रविवार, 10 मई 2015

शनि की स्थित और सावधानी के बारे मेंसामान्य जानकारी।

 प्रत्येक भाव में शनि की स्थित और सावधानी के बारे में संक्षिप्त और सामान्य जानकारी। 
(1). पहला खाना : यहाँ पर स्थित शनि यदि शुभ है तो व्यक्ति सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन की इच्छा रखता है। लोककल्याण के लिए सदा तत्पर रहता है। राजनेता या अधिकारी बन सकता है।सावधानी : दगाबाजी और झगड़ालू प्रवृत्ति से बचें। शिक्षा और नौकरी के प्रति गंभीर व जिम्मेदार रहें। पत्नी और माँ का ध्यान रखें।
(2) दूसरा खाना : यहाँ स्थित शनि को गुरु की शरण में कहा गया है। अर्थात गुरु की बुद्धि से चलने वाला। उसे जमीन-जायदाद से लाभ मिल सकता है। धार्मिक प्रवृत्ति वाला रहेगा।सावधानी : जुआ, सट्टा, लॉटरी के चक्कर में न पड़ें। वैराग्य भाव न रखें। सदा प्रसन्नचित्त रहें।
(3) तीसरा खाना : यहाँ स्थित शनि यदि शुभ हो तो गंभीर, शांतचित्त और विवेकशील होता है। धर्मपरायण और गुप्त विद्या के प्रति रुचि रखने वाला। दीर्घायु होता है। सावधानी : छोटे भाई और बहनों का ध्यान रखें। पूर्व या दक्षिण दिशा में मकान का प्रवेश द्वार न रखें। दरवाजे के पास पत्थर गढ़ा या रखा हुआ न हो। मकान के आखिरी में यदि अँधेरी कोठरी हो तो उसमें रोशनी के रास्ते न निकालें।
(4) चौथा खाना : अगर शुंभ हो तो । पूर्वजों की सम्पत्ति प्राप्त हो सकती है। जमीन-जायदाद और भवन निर्माण के कार्य में लाभ।सावधानी : पराई स्त्री के चक्कर में न रहें। रात में दूध न पिएँ। माता-पिता का ध्यान रखें।
(5). पाँचवाँ खाना : यहाँ स्थित शनि को संतान के लिए अच्छा नहीं माना गया है। इसे संतान सम्बन्धी परेशानी का कारण माना हैं शनि को पंचम भाव में बहुत ही बुरा माना जाता है लेकिन सावधानी और उपाय से इसका बुरा असर खत्म हो जाता है।सावधानी : मकान न बनवाएँ बल्कि बने-बनाए खरीद लें या परदादाओं के मकान में ही रहें। दस बादाम धर्म स्थान पर चढ़ाएँ और उसमें से पाँच लाकर घर में रखें। शनि के मंदे कार्य अर्थात जुआ, सट्टा, शराब, वेश्या से संपर्क और ब्याज का धंधा आदि न करें।
(6). छठा खाना : किस्मत लिखने का मालिक। नौकरी से लाभ सम्पत्ति, यश और अधिकार में से कोई एक चीज ही मिलेगी।सावधानी : मकान न बनवाएँ। शराब न पिएँ।
(7). सातवाँ खाना । जीवन साथी मिलने में देरी हो सकती है।सावधानी : पराई स्त्री के मोह में न रहें। बाप-दादाओं के मकान में ही रहें। शराब न पिएँ।
(8). आठवाँ खाना : यह शनि का मुख्यालय है। व्यक्ति दीर्घायु होता है। सावधानी : शनि के मंदे कार्य अर्थात जुआ, सट्टा, शराब, वेश्या से संपर्क और ब्याज का धंधा आदि न करें।
(9). नवम खाना : यदि यहाँ शनि अच्छा है तो व्यक्ति ऊँचे दर्जे का शिक्षित होगा भरापूरा परिवार होगा। सावधानी : अँधेरी कोठरी में रोशनदान या रोशनी के रास्ते न बनाएँ।
(10). दसवाँ खाना : यहाँ स्थित शनि को कोरा कागज समझो अर्थात तुमने उस पर जैसा लिख दिया वैसा जीवन हो जाएगा। किस्मत को जगाने वाला, लेकिन शर्त यह कि शनि के मंदे कार्य न करें।सावधानी : हमेशा सतर्क रहे आलसी ना बने मेहनती बने काम के प्रति ईमानदार रहे धर्मात्मा बनने से काम नहीं चलेगा।


शराब कतई न पिएँ।  
(11). ग्यारहवाँ खाना : यदि यहाँ शनि है तो व्यक्ति होशियार और फरेब देने वाला माना जा सकता है, लेकिन यदि शुभ है तो खुद विधाता माना जाएगा।सावधानी : नेक और धर्मात्मा बने रहें। उधार न दें।
(12). बारहवाँ खाना : यहाँ यदि शनि है तो ऐसा व्यक्ति एकांत प्रिय, संन्यासी माना जाएगा।सावधानी : मकान जैसा बन रहा है वैसा बनने दें, उसमें अपनी अक्ल न लगाएँ और न ही बनने से रोकें।
शनि ग्रह को जानें :---शनि दोष-
1. यदि शरीर में हमेशा थकान व आलस भरा लगने लगे।
2. नहाने-धोने से अरुचि होने लगे या नहाने का वक्त ही न मिले।
3. नए कपड़े खरीदने या पहनने का मौका न मिले।
4. नए कपड़े व जूते जल्दी-जल्दी फटने लगें।
5. घर में तेल, राई, दालें फैलने लगे या नुकसान होने लगे।
6. अलमारी हमेशा अस्त व्यस्त रहने लगे।
7. भोजन से बिना कारण अरुचि होने लगे।
8. सिर व पिंडलियों में, कमर में दर्द बना रहे।
9. परिवार में पिता से अनबन होने लगे।
10. पढ़ने-लिखने से, लोगों से मिलने मे शर्म और झिजक महसूस होने लगे, चिड़चिड़ाहट होने लगे।

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