। स्वास्थ्य में कब्जियत, गुप्त रोग, गठिया तथा वात संबंधी बीमारियों से बचें। शारीरिक क्षीणता भी हो सकती है। रत्नों में लहसुनिया फायदेमंद रहेगा।
 उपाय- मंगलवार का व्रत तथा भगवान नृसिंह की उपासना कष्ट कम करेगी।

मूलांक (8)
 दिनांक 8, 1726 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष सुख-समृद्धि तथा सफलता प्राप्ति का रहेगा। शिक्षा व करियर में सुनिश्चित सफलता के योग हैं। नौकरी में मनचाहा परिवर्तन, प्रमोशन मिलेगा। कारोबार में नए उपक्रमों की शुरुआत होगी। भवन, मशीन व वाहन की प्राप्ति निश्चित है। गठिया, हृदयरोग तथा हड्डी का टूटना संभव है। शनिवार शुभ दिवस है। इस दिन शुभ कार्य प्रारंभ करें। सलेटी, काला, नीला रंग जीवन में अत्यधिक वापरें। शुभ रत्न नीलम है।
 उपाय- भगवान शनिदेव की उपासना तथा शनिवार व्रत कष्ट कम करेंगे।मूलांक (9)
 दिनांक 9, 18 व 27 को जन्मे जातकों के लिए यह वर्ष उठापटक वाला रहेगा। शिक्षा व करियर की दृष्टि से कष्टसाध्य श्रम तथा प्रतिद्वंद्विता का सामना करना पड़ेगा। नौकरी आदि में अपने प्रमुख व्यक्तियों से अनबन हो सकती है। मनचाहे परिवर्तन नहीं होंगे। प्रमोशन आदि के लिए इंतजार करना पड़ेगा। कारोबारी अड़चनें मुंहबाएं खड़ी रहेंगी। जोखिम न उठाएं। स्वास्थ्य की दृष्टि से रक्त विकार, कमजोरी, मिर्गी, स्त्रियों को स्त्री रोगों का सामना करना पड़ेगा। न्यायालय के चक्कर भी लग सकते हैं। अनुकूल व्यक्ति 3-6-9 मूलांक वाले रहेंगे। शुभ दिन मंगलवार, गुरुवार व शुक्रवार हैं। शुभ रंग गुलाबी व लाल हैं जिनका प्रयोग अधिक करें। शुभ रत्न माणिक, मूंगा, गारनेट हैं।
 उपाय- हनुमानजी का पूजन तथा मंगलवार का व्रतोपवास कष्ट कम करेगा।

बुधवार, 24 दिसंबर 2014

आर्थिक समस्याओं से मुक्ति

@ आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाएं नारियल के टोटके
नारियल का भारतीय धर्म-संस्कृति में बहुत महत्व है। इसे 'श्रीफल' भी कहा जाता है। इसकी धार्मिक महत्ता के कारण मंदिर में नारियल फोड़ना या चढ़ाने का रिवाज है।


नारियल के माध्यम से आप पारिवारिक  तथा आर्थिक परेशानियों से निजात पा सकते हैं। आइए जानते हैं...

धन संचय  : यदि रुपया टिक नहीं पा रहा हो या सेविंग नहीं हो पा रही हो तो परिवार आर्थिक संकट में घिर जाता है। ऐसे में शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी के मंदिर में एक जटावाला नारियल, गुलाब, कमल पुष्प माला, सवा मीटर गुलाबी, सफेद कपड़ा, सवा पाव चमेली, दही, सफेद मिष्ठान्न एक जोड़ा जनेऊ के साथ माता को अर्पित करें। इसके पश्चात मां की कपूर व देसी घी से आरती उतारें तथा श्रीकनकधारा स्तोत्र का जाप करें। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा।

ऋ‍ण उतारना  : एक नारियल पर चमेली का तेल मिले सिन्दूर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। कुछ भोग (लड्डू अथवा गुड़-चना) के साथ हनुमानजी के मंदिर में जाकर उनके चरणों में अर्पित करके ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। तत्काल लाभ प्राप्त होगा।

अनजाना भय  : शनि, राहु या केतुजनित कोई समस्या हो, कोई ऊपरी बाधा हो, बनता काम बिगड़ रहा हो, कोई अनजाना भय आपको भयभीत कर रहा हो अथवा ऐसा लग रहा हो कि किसी ने आपके परिवार पर कुछ कर दिया है, तो इसके निवारण के लिए शनिवार के दिन एक जलदार जटावाला नारियल लेकर उसे काले कपड़े में लपेटें। 100 ग्राम काले तिल, 100 ग्राम उड़द की दाल तथा 1 कील के साथ उसे बहते जल में प्रवाहित करें। ऐसा करना बहुत ही लाभकारी होता है।

व्यापार लाभ : कारोबार में लगातार घाटा हो रहा हो तो गुरुवार के दिन एक नारियल सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटकर एक जोड़ा जनेऊ, सवा पाव मिष्ठान्न के साथ आस-पास के किसी भी विष्णु मंदिर में अपने संकल्प के साथ चढ़ा दें। तत्काल ही व्यापार चल निकलेगा।

  1.  जागने के 5 मिनट के अंदर आप रात में देखे गए आधे सपने भूल जाते हैं और 10 मिनट के अंदर 90 प्रतिशत सपने आप के दिमाग से गायब हो जाते ह 
  2. - आदमियों में महिलाओं के मुकाबले ज्यादा छोटी लिखावट पढने की क्षमता होती है जबकि महिलाएं सुनने में ज्यादा अच्छी होती हैं। 
  3. - आप पढ़ते समय जिस फ्लेवर की च्युंगम खा रहे हैं अगर परीक्षा देते समय भी उसी फ्लेवर की च्युंगम को खाएं तो आपको पढ़ी हुई चीजें आसानी से याद आ जाएंगी। 
  4. - अगर आप अपनी उम्र के 16 वर्ष पूरे कर चुके हैं तो 60 प्रतिशत संभावना है कि आप उस इंसान से मिल चुके हैं जिससे आपकी शादी होगी। 
  5. - 15 से18 घंटे भूखे रहने पर आपका सामान्य सोने और जागने वाला चक्र बदलाव के लिए तैयार हो जाता है।        

हस्तरेखा विज्ञान

हथेली की आड़ी तिरछी रेखाओं को देखकर आपके मन में भी यह सवाल उठता होगा कि इन रेखाओं का मतलब क्या है?और जो लोग यह यह मानते हैं कि इन रेखओं का कोई मतलब नहीं हैं तो आप यह सोचना चाहिए कि ईश्वर ने हम मनुष्यों को जो कुछ भी दिया है उन सभी का कुछ न कुछ मतलब जरुर है। हमारे हमारे आंख,नाक और दूसरे अंगों की तरह हथेली की रेखाओं का भी अर्थ है। समुद्रशास्त्र में हाथेली की रेखाओं,अंगों की बनावट और चेहरे के अनुसार व्यक्ति की खूबियों और कमियों का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि कौन सी रेखा आपको भाग्यशाली बनाती है। किन रेखाओं से आपकी आर्थिक स्थिति की जानकारी मिलती है। आइये देखें आपकी हथेली में कौन सी रेखा आपके धन संपत्ति का हाल बताती है।हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार जिनकी हथेली में जीवन रेखा गोल होती है। मस्तिष्क रेखा दो भागों में बंटी हो और उन पर त्रिकोण का चिन्ह बना हो ऐसी हस्तरेखा बड़ी ही शुभ होती है। ऐसे व्यक्ति को समय-समय पर अचानक धन का लाभ मिलता रहता है।जिन व्यक्तियों की हथेली में भाग्यरेखा मोटी से पतली होती चली जाए या फिर भाग्यरेखा हथेली के अंत स्थान यानी मणिबंध से शुरु होकर शनि पर्वत तक जाए तो यह इस बात का सूचक है कि व्यक्ति को व्यवसाय में खूब सफलता मिलेगी। ऐसा व्यक्ति व्यवसाय से खूब धन कमाता है।





हस्तरेखा विज्ञान में कहा गया है कि जिनकी हथेली में जीवन रेखा गोल होती है और मस्तिष्क रेखा तथा भाग्य रेखाएं निर्दोष होती वह धनवान होते हैं। ऐसी रेखाओं के साथ जीवन रेखा से उदय होने वाली भाग्य रेखा कई भागों में बंटी हो यानी शाखायुक्त हो तब व्यक्ति अपार धन संपदा का मालिक होता है।जिन व्यक्तियों की हथेली भारी और चैड़ी होती है। उंगलियां कोमल और नरम होती होती है वह बहुत धनवान होते हैं। इन्हें धन की कभी कमी नहीं होती है। इनका कोई काम धन की कमी से रुकता नहीं है।जिनकी हथेली में शनि पर्वत यानी मध्यमा उंगली के पास आकर दो या इससे अधिक रेखाएं आकर ठहरती हैं उन्हें एक नहीं बल्कि अनेक तरफ से धन और सुख मिलता है। शनि पर्वत अगर उठा हुआ हो और जीवन रेखा घुमावदार या गोल हो तब व्यक्ति बहुत ही धनवान और संपत्तिशाली होता है।मस्तिष्क रेखा टूटी हुई न हो या इसे कोई अन्य रेखा काटती नहीं हो यानी मष्तिष्क रेखा में कोई दोष नहीं हो। भाग्य रेखा की एक शाखा जीवन रेखा से निकलती हो और हाथ मांसल,गुलाबी हो तब यह संकेत है कि व्यक्ति खूब धनवान होगा। इनकी आय करोड़ों में होगी।जिन व्यक्तियों की उंगलियां सीधी और पतली होती है। हृदय रेखा सीधे बृहस्पति पर्वत यानी इंडेक्स फिंगर के नीचे आकर खत्म होती हो और भाग्य रेखा एक से अधिक होती ऐसे व्यक्ति धन संपत्ति के मामले में बड़े ही भाग्यशाली होते हैं। यह नौकरी करें या व्यवसाय इनकी आमदनी करोड़ों में होती है।
   चंद्र पर्वत से कोई रेखा निकलकर शनि पर्वत पर पहुंचे और इस पर कहीं त्रिभुज का चिन्ह बन रहा हो तब व्यक्ति की आय सामान्य रहती है। चन्द्र पर्वत से निकली हुई पतली रेखा अगर मस्तिष्क रेखा पर आकर ठहर जाए तो व्यक्ति भावुकता के कारण अपने भाग्य की हानि करता रहता है। ऐसे व्यक्ति की आय भी सामान्य रहती है।भाग्य रेखा मोटी से पतली हो या सीधे शनि पर्वत पर जाए, उंगलियां पतली और सीधी हों शनि व अन्य ग्रहों के स्थान हथेली में उत्तम हों और हाथ का रंग साफ हो तो तब व्यक्ति को अचानक धन लाभ होता है और वह धनवान बन जाता है।




शनिवार, 20 दिसंबर 2014

*शरीर से जानिये कुछ बाते

*शरीर से जानिये कुछ बाते ***

1. अगर यदि आप कि जबान आपके नाक को छूति है
तो व्यक्ति स्पष्टवादी होता है । तथा एक उच्च
कोटी का साधक बन सकता है ।
2. अगर यदि आपके हाथ खडे होने पर आपके घुटनों तक
पहुँचते है तो निश्चित रूप से व्यक्ति जीवन में राज
करता है ।
3. अगर यदि आपके मुँह में पूरे 32 दाँत है
तो आपका पूरा जीवन आराम से कट जायेगा । विषम
संख्या में दाँत होने पर आपको बहुत
कष्टों का सामना करना पडेगा ।
4.जिस स्त्री के शरीर पर पुरूषों के समान बाल हो,
या दाढी या मूँछ आती हो तो वह जीवन में
विधवा अवश्य होती है ।
5.अगर यदि आपके अँगुठे के पीछे बाल
हो तो आपकि बुद्धि तीव्र है ।
6.जिस व्यक्ति कि आँखों कि पलके बहुत
जल्दी जल्दी झपकती हो, उस पर भूलकर भी विश्वास
नहीं करे ।
7.पुरूषों के शरीर पर दाँये भाग में तिल शुभ होते है,
तथा स्त्रियों के शरीर पर बाँये भाग में शुभ होते है ।
8.स्त्रियों कि कमर 24 अंगुल कि बहुत शुभ
मानी जाती है ।
9.अगर यदि आपकि नाक तोते के समान है, तो आप
लखपति जरूर बनेंगे ।
10. जिस पुरूष या स्त्री कि भौंहों पर बाल बहुत कम
हो या नहीं हो, वो चापलूस, स्वार्थी तथा दब्बु
प्रवृति के होते है ।
11. अगर यदि आप आवश्यकता से अधिक पानी बर्बाद
करते है, या फालतु बहाते है, तो आपके परिवार कि सुख
शान्ती भी उसी पानी के साथ बह जाती है तथा जीवन
में धन का अभाव होता है, यह 100% सत्य बात है ।
अगर यदि आप व्यर्थ बहते हुये पानी को बचाते है
तो आपको शुभ परिणाम मिलेंगे ।
                                       
                                                                       यहाँ कुछ ऐसे सरल टोटके
बताये जा रहे हैं जिन्हें
अपना कर अपने दांपत्य जीवन
को सुखी बनाया जा सकता है|
जिन महिलायों के पति अधिक शराब का सेवन करते
हैं तथा अपनी आय का अधिक हिस्सा शराब पर
लुटातें हैं,उनके लिए यह सब से सरल उपाय है|जिस
दिन आपके पति शराब पीकर घर आयें और अपने
जूते और उनका जूता अपने आप ही उल्टा हो जाये
तो आप उस जूते के वजन के बराबर आटा लेकर
उसकी बिना तवे तथा चकले की मदद से
रोटी बनाकर कुत्ते को खिला दें|कुछ ही समय में
वह शराब से घृणा करने लगेंगे|यदि ऐसा संजोग
लगातार कम से कम तीन दिन हो जाये तो वह तुरंत
ही शराब छोड़ देंगे|
शराब छुड़ाने का एक उपाए यह भी है की आप
किसी भी रविवार को एक शराब की उस ब्रांड
की बोतल लायें जो ब्रांड आपके पति सेवन करते हैं|
रविवार को उस बोतल को किसी भी भैरव मंदिर पर
अर्पित करें तथा पुन: कुछ रूपए देकर मंदिर के
पुजारी से वह बोतल वापिस घर ले आयें|जब आपके
पति सो रहें हो अथवा शराब के नशे में चूर होकर
मदहोश हों तो आप उस पूरी बोतल को अपने पति के
ऊपर से उसारते हुए २१ बार "ॐ
नमः भैरवाय"का जाप करें|उसारे के बाद उस बोतल
को शाम को किसी भी पीपल के वृक्ष के नीचे छोड़
आयें|कुछ ही दिनों में आप चमत्कार देखेंगी|@
                                              100% गारंटी-पूरी कहानी पढना

आपके थक हारे जीवन में नवीन उर्जा का संचार देगी।-बाज़ की उड़ान....
बाज़ लगभग ७० वर्ष जीता है, पर अपने जीवन के ४०वें वर्ष में आते आते उसे एक महत्वपूर्ण निर्णय लेना पड़ता है। उस अवस्था में उसके शरीर के तीन प्रमुख अंग निष्प्रभावी होने लगते हैं। पंजे लम्बे और लचीले हो जाते हैं और शिकार पर पकड़ बनाने में अक्षम होने लगते हैं। चोंच आगे की ओर मुड़ जाती है और भोजन निकालने में व्यवधान उत्पन्न करने लगती है। पंख भारी हो जाते हैं और सीने से चिपकने के कारण पूरे खुल नहीं पाते हैं। उड़ान सीमित कर देते हैं। भोजन ढुन्ढना भोजन पकड़ना और भोजन खाना, तीनों प्रक्रियायें अपनी धार खोने लगती हैं।
उसके पास तीन ही विकल्प बचते हैं, या तो देह त्याग दे, या अपनी प्रवृत्ति छोड़ गिद्ध की तरह त्यक्त भोजन पर निर्वाह करे, या स्वयं को पुनर्स्थापित करे, आकाश के निर्द्वन्द्व एकाधिपति के रूप में। मन अनन्त, जीवन पर्यन्त जहाँ पहले दो विकल्प सरल और त्वरित हैं, तीसरा अत्यन्त पीड़ादायी और लम्बा।
बाज़ पीड़ा चुनता है और स्वयं को पुनर्स्थापित करता है। वह किसी ऊँचे पहाड़ पर जाता है, अपना घोंसला बनाता है, एकान्त में और तब प्रारम्भ करता है, पूरी प्रक्रिया। सबसे पहले वह अपनी चोंच चट्टान पर मार मार कर तोड़ देता है। अपनी चोंच तोड़ने से अधिक पीड़ादायक कुछ भी नहीं पक्षीराज के लिये। तब वह प्रतीक्षा करता है, चोंच के पुनः उग आने की। उसके बाद वह अपने पंजे उसी प्रकार तोड़ देता है और प्रतीक्षा करता है, पंजों के पुनः उग आने की। नये चोंच और पंजे आने के बाद वह अपने भारी पंखों को एक एक कर नोंच कर निकालता है और प्रतीक्षा करता पंखों के पुनः उग आने की।
१५० दिन की पीड़ा और प्रतीक्षा और तब कहीं जाकर उसे मिलती है, वही भव्य और ऊँची उड़ान, पहले जैसी नयी। इस पुनर्स्थापना के बाद वह ३० साल और जीता है, ऊर्जा, सम्मान और गरिमा के साथ।
प्रकृति हमें सिखाने बैठी है, बूढ़े बाज की युवा उड़ान में। जिजीविषा के समर्थ स्वप्न दिखायी दे जाते हैं। अपनी भी उन्मुक्त उड़ानें पंजे, पकड़ के प्रतीक हैं। चोंच सक्रियता की द्योतक है और पंख कल्पना को स्थापित करते हैं। इच्छा परिस्थितियों पर नियन्त्रण बनाये रखने की, सक्रियता स्वयं के अस्तित्व की, गरिमा स्वयं को बनाये रखने की, कल्पना जीवन में कुछ नयापन बनाये रखने की।
इच्छा, सक्रियता, गरिमा और कल्पना, सभी निर्बल पड़ने लगते हैं, हममें भी, चालीस तक आते आते। हमारा व्यक्तित्व ही ढीला पड़ने लगता है। अर्धजीवन में ही जीवन समाप्तप्राय लगने लगता है। उत्साह, आकांक्षा, ऊर्जा अधोगामी हो जाते हैं। हमारे पास भी कई विकल्प होते हैं, कुछ सरल और त्वरित, कुछ पीड़ादायी। हमें भी अपने जीवन के विवशता भरे अतिलचीलेपन को त्याग कर नियन्त्रण दिखाना होगा। बाज के पंजों की तरह। हमें भी आलस्य उत्पन्न करने वाली वक्र मानसिकता को त्याग कर ऊर्जस्वित सक्रियता दिखानी होगी, बाज की चोंच की तरह। हमें भी भूतकाल में जकड़े अस्तित्व के भारीपन को त्याग कर कल्पना की उन्मुक्त उड़ाने भरनी होंगी, बाज के पंखों की तरह। १५० दिन न सही, तो एक माह ही बिताया जाये, स्वयं को पुनर्स्थापित करने में। जो शरीर और मन से चिपका हुआ है, उसे तोड़ने और नोंचने में पीड़ा तो होगी ही, बाज की तरह। बाज तब उड़ानें भरने को तैयार होंगे, इस बार उड़ानें और ऊँची होंगी, अनुभवी होंगी, अनन्तगामी होंगी।
सभी को हार्दिक शुभकामना।