ना भांग ना धतूरा और
ना ही शिव मंत्रों का जाप फिर भी भोले देते हैं वरदान। कुछ ऐसा ही है चंदौली के
महादेव का भोग। यह जितना अनोखा है उतना ही यहां का मंदिर। क्योंकि इस मंदिर में
चढ़ाया जाता है भोग के रूप में 'सफेद फूल'।
उत्तरप्रदेश के
चंदौली में बने आनंदेश्वर मंदिर की यही महिमा यहां आने वाले भक्तों को खींच लाती
है। इस मंदिर की बनावट इसे विशेष बनाती है। मंदिर की ऊंचाई 76 फीट और लंबाई 120 फीट है।
यहां आने वाले भक्त बिल्व पत्र नहीं सफेद फूल चढ़ाते हैं जिसके पीछे वर्षों से
मान्यता है।
कहते हैं कि सफेद
फूल भगवान शिव को अर्पित करने पर भक्त की हर मनोकामना पूरी हो जाती है। शिव का यह
मंदिर जितना अनूठा है उतना ही अनूठा है यहां का पूजा विधान। यहां पूजा में भी सफेद
फूल का ही उपयोग होता है। जो भक्त आनंदेश्वर महादेव को सफेद फूल अर्पित करता है
उसे शिव की कृपा ताउम्र बनी रहती है।
अनोखा, अनूठा और अद्भुत
शिव ज्योतिर्लिंग के
आकार की तरह बनाए गए इस मंदिर में इसके निर्माण के समय से ही 'अखंड ज्योति' जल रही है। इस
ज्योति के लिए भी यह मंदिर दूर-दूर तक विख्यात है। कहते हैं मंदिर में भगवान का
वास होता है पर यहां मंदिर ही भगवान के आकार में है। यहां तीनों प्रहर शिव के
दर्शन करना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
तीन दुर्लभ शिवलिंग
इस मंदिर में तीन
दुर्लभ शिवलिंग के दर्शन होते हैं। पहला 'नाभिय शिवलिंग' जो आकाश में बनता है। अगर आप आकाश से मंदिर की ओर
देखें तो नाभिय शिवलिंग दिखाई देगा। दूसरा शिवलिंग जो कि मंदिर के आकार में समाहित
है और तीसरा शिवलिंग जो मंदिर में स्थापित है। यह तीनों शिवलिंग पापों का नाश कर
पुण्य का वरदान देते हैं। शिव के यह तीन रूप संसार के हर तरह के दुख के हर लेते
हैं और इस तरह भक्त का जीवन को आनंदमय हो जाता है।
दिलचस्प है कि भगवान
शिव के इस अनोखे मंदिर के किसी भी कोने में 'ऊँ नमः शिवायः' मंत्र नहीं लिखा है और न ही इस मंत्र का जाप यहां
भक्त करते हैं। इस मंदिर में लगी 108 पट्टियों में 'शिवकाशी' लिखा है और भक्त इसी
मंत्र का जाप करते हैं। भक्तों को इस मंत्र के जाप और शिव की अनुपम शक्ति पर अपार
श्रद्धा है। लोग दूर- दूर से यहां आते हैं और वरदान में मांगते हैं सुख, समृद्धि और धन से परिपूर्ण जीवन।
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