तुला
: (रा, री, रु, रे, रो, ता, ती, तू, ते)
चित्रा
नक्षत्र के दो चरण (तृतीय चतुर्थ) स्वाति एवं विशाखा के 3 चरणों के संयोग से तुला
राशि का निर्माण हुआ है। तुला राशि का मान 5 घटी 14 पल है। सूर्य इस राशि पर 29
दिन 57 घटी 25 पल रहता है। इस राशि के राशि-स्वामी शुक्र हैं।
तुला
राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि के अंतिम ढैया वाला वर्ष रहेगा। बिना वजह आने वाली
परेशानी को समझदारी से सुलझाना होगा। अध्यात्म उन्नति होगी। पिछले वर्ष से यह वर्ष
अच्छा रहेगा।
आर्थिक
परेशानी में मित्रों से सहयोग प्राप्त होगा। कोर्ट-कचहरी के कार्यों में सफलता
प्राप्त होगी। पेट संबंधी परेशानी रहेगी। व्यापार लाभ भी प्राप्त होगा। राजनीति
में सफलता मिलेगी, परंतु कूटनीति से सावधान रहना होगा।
विद्यार्थी
के लिए कुछ नए रास्ते तकनीकी सफलता में खुलेंगे। अच्छी उन्नति होगी। भूमि-भवन के
लाभ भी मिलेंगे। कृषक वर्ग के लिए वर्ष लाभदायक रहेगा। सामान्य उत्तर-चढ़ाव मालूम
नहीं पड़ेगा। नौकरी में अच्छा रहेगा।
वर्ष
में नवग्रह जप शांति व गायत्री मंत्र से अच्छा लाभ मिलेगा।
वृश्चिक
: (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू)
विशाखा
नक्षत्र के अंतिम चरण, अनुराधा एवं ज्येष्ठा नक्षत्र के संयोग से वृश्चिक राशि का निर्माण
हुआ है। वृश्चिक राशि का मान 5 घटी 15 पल है। सूर्य इस राशि पर 29 दिन 27 घटी 29 पल रहता है। वृश्चिक राशि का
राशि-स्वामी मंगल है।
वृश्चिक
राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि के दूसरे ढैया वाला रहेगा। परिवार से विरोध का
सामना करना पड़ेगा। धनहानि हो सकती है। विपक्ष से सावधान रहें। अपने को बचाकर कार्य
करें। वर्ष में भय बना रहेगा।
शारीरिक
व मानसिक पीड़ा रहेगी। क्लेश से बचना होगा। पत्नी व पत्नी के पक्ष से विरोध रहेगा।
संतान को कष्ट रहेगा। आत्मबल से कार्य करना होगा। वर्ष के मध्य से लाभ मिलेगा।
धार्मिक-अनुष्ठान से शांति प्राप्त होगी।
भाई-बंधुओं
से सहयोग प्राप्त होगा। अचानक आर्थिक सुधार के रास्ते खुलेंगे। सहजता व सजगता से
कार्यों में उन्नति प्राप्त होगी। विद्यार्थी वर्ग के लिए वर्ष ठीक रहेगा। कृषक
सफल रहेगा। राजनीति में सम्मान दांव पर रहेगा।
पूरे
वर्ष शनि व शिव आराधना करना लाभप्रद रहेगा।
धनु : (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे)
मूल
नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा एवं उत्तराषाढ़ा के प्रथम चरण के संयोग से धनु राशि का निर्माण
हुआ है। धनु राशि का मान 5 घटी 30 पल है। सूर्य इस राशि पर 29 दिन 15 घटी 4 पल रहता है। इस राशि के राशि-स्वामी
गुरु हैं।
धनु
राशि वालों के लिए यह वर्ष शनि के प्रथम ढैया वाला रहेगा। संघर्ष, रोग, व्याधि से परेशान हो सकते हों। माता को
कष्ट रहेगा व स्वयं को भी शारीरिक कष्ट हो सकता है। अच्छे कार्यों से मन उच्चाटन
होगा।
यह
वर्ष स्थान परिवर्तन के लिए ठीक साबित हो सकता है। देश यात्रा हो सकती है।
राजनीतिक वर्ग को पद जाने का भय बना रहेगा। विरोधी व पत्नी से मतभेद की स्थिति
रहेगी। स्वजनों से भी विरोध का सामना करना पड़ सकता है। व्यापारी वर्ग को लाभ में
कमी आएगी। खर्चों की अधिकता से चिंता बनी रहेगी। घर-परिवार व मित्र किसी से भी
सहयता नहीं मिलने से स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।
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